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56 वर्ष की आयु में मैरी की बेटियों ने अपनी माँ को तैराकी सिखाना शुरू किया.दो विषयों -फिजिक्स और केमिस्ट्री – में नोबेल जीतने का कारनामा सिर्फ मैरी क्यूरी ने किया था.

छप्पन साल की आयु में मैरी की बेटियों ने अपनी माँ को तैराकी सिखाना शुरू किया. तैराकी के इन सबकों को याद करते हुए ईव क्यूरी ने अपनी किताबमैडम क्यूरी में लिखा है

 

माँ की छरहरी कोमल देह, उसकी खूबसूरत गोरी बाँहें और किसी आकर्षक युवती जैसे हावभावों को देख कर आप स्विमिंग कैप के नीचे छिपे उसके पके बालों और चेहरे की झुर्रियों को भूल जाते थे.

Madame Curie with her Two daughters

उसने कभी किसी के साथ रेस करने का प्रस्ताव तो नहीं दिया लेकिन यह ज़रूर ठान लिया कि वह अपनी यूनीवर्सिटी में हर साल होने वाली अध्यापकों की तैराकी प्रतियोगिता में बनाए जाने वाले स्पीड और दूरी के हर रेकॉर्ड को तोड़ेगी जरूर. इस दृढ़निश्चय के साथ उसने तैराकी की ट्रेनिंग को बेहद संजीदगी से लेना शुरू किया.”


1867
में जन्मी मैरी की दो बेटियां हुईं
1897
में आइरीन और
1904
में ईव. ईव के जन्म के डेढ़ साल बाद एक दुर्घटना में  मैरी के पति पीयरे की त्रासद मृत्यु हो गई.

 

हम कल्पना नहीं कर सकते कि लगातार अपनी प्रयोगशाला में व्यस्त रहने वाली मैरी के लिए दो बच्चियों की परवरिश अकेले करना कितना मुश्किल रहा होगा.

उस समय पेरिस में बच्चियों के लिए जिस तरह की स्कूली शिक्षा उपलब्ध थी, वह मैरी को नापसंद थी. उसने अपनी बच्चियों को घर पर पढ़ाया.

 

माँ की छाया में पलीबढीं दोनों बेटियों ने भी असाधारण सफलताएं हासिल कीं. आइरीन ने 1935 में फिजिक्स का नोबेल जीता जबकि बचपन से ही कला और लेखन में दिलचस्पी रखने वाली ईव को युद्ध पत्रकारिता के पुलित्ज़र अवार्ड के लिए नॉमिनेट किया गया. बाद में वह यूनिसेफ कीफर्स्ट लेडीबनीं.

 

रेडियम, पोलोनियम को किया पिचब्लेंड से अलग

20 अप्रैल
1902
को मैरी और पियरे क्यूरी ने पेरिस में अपनी लैब में रेडियम और पोलोनियम नामक रेडियो एक्टिव पदार्थों को खनिज पिचब्लेंड से अलग किया था।

 

इस खोज के लिए
1903
में उन्हें फ़िज़िक्स के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
1911
में रेडियम प्योरीफिकेशन के लिए मैडम क्यूरी को दूसरा नोबेल पुरस्कार दिया गया।

19 अप्रैल
1906
को पेरिस में एक रोड एक्सीडेंट में पियरे क्यूरी की मौत हो गई। इसके बाद भी मैरी क्यूरी रिसर्च में लगी रहीं। लंबे समय तक रेडिएशन के बीच काम करते रहने से मैरी को ल्यूकेमिया बीमारी हो गई। 4 जुलाई 1934
को इस महान वैज्ञानिक का निधन हो गया।

19 अप्रैल 1906
को पेरिस में एक रोड एक्सीडेंट में पियरे क्यूरी की मौत हो गई। इसके बाद भी मैरी क्यूरी रिसर्च में लगी रहीं। लंबे समय तक रेडिएशन के बीच काम करते रहने से मैरी को ल्यूकेमिया बीमारी हो गई। 4 जुलाई 1934 को इस महान वैज्ञानिक का निधन हो गया।

 The End 

अस्वीकरणब्लॉगर ने नेटविकिपीडिया पर उपलब्ध सामग्री और छवियों की मदद से यह संक्षिप्त लेख तैयार किया है। पाठ को रोचक बनाने के लिए इस ब्लॉग पर चित्र पोस्ट किए गए हैं। सामग्री और चित्र मूल लेखकों के कॉपी राइट हैं। इन सामग्रियों का कॉपीराइट संबंधित स्वामियों के पास है। ब्लॉगर मूल लेखकों का आभारी है।

 

 

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