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Filmy Dunya

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देवदास:अन्तिम दृश्य-अपने कारुणिक अंत में पारो के द्वार पर जाता है, उसे उम्मीद है कि मृत्यु के बाद ही उसकी आत्मा पारो से एकाकार हो सकेगी।कौन कमबख्त बर्दाश्त करने को पीता है, मैं तो पीता हूं के बस सांस ले सकू”

देवदास:अन्तिम दृश्य-अपने कारुणिक अंत में पारो के द्वार पर जाता है, उसे उम्मीद है कि मृत्यु के बाद ही उसकी आत्मा पारो से एकाकार हो सकेगी।कौन कमबख्त बर्दाश्त करने को पीता है, मैं तो पीता हूं के बस सांस ले सकू” Read Post »

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