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Bali Aur Shambhu: A drama by Manav Kaul- वृद्ध आश्रम के दो वरिष्ठ कैदी. शंभू क्रोधी, चिड़चिड़ा है.बाली को वृद्धाश्रम में शरण लेने के लिए मजबूर किया जाता है

सीन– 1

शंभु अपने बेड पर सूटकेस खोल रहा है।
Stage (R)
गौतम सो रहा है, शंभु सूटकेस में से एक फोटो निकालता है और
Stage (R)
देखता है औरतितलीकहता है। तितली आकर शंभु के बगल में बैठ जाती है।

 

तितलीपापा, आप डांस देखने तो आए नहीं, अब यहाँ बैठेबैठे फोटो देख रहे हो।

शंभुबेटा, मैं वहाँ आकर क्या करूँगा?

 

तितलीमुझे भी पता है आप नहीं आएँगे, पर पता नहीं क्यों हमेशा नाचते हुए मैं आपको भीड़ में ढूँढती हूँ। या जब लोग पीछे मिलने आते हैं तो मैं इंतज़ार क्यों करती हूँ कि आप मेरा नाम पूछते हुए, पीछे मुझे ढूँढेंगे। तितली को देखा आपने? तितलीजो सबसे आगे डांस कर रही थी, उसका कमरा कहाँ है? तितली, बेटा

शंभुबेटा, मुझे पता है कि तुम अच्छा डांस करती हो।

तितलीअच्छा! यह आपने फोटो देखकर जान गए?

 

शंभुसारी प्रेक्टिस तो तुमने मेरे सामने की है। विश्वास नहीं? मैं तुम्हें तुम्हारा डांस करके बताता हूँ
(
डांस करता है.. और शंभु की कमर दुखने लगती है, वो वापिस बेड पर जाता है।)

 

तितली– (हँसती है) आप बैठ जाइए, रहने दीजिए। एक बात कहूँ, आप बहुत गंदा डांस करते हैं। पापा, कभीकभी मुझे लगता है कि मैं नाचतेनाचते उड़ जाऊँगी और किसी पहाड़ पर जाकर बैठ जाऊँगी और वहाँ नीचे आप मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे। पर मैं नहीं आऊँगी और जब आप इंतज़ार करतेकरते थक जाएँगे, तब मैं पीछे आकर…’बोकरके आपको डरा दूँगी। मज़ा आएगा, क्यों पापा?

 

शंभुमुझसे ऐसी बातें मत किया करो।

तितलीपापा, मैं मज़ाक कर रही थी।

शंभुमुझे पसंद नहीं ऐसा मज़ाक।

तितलीठीक है पापा, अच्छा मेरी परीकथा कहाँ है?

शंभुपरीकथा बाद में।

 

(Starts
to take out something from the suitcase)

तितलीतो ठीक है। फिर मैं परीकथा सुनने आऊँगी।

शंभुबेटा तितली, कहाँ जा रही हो? बैठो सुनोचली गईअपने समय से आती है अपने समय से चली जाती है। (तभी उसे दरवाज़े पर परछाई दिखाई देती हैमानों कोई खड़ा हो।) अरे आप, आप कौन हैं? तितली बेटा, तुमने किसी को बुलाया है? आप, आपका नाम क्या है? बेटा देखो अपने घर कोई घुस आया है
(Shadow laughs)
क्या हँस क्यों रहे हो। जाओ निकल जाओ यहाँ से।

 

शुभांकरमेरा नाम

शंभुनहीं, नहीं जानना मुझे तुम्हारा नाम, निकल जाओ।

शुभांकरमेरा नाम शुभांकर है
(Laughs & exit)

(शंभु बहुत सारी चीजें फेंकने लगता है दरवाज़े की तरफ़। गौतम, जो कि ज़मीन पर सो रहा है, डरकर उठ जाता है।)

 

गौतमडर लगे तो गाना गाओ, भूख लगे तो खाना खाओ।

(शंभु बेहोश हो जाता है। गौतम उसे उठाकर पलंग पर सुलाता है और भाग जाता है।)

 सीन– 2

(गौतम दरवाज़े पर खड़ा है, झिलमिल सामान बीन रही है, भीतर से शंभु आता है)

शंभुअरे आप लोग कब आए?

 

झिलमिलनमस्ते! रात में काफ़ी तोड़फोड़ की है आपने, याद है? कल आप गौतम की वजह से बच गए। अगर समय पर ये मुझे नहीं बुलाता तो कुछ भी हो सकता था। कल आपको दूसरा अटैक आया था।

 

(गौतम के पास जाता है।गौतम शंभु से बहुत डरता है।)

गौतमडर लगे तो गाना गाओ, भूख लगे तो खाना खाओ।

शंभुचुप, क्या है! कल रात के लिए माफ़ी चाहता हूँ।

गौतमडर लगे तो गाना गाओ, भूख लगे तो खाना खाओ।

झिलमिलअब कैसी तबीयत है?

शंभुठीक है।

 

झिलमिलगौतम को आपकी ही देखभाल के लिए रखा है, पर वो इतना डर गया है कि वो इस कमरे में आना भी नहीं चाहता। पहले ही मूर्ख भूतों से डरता था। आप बताइए क्या करूँ? इस Old
Age Home
के भी कुछ
rules
हैं, मुझे भी जवाब देना पड़ता है। और आपकी तबीयत?

शंभुकितने दिन बचे हैं मेरे पास?

झिलमिलसब कुछ आपके ऊपर है।

शंभुसॉरी!

 

झिलमिलये आप पहले भी कई बार कह चुके हैं। गौतम, दवाइयाँ दी?

गौतममैं वो देने ही वाला था पर

झिलमिलये दवाइयाँगौतम, वो काग़ज़ कंप्लीट हो गए?

गौतमकिसके?

 

झिलमिलवो क्या नाम है, बलि आने वाले थे ना उनके?

गौतमवो आज शाम आने वाले थे पर age
proof certificate
नहीं था तो वो रात तक उसे लेकर जाएँगे।

 

झिलमिलठीक है। अगर सब ठीक है तो उन्हें, इनके साथ शिफ्ट कर देना।

शंभुक्या मैं किसी के साथ नहीं रहूँगा मैं इस old
age home
को अपनी पूरी पेंशन दे रहा हूँ, ताकि मैं अकेला रह सकूँ।

 

झिलमिलअगर मैंने आपकी सहीसही रिपोर्ट तैयार कर के दे दी कि आप कैसे अकेले यहाँ आए दिन तोड़फोड़ करते रहते हैं तो आपको अगले दिन यहाँ से निकाल दिया जाएगा। देखिए ये सब आप ही की बेहतरी के लिए है। अरे हाँ, आपकी परिकथा मुझे लगी।

शंभुहाँ?

 

झिलमिलजी! अजीब नहीं है, छोटी सीपर अच्छी है।

शंभुक्या करूँ इसकी मुझे आदत हो गई है तितली को बहुत अच्छी लगती थी, मैं इसे पढ़कर उसे सुलाया करता था।

झिलमिलठीक है, दवाइयाँ भूलिएगा नहीं।

 

(शंभु परिकथा पढ़ना शुरू करता हैतितली भीतर से वही परिकथा पढ़ते हुए बाहर आती है।)

 

शंभुमैंने एक परी से कहा कि मुझे एक ऐसी परिकथा सुनाओ, जिसे सुनकर मेरी बेटी को अपनी परी मिल जाए। वो परी हँसने लगी और उसने कहा ठीक है, मैं एक ऐसी परी की कहानी सुनाती हूँ जो एक दिन ग़ायब हो गई थी और फिर कभी नहीं मिली। वो बहुत ख़ूबसूरत परी थी जिस दिन वो ग़ायब हो गई थी, परी देश में सभी परेशान हो उठे थे। कैसे गई? कहाँ गई? क्योंकि ऐसे कोई परी कभी ग़ायब नहीं होती। उसे ढूँढने का काम मुझे सौंपा गया क्योंकि (तितली साथ में बोलती है) हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे।

 

तितलीमैं धरती पर उस आदमी की तलाश करने लगी जिसकी वो परी थी। बहुत समय बाद वो मिला। पर परी उसके पास नहीं थी जानते हो क्या हुआ था। उस आदमी ने एक बार किसी से कह दिया था कि मैं परियों में विश्वास नहीं करता और उसकी परी मर गई थी।

सीन– 3

(शंभु सो रहा है)

झिलमिलआइए, ये कमरा है। ये शंभुजी हैं, शायद सो रहे हैं। आप काफ़ी लेट हो गए।

 

बलिहाँ, आयु प्रमाण पत्र बनने में दे हो गई।

झिलमिलवो आपकी जगह, चलती हूँ, कल मुलाक़ात होगी।

बलिवैसे नाम क्या बताया आपने?

झिलमिलअभी तक तो बताया नहीं, वैसे मेरा नाम झिलमिल है।

बलिझिलमिल!

झिलमिलजी।

 

बलिकाफ़ी अच्छा नाम है, ये नाम हमने सुना है, अरे हाँ

झिलमिलसो जाइए, काफ़ी देर हो गई है, सुबह बात होगी।
(exit)

बलि
(singing)
नमस्ते शंभु जी! कमरा तो ऐसा लग रहा है जैसे अभी आपके बच्चे फुटबाल खेल के गए हों। (पलंग सरकाने लगता है।)

 

शंभुपलंग मत सरकाइए। (लेटे हुए.. बलि को समझ नहीं आता कि ये आवाज़ कहाँ से आई है।)

बलिअरे शंभु जी! नमस्ते! काफ़ी अच्छा है कमरा, आपने एकदम अपने घर जैसा रखा है। काफ़ी समय से आप यहाँ रह रहे होंगे।

शंभुदो साल से।

बलिये झिलमिल जी कोन हैं?

 

शंभुडॉक्टर है। रोज सुबहशाम देखने आती है।

बलिकाफ़ी अच्छी दिखती है। मेरा मानना है डॉक्टर को हमेशा अच्छा दिखना चाहिए। इससे मरीज़ जल्दी ठीक हो जाता है।

शंभुअपने मानने को आप अपने पास ही रखिए। लाइट बंद कर दीजिए, मुझे सोना है।

 

बलिजी, जैसा आप कहें। बस थोड़ा सामान जमा लूँ।

शंभुमुझे नींद रही है लाइट ऑफ कर दीजिए।

बलिअरे ऎसे कैसे चलेगा.. मैं काम कर रहा हूँ।

 

शंभु–  लाईट ऑफ!!!  (बलि बड़बड़ाता हुआ लाइट ऑफ करता है, वापिस आकर पलंग सरकाता है।) पलंग मत सरकाईये

 

बलिपर ये तो एकदम अजीब जगह रखा है। मुझे घर के कोनों से बहुत घबराहट होती है।

शंभुजो भी हो वो ही आपकी जगह है। अब चुपचाप सो जाइए। (बलि पलंग पर लेट जाता हैकुछ देर में)

 

बलिअगर मेरी पढ़ने की इच्छा हुई तो शंभु जी? तब तो लाइट जलानी ही पड़ेगी क्योंकि अँधेरे में पढ़ना मैंने अभी तक सीखा नहीं है।

 

शंभुमेरे साथ रहना है तो अँधेरे में पढ़ने की आदत डाल लीजिए।
(silence)

बलिआप खर्राटे तो नहीं लेते?
(silence)

….बस यूँ ही पूछ लिया।
(silence)

….मैं रात को खर्राटे लेता हूँ, बस बताना चाहता था। (
silence)

 

(starts
singing)
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया

शंभु– (शंभु पहली बार उठकर बैठ जाता है।) आप चुपचाप नहीं सो सकते? अब अगर एक शब्द भी मुँह से निकाला तो धक्के मारकर इस कमरे से निकाल दूँगा।

बलि– (बलि भी उठ जाता है।) मुझे इतनी जल्दी नींद नहीं आतीअजीब तानाशाही है, मेरी जब इच्छा होगी  तब सोऊँगा। आप क्या, क्या, डरा किसको रहे हैं? मैं किसी से नहीं डरता। देखो मुझसे पंगा मत लेना। मैंने जवानी में कराटे सीखे थे। एक समय ब्रूस ली मेरे गुरु थे

 

शंभुऔर मैंने जवानी में दो ख़ून किए हैं। अभी तीसरा ख़ून करने में मुझे कोई दिक़्क़त नहीं होगी, समझे! चुप! एकदम चुप लेटो! आँखें बंद एकदम बंद!

बलिपेशाब करने चला जाऊँ शंभु जी?

 सीन-4

(बलि सो रहा है। शंभु उसके आगे ग़ुस्सें में चक्कर लगा रहा है। झिलमिल आती है।)

झिलमिल
Good Morning!
मैंने कहा
Good Morning!
कैसी तबीयत है?

 

शंभुज़िंदा हूँ।

झिलमिलबलि जी दिख नहीं रहे, वो ज़िंदा हैं कि वोअरे अभी तक सो रहे हैं?

 

शंभुउल्लू हैं, उल्लू! दिन में सोते हैं रात में गाने गाते हैं।

बलिमैं सोया नहीं हूँ। सुबहसुबह अपनी तारीफ़ सुन रहा हूँ।

झिलमिल
Good Morning
बलि जी!

 

बलि
Good Morning!
उठ जाऊँ शंभु जी? डर के मारे रात भर सो नहीं पाया। और आप एक मिनट

झिलमिलबाथरूम उधर है।

 

बलिरात भर इन्होंने जाने नहीं दिया।

शंभुमैं इसके साथ एक मिनट भी नहीं रह सकता।

बलिमैं भी इनके साथ नहीं रहना चाहता, मैं पागल हो सकता हूँ। ये रात में मुझे डरा रहे थे। अभी जैसे दिख रहे हैं, असल में हैं नहीं। मैं अभी आया, आप जाना मत। (बलि अंदर जाता है)

 

झिलमिलशुभांकर का लैटर आया है। ये 10 दिन पहले आया था। ये अभी आया है।

 

शंभुमैंने कहा था इसे फेंक दो।

झिलमिलपता है आपने कहा था, पर मुझे लगा शायद बलि जी के आने से आपका मूड ठीक हो जाए, पर अब मुझे लगता है, इन्हें फेंकना ही पड़ेगा।

शंभुडस्टबिन उधर है।

झिलमिल
दो साल हो गए हैं। वो लगातार आपको लैटर लिख रहा है, क्या आपकी एक बार भी इच्छा नहीं हुई कि कम से कम एक लैटर पढ़कर देखें, क्या कहना चाहता है वो। कल शुभांकर का फोन भी आया था, कह रहा था किसी बड़ी कंपनी में उसे ऑफर आया है, शायद out of India जाना
पड़े। पर समझ में नहीं रहा है कि Join करे या नहीं करे। वो आपसे मिलना चाहता है।

 

शंभुमैं किसी शुभांकर को नहीं जानता हूँ, तुम मुझसे उसकी बातें मत किया करो।

झिलमिलमैंने मना कर दिया। कहा कि आपकी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए आप अभी नहीं मिल सकते।

 

शंभुनहीं, कभी नहीं मिलना मुझे। (बलि की अंदर से कुल्ला करने की आवाज़ आती है) मैं इस आदमी के साथ नहीं रह सकता हूँ इसे पहले यहाँ से निकाल दो।

 

झिलमिलआपका अकेले रहना ठीक नहीं है ये मेरा नहीं मैनेजमेंट का फैसला है। मैं इस बारे में कुछ नहीं कर सकती। कम से कम कुछ दिन रहकर तो देखिए, फिर भी आपको ठीक नहीं लगेगा, तो बात करूँगी।

शंभुठीक है।

 

झिलमिलवैसे बलि जी के बारे में हमने पता किया है, वो अच्छे आदमी हैं।

बलि
Thank you
मैंने सुन लिया….
आपने सुना।

झिलमिलअच्छा तो मैं चलती हूँ।

 

बलिअरे! मुझे आपसे बात करनी है, इधर आइए, क्या आप लोग यहाँ खूनियों को भी रखते हैं?

झिलमिलकौन?

बलिये बुढ़उ दो ख़ून कर चुके हैं। एक और करना चाहते हैं, वो भी मेरा बताइए।

 

झिलमिलवो मज़ाक कर रहे होंगे। 

बलिनहीं भाई। इनका तो नाम भी खूनियों जैसा हैशंभु। आप क्यों मेरी बलि चढ़ा रही हैं?


झिलमिलआपको रहना तो इन्हीं के साथ। घबराइए नहीं मैं आती रहूँगी। क्या आप मेरे ख़ातिर इतना नहीं कर सकते, प्लीज़!

बलिठीक है। पर आप आती रहिएगा वरना ये मुझे मार डालेंगे और किसी को पता भी नहीं चलेगा।

झिलमिलचलती हूँ शंभु जी, शाम को आती हूँ आपसे मिलने बलि जीठीक।
(exit)

 

बलिझिलमिल जी शाम को रही हैं मुझसे मिलने
(singing)

शंभुदेखिए! सुनिए! गाना बंद! आप और हम आराम से एक साथ रह सकते हैं, अगर हमारे बीच कम से कम संवाद हो तो।

बलिआप यह हिंदी में बोलेंगे?

शंभुमूर्ख!

 

बलिऔर मैं मज़ाक कर रहा था, आप मज़ाक समझते नहीं क्या? देखिए मैं आपको बता दूँ, मैं बहुत बोलता हूँ। मेरा यहाँ रहना और बात करना एक ही बराबर है। मैं जहाँ होता हूँ, वहाँ बहुत बोलता हूँ। बोलना मेरी बीमारी है, जो बुढ़ापे में आकर लगातार बढ़ती जा रही है। बोलने के कारण मेरे घर वालों ने मुझे, मेरे घर से निकाल दिया।

 

(शंभु आईने में अपना चेहरा देख रहा है।) वैसे मैं आपसे कम बूढ़ा हूँ।

शंभुकम बूढ़ा क्या होता है?

बलिमतलब आप ज़्यादा बूढ़े हैं और मैं कम बूढ़ा।

शंभुदेखिए कम, ज़्यादा कुछ नहीं होता। बूढ़ा आदमी, बूढ़ा आदमी होता है।

बलिठीक है तो आप चिड़चिड़े खड़ूस बूढ़े हैं और मैं ज़्यादा बोलने वाला नेक दिल बूढ़ा।

 

शंभुतुमको मैं खड़ूस दिखता हूँ?

बलितो आपको मैं बूढ़ा दिखता हूँ, ध्यान से देखिएये जॉ लाइन देखिए।

शंभुसच में तुम बहुत बकवास करते हो। क्या ये तुम्हारी खानदानी बीमारी है?

बलिनहीं खानदानी नहीं है, मेरे एक दोस्त थे हरिशंकर तिवारी
(
बलि आसमान की तरफ देखता है) माफ़ करना।

शंभुक्या?

 

बलिडॉ हरिशंकर तिवारी वो बहुत बोलते थे। ये बीमारी मुझे वहीं से मिली है।

शंभुकिससे बात कर रहे हो?

 

बलि– (तिवारी जी से) अरे! तिवारी जी के नाम के आगे डॉ नहीं लगाओ, तो वो बहुत नाराज़ हो जाते थे। पहले जब तिवारी जी जवान थे, तो उन्हें लगता था कि उनकी उनके घर मोहल्ले शहर, देश में कोई इज़्ज़त ही नहीं है।

 

कोई उन्हें पूछता भी नहीं हैतो उन्होंने एक दिन घर के बाहर, नेमप्लेट पर अपना नाम लिखवा दिया– ‘हरिशंकर तिवारी जी यहाँ रहते हैं।पर बात बनी नहीं। लोग कहने लगेहमें तो पता है तिवारी जी यहाँ रहते हैं, लिखने की क्या ज़रूरत थी। तिवारी जी को कुछ समझ में नहीं आया क्या करें, फिर उन्होंने अंग्रेज़ी में नेम प्लेट बनवाई और लिख दिया Dr.
(
डॉ0) यानि

शंभुडॉक्टर

 

बलिहाँ। डॉक्टर हरिशंकर तिवारी यहाँ रहते हैं। और घर में छुपकर देखने लगे कि लोग क्या कहते हैं लोगों ने मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया कुछ बातें तो लोगों ने इतनी बुरी कहीं कि तिवारी जी को सहन नहीं हुई। क्या करते तिवारी जी डॉक्टर तो थे नहीं।

 

और पढ़नेलिखने को शौक बहुत पहले ही गँवा चुके थे। अब Dr.
लिखकर फँस चुके थे। तो उन्होंने अपने एक दोस्त की स्कूल बस चलानी शुरू कर दी। बात बन गई। Dr.
उनकी नेमप्लेट पर बना रहा, अब यहाँ Dr.
का मतलब डॉ0 ना होकर क्या हो गया था?
Dr.
का मतलब डॉक्टर ना होकर क्या हो गया था?

 

शंभु– (चिड़चिड़ाकर) अरे मुझे क्या पता क्या हो गया था!

बलिअरे ड्राइवर हो गया था।

 

शंभुलेकिन तुम तो उन्हें डॉक्टर कहते हो फिर तो डॉ0 कैसे हुए?

बलिबाद में वो डॉक्टर हो गए थे, वो अलग क़िस्सा है, वो बाद में बताऊँगा।

शंभुअभी क्या कर रहे हो?

बलिकुछ नहीं।

 

शंभुअरे अजीब आदमी हो! तो अभी सुनाओ ना क़िस्सा

बलिअरे अजीब तो आप हैं! कभी कहते हो क़िस्सा सुनाओ, कभी कहते हो चुप रहो।

शंभुबात को घुमाओ मत।

 

बलिमुझे नींद रही है। एक तो रातभर सोने नहीं दियाअच्छा ठीक है एक शर्त पर क़िस्सा सुनाऊँगा। पहले आपको मेरे कुछ प्रश्नों का एकदम सही उत्तर देना होगा।

 

शंभुअच्छा चुप रहो, मुझे नहीं सुनना कोई क़िस्सा।

बलिठीक, मत सुनो, मैं सोता हूँ।
(silence)

शंभुठीक है पूछिए, लेकिन मेरी जो इच्छा होगी, मैं सिर्फ़ उन सवालों का जवाब दूँगा।

 

बलिजैसी आपकी मर्ज़ी। शुरू करूँआप जेल से कब छूटे? आपने जो दो ख़ून किए थे वो कैसे किए थे? और अगर अब पछतावा हो रहा है तो यहाँ क्यों आए? किसी पहाड़ पर जाकर संन्यास क्यों नहीं ले लिया? आपने इतना डरावना नाम ख़ून करने के बाद रखा या ये नाम पहले से ही था? आप मरने से डरते हैं? आपके दाँत असली हैं या नकली? और हाँ अगर आपको एक दिन के लिए प्रधानमंत्री बना दिया जाए तो आप क्या करेंगे?

 

शंभुबेवकूफ़!

बलिवो आख़िरी सवाल। मैंने ऐसे ही पूछ लिया, उसका जवाब अगर आप नहीं भी दो तो चलेगा।

शंभुएक तो तुम

 

बलिरुको! मुझे आराम से लेट जाने दो, और हाँ आपने वो हथियार कहाँ छुपाकर रखा है, जिससे तुम ख़ून करते हो। हाँ शुरू हो जाओ।

 

शंभुतुम चुप रहोगे? पहली बात तो मैंने कोई ख़ून नहीं किए, वो बात मैं तुम्हें डराने के लिए कह रहा था। पर अब पछता रहा हूँ, काश किए होते तो तुम्हें मारने में ज़रा भी दिक़्क़त नहीं होती।

 

बलिअरे भई आप इतनी जल्दी गुस्सा क्यों हो जाते हो! मैं ये सब थोड़ी जानना चाहता था, मैं तो चाहता हूँ कि आप बोलें, जो इच्छा हो वो बोलें। अपने बारे में, किसी के बारे में भी, साँस भीतर ले रोकें, छोड़ेंफिर भीतर लें रोकें, छोड़ें।

 

शंभुमैं तुम्हारी बात क्यों मान रहा हूँ?

बलिदोतीन बार करिए, अच्छा लगेगा। और हाँ मैं इंतज़ार कर रहा हूँ। जब इच्छा हो शुरू हो जाइएगा। मैं सुन रहा हूँ।

 

शंभुकुछ नहीं बोलना है। (वापिस आकर अपने बेड पर बैठ जाता है। दोतीन बार साँस लेता है) मुझे अच्छा लग रहा है, बेकार में ग़ुस्सा करता हूँ।

 

(बलि को देखता है) बुढ़ापा, बहुदा बचपने का पुनरागमन होता है, यह बात मुझ पर लागू होती है।

 

अजीब हूँ मैं, मेरी पलकों के बाल कई बार मेरी हथेली तक आए, पर मैंने अभी आँख बंद करके उड़ाया नहीं। कई बार मैंने टूटते तारों को भी देखा, पर मेरी आँखें तब भी खुली रहीं। आँख बंद करके मैंने कभी कुछ माँगा ही नहीं।

 

उस सुख की भी तलाश नहीं की जिस सुख को जीते हुए मेरी आँख झुक जाए, पर एक टीस ज़रूर है। वो भी उन सुखों की जो मेरे आसपास ही पड़े थे, कई बार मेरे रास्ते में भी आए पर पता नहीं क्यों मैं उन्हें जी नहीं पाया।

 

अपने ऐसे बहुत से सुखों को जिन्हें मैं जी नहीं पाया, मैंने अपने इस पुराने सूटकेस में बंद कर दिया है। कभीकभी इसे खोलकर देख लेता हूँ। इसमें, इसमें बड़ा सुख है और इस सुख को मैंने कभी अपने इस पुराने सूटकेस से गिरने नहीं देता हूँ, इसे हमेशा अपने पास रखता हूँ।

 

जिन
सुखों को जी नहीं पाया उन सुखों को महसूस करना कि कभी इन्हें जी सकता था। ये अजीब सुख है और जिन सुखों को जी चुका हूँ उनका अपना अलग बोझ है। जिसे ढोतेढोते जब भी थक जाता हूँ, तब अपना पुराना सूटकेस खोल लेता हूँ और थोड़ा हल्का महसूस करता हूँ। तितली

 

तितलीखड़े क्या हो, पकड़ो धीरे।

शंभुतितली सुनो! धीरे

तितलीपापा! पापा!

 

शंभुबस जाओ बेटा। मेरी हिम्मत नहीं है, बहुत थक गया बस।

तितलीआपके साथ खेलने में मज़ा नहीं आता। बाहर जाऊँ?

शंभुबेटा, रात हो गई है, इतनी रात को बाहर नहीं निकलते।

तितलीरात कहाँ दिन है पापा। पापा, आप सच में बूढ़े हो गए हैं। बाहर जाऊँ?

 

शंभुदोपहर है तो बाहर जाने की क्या ज़रूरत है, यहीं ठीक है ना।

 

तितली
(Hops catch)
पापा फाउल। पापा आप सच में बूढ़े हो गए है बाहर जाऊँ?

 

शंभुनहीं बेटा, बाहर धूप है। दोपहर में बाहर जाओगी तो काली हो जाओगी।

 

तितलीहाँ, काली हो जाऊँगी तो बंदरिया जैसी दिखने लगूँगी, फिर जंगल में किसी बंदर को पकड़कर लाना पड़ेगा, मुझसे शादी करने के लिए। यही ना तो ठीक है? तो ठीक है, मैं बंदर से शादी करने को तैयार हूँ। अब बताइए। आप बंदर को ढूँढने मेरे साथ चलेंगे या मैं अकेले जाऊँ? बोलिए बाहर जाऊँ?

 

शंभुकाले मुँह के बंदर तो दूर जंगलों में होते हैं, आसानी से नहीं मिलते।

तितलीऔर लाल मुँह के बंदर, वो

 

शंभुलाल मुँह के बंदर तो सात समुंदर पार के जंगलों में होते हैं
(Blind man’s buff)
उन्हें ढूँढना बहुत मुश्किल है। वैसे लाल मुँह के बंदर अपने आपको अंग्रेज़ समझते हैं, वो आसानी से तुमसे शादी करने को तैयार नहीं होंगे।

 

और अगर राज़ी हो भी गए तो वो दहेज़ में केले के बाग माँगेगे। बताओ बेटी, इस उम्र में मैं ज़मीन खरीदूँगा, केले के बाग लगाऊँगा, केले उगाऊँगा, तब तक तो तुम बूढ़ी हो गई होगी। और फिर एक कालीकलूटी बुढ़िया से बंदर तो क्या चूहे भी शादी करने को तैयार नहीं होंगे।
(remove blind fole)
बेटा तितली, बेटा क्या हुआ? अच्छा माफ़ कर दो। चूहे राज़ी हो जाएँगे, मैं मना लूँगा उनको। अच्छा?

तितलीनहीं पापा, कुछ लाल मुँह के बंदर, अपने गाँव में घुस आए हैं।

शंभुअपने गाँव में?

तितलीहाँ पापा। एक बंदर का तो मैं नाम भी जानती हूँ।

शंभुबेटा, बहुत हो गया मज़ाक!

तितलीमैं बताऊँ उसका नाम?

 

शंभुमुझे नहीं सुनना नाम।

तितलीउसका नाम है

शंभुअच्छा तुम जाओ अभी।

तितलीबाहर जाऊँ? खेलने?

शंभुहाँ चली जाओ।

तितलीमैं जा रही हूँ। (वापस आती है) वैसे उस बंदर का नाम शुभांकर है।

 सीन-5

(बलि गाना गाता है, वो अंदर शंभु को देखता रहता है, पलंग खिसकाता है। उसी वक़्त शंभु अंदर आता है।)

शंभुएक काम करो। ऊपर ही चढ़ा दो इसको। अपना पलंग मेरे पलंग के ऊपर.. है ना।

 

बलिशंभु जी आपको हमारी दोस्ती की कसम।

शंभुदोस्तवोस्त नहीं हैं हम लोग, समझे! वापस रखो।

बलिचलिए आपकी मेरीइतना। और बताइए कैसे हैं आप?

शंभुउठो वापस, वहीं रखो।

 

बलिअच्छा ठीक है बस इतनाइससे पीछे नहीं।

शंभुमैंने कहा ना पीछॆ।

 

बलि– (बलि पलंग पकड़कर लेट जाता है) मैं मर जाऊँगा पर इसके पीछे नहीं जाऊँगा। मुझे घबराहट होती है और समाज में सबको समान अधिकार है ये भेदभाव नहीं चलेगा। कसम खाता हूँ, इसके आगे नहीं आऊँगा।

शंभुतुमने बताया नहीं।

 

बलिबताया ना पीछे घबराहट होती है।

शंभुअरे नहीं, वो, तिवारी जी ड्राइवर से डॉक्टर कैसे बने?

बलिआपने मेरी बात का जवाब नहीं दिया तो मैंने भी नहीं बताया।

शंभुमैंने जवाब दिया था, आप सो गए थे।

बलिअब रात भर सोने नहीं देगे तो क्या करूँगा?

शंभुअभी नींद तो नहीं रही ना?

बलिनहीं.

 

शंभुतो
(
इशारे से पूछता है।)

बलिक्या?

शंभुअरे वो ही!

बलिवो ही क्या?

शंभुअरे वो ही!

बलिक्या वो ही भई?

 

शंभुवो तिवारी जी ड्राइवर से डॉक्टर कैसे बने?

बलिनहीं अभी नहीं। अभी मुझे ज़रा तैयार होना है। (बलि अंदर जाता है)

शंभुतो तुमने जाने का फ़ैसला कर लिया है।

बलि– (अंदर से ही) नहीं, झीलमिल जी आने वाली है.. और वो मुझसे मिलने रही हैं।

 

शंभु–  वो रोज़ शाम को आती हैं।

बलिलेकिन आज वो सिर्फ मुझसे मिलने रही हैं।

शंभु–  अरे पगलाओ मत.. एक बुढ़ा और था वो भी यहीं सोचता था….
फिर इंतज़ार करते करते टें बोल गया। (बली गुस्से में बाहर आता है सिर्फ कुर्ता पहनकर…)

 

बलिअच्छा आप चुप रहिएएकदम चुप.. मान लेने में क्या जाता है। यही कुछ सुख बचे हैं हम लोगों के पासअगर ये भी नहीं रहे ना.. तो हम जैसे लोगों को आत्महत्या कर लेनी चाहिए।

 

शंभु–  वैसे वो तुम्हारी बच्ची की उम्र की है

बलिकैसा लग रहा हूँ मैं। (बलि एक पोज़ बनाकर खड़ा होता है.. उसके हाथ में एक गुलाब का फूल है।)

शंभुऎसे मिलोगे?

 

बलिपैजामें का नाड़ा टूट गया है। जैसे ही आएगी मैं अंदर भाग जाऊंगा। कैसा लग रहा हूँ?

शंभुछिछोरा.. अरे तुम्हारी बच्ची की उम्र की है वो।

 

बलिबच्ची तो नहीं है ना.. आपको पता नहीं है जब मैं दिन में सो रहा था ना तो वो आपकी बच्ची जी मेरे सपने में आई थीं। पता है कैसी कैसी बातें कर रही थींमुझे तो बताने में भी शर्म आती हैऔर आप तो जानते हैं कि दोपहर का सपना सच्चा होता है।

 

शंभुदोपहर का नहीं सुबह का.. सुबह का सपना सच्चा होता है।

बलिअपने लिए तो जब जागो तभी सवेरा है.. यार आई नहीं अभी तक।

शंभु– (दरवाज़े की तरफ देखते हुए..) अरे झीलमिल बेटा कब आई।

 

(बलि डर के मारे अंदर भागता हैतभी शंभु को हंसी जाती है।) क्यों सिर्फ तुम ही मज़ाक कर सकते हो?

 

बलिमैं पैजामा पहनकर आता हूँ तब बताता हूँ बुढ़ऊ तेरेकोअभी मर जाता तो (अंदर जाता है।)

 

शंभु–  अरे मर तो तू पैजामें में भी सकता है। पर एक बात सही कहीं
(
अपने सेहमारे पास थोड़े बहुत सुख हैमवरना हम जैसे लोगों की तो दुनियाँ में ज़रुरत क्या है? ( भीतर से बलि की आवाज़ आती है ..) क्या हुआ?

 

बलिपैजामा गंदा हो गया। (पैजामें पर पानी गिर जाता है। एक कपड़े से बलि उसे अपने पलंग पर बैठकर साफ करने लगता है।)

शंभुअरे अरेअरे

बलिखुश मत हो
साफ हो रहा है।

 

शंभुअरेआप
(
मानों कोई आया होबलि फिर डर जाता है..) अरे कोई नहीं है.. ऎसे ही कोई गुज़र रहा थासाफ करो तुम (वक़्फा) वैसे टाईम तो ज़्यादा हो गया है,…
मुझे लगता नहीं कि वो आएगीं।

बलिकीड़े पड़े तुम्हारे मुँह में।

 

शंभुभाई मैं तो लेट रहा हूँअगर वो नहीं आए तो
light off
करके सो जाना।

बलिशंभु जी आप पहली नज़र के प्यार पर यक़ीन करते हैं?

शंभुक्या?

 

बलिमैं भी नहीं करता था, पर अब लगता है पहली नज़र का प्यार होता है। भई अब कोई मुझे पहली ही नज़र में पसंद कर ले, बस बात ख़त्म।

शंभुपगलाओ मत सच में जाएगी।

 

बलिअभी तक तो नहीं आई ना! बस ऐसे ही प्यार में दरार पड़नी शुरू हो जाती है।

शंभुकल तुम उससे मिले, आज प्यार हुआ और अभीअभी दरार भी पड़ गई।

 

बलिअब सोचता हूँ, जो आसान काम है वही कर दूँ।

शंभुक्या?

बलिनाना कर दूँ उसको।

शंभुहाँ करने का तो कोई मतलब नहीं है, बेहतर होगा ना कर दो। चलो थोड़ा प्रैक्टिस कर लो। देखो ऐसे झिलमिल जी आएँगी। (बलि हँसने लगता है) अरे मैं नहींमानो वो रही हैतो वो आई.. बलि जी.. कैसे हैं आप..?

 

बलिना!

शंभुअरे ये तो एकदम फुस्स था। फिर आई

बलिना!

शंभुअरे ये तो एकदम राक्षसों जैसा हो गया। ठीक से प्रैक्टिस करो।

(गौतम की
Entry)

 

बलिना!

गौतमना! (डर कर वापस चला जाता है)

बलिअरे बुरा ना लग जाए। मैंने सुना है प्यार में लोगों ने आत्महत्या तक की है। तुम्हें क्या लगता है कहीं वो आत्महत्या तो नहीं कर लेगी।

शंभुअगर वो तुमसे प्यार करती है, जैसा कि तुम्हें लगता है तो कुछ तो करेगी।

 

बलिदेखो अभी तक नहीं आई।

शंभुकहीं सच में तो आत्महत्या नहीं कर ली उसने?

बलिनहीं! प्यार में जो मरता है वो कायर होता है, पर जो प्यार करे और ज़िंदा भी रहे वो ही सच्चा प्रेमी होता है। कैसी कही?

शंभुअच्छी कही, पर कैसे कही? मतलब निकली कहाँ से?

 

बलिअरे वही, मेरे दोस्त डॉ0 हरिशंकर तिवारी के मुँह से सुना था। उन्हें एक बार प्यार हो गया था। वही मोहल्ले में एक गुलाब बाई नाम की औरत रहती थी, उसकी एक बच्ची भी थी और पति मर चुका था। उसे पैसों की ज़रूरत थी तो तिवारी जी ने उसे अपने घर बर्तन माँजने और कपड़े धोने का काम दे दिया था।

 

गुलाब बाई को कपड़े धोता देखतेदेखते तिवारी जी को गुलाब बाई से प्यार हो गया। और गुलाब बाई, वो ग़ज़ब औरत थी उसे कोई गुलाब बाई कहे तो उसे अच्छा नहीं लगता था। वो अपने आपको आंटी कहलवाना ज़्यादा पसंद करती थी। तिवारी जी थोड़ी बहुत अंग्रेज़ी जानते थे, वो गुलाब बाई को Rose madam कहने लगे।

शंभुरोज़! अच्छा गुलाब, Rose.

 

बलिकुछ समय बाद तिवारी जी से नहीं रहा गया और समाज की परवाह किए बगैर बाई को उसकी बच्ची समेत अपने घर पर रख लिया। गुलाब बाई तो तिवारी जी से प्यार नहीं करती थी, इसलिए वो तिवारी जी को अपने पास तक फटकने नहीं देती थी।

 

बहुत बाद में तिवारी जी को इतनी इजाज़त मिल गई कि वो जब चाहे गुलाब बाई से अपने पैर दबवा लेते थे। और गुलाब बाई कभीकभी नहाते वक़्त उनसे अपनी पीठ पर साबुन लगवा लेती थी।

 

इसीलिए तिवारी जी कहते थे जो प्यार करे और ज़िंदा भी रहे वो ही सच्चा प्रेमी होता है।

 

शंभुऔर बच्ची?

बलिकौन बच्ची.?

शंभुअरे गुलाब की बच्ची, उसका क्या हुआ?

बलिपता नहीं, वो स्कूल जाती थी।

शंभुउसका नाम क्या था?

 

बलिनाम तो तिवारी जी ने बताया नहीं। सब बच्चीबच्ची कहकर बुलाते थे। अरे तुम्हारे चक्कर में मैं तो भूल ही गया था। अरे मुझे तैयार होना था।

शंभुअरे मैं सोच रहा था उस बच्ची का क्या हुआ होगा! कैसे उसका बचपन बीता होगा! कैसे बड़ी हुई होगी!

 

(बलि के कुल्ला करने की आवाज़ आती है)

शंभुआज तो इसको ठीक ही कर देता हूँ। (शंभु, बलि का पलंग वापिस कोने में कर देता है और चुप चाप आकर अपने पलंग पर सो जाता है जैसे कुछ हुआ ही ना हो बलि उंगली से दांत माजता हुआ आता है और पलंग को कोने में देखकर
गुस्सा हो जाता हैशंभु के बहुत पास आकर उससे पूछता है।)

 

बलिये क्या है?

शंभुछी! क्या है?

बलिये नास का मंजन है। पलंग क्यों सरकाया?

शंभुवैसे भी तुम्हारी जगह वो ही थी।

बलिसुनो यहाँ तानाशाही नहीं चलेगी।

 

शंभुतुम पहले थूक के आओ, मैं ऐसे बात नहीं कर सकता।

बलिदेखो मैंने कसम खाई थी, इसके आगे नहीं आऊँगा।

शंभुपहले थूक के आइए। (शंभु को उठाने के चक्कर में बलि अपने गंदे हाथ शंभु को लगा देता है.. शंभु चिढ़ जाता है और उसे धक्का दे देता हैबलि नीचे गिर पड़ता है।)

 

बलिबुढ़ापे में सठिया गया है। एक कनटे का हाथ मारूँगा तो यहीं मर जाएगा।

शंभुक्या? क्या बोल रहा है?

 

बलि मज़ाक नहीं कर रहा हूँ। मुझे सच में घर के कोनों से घबराहट होती है। मुझे जानवरों जैसा लगता है। यहाँ बीच में, मैं बीच में रहना चाहता हूँ। अब कोई हिलाकर बता दे। अरे बूढ़ा गया तो क्या कोने में फेंक दोगे?

शंभुउठो! उठो यहाँ सेअपनी जग पर जाओ (उठाने की कोशिश करता है पर बलि टस से मस नहीं होता।)

 

बलिमैं नहीं जाऊँगा।

शंभुगौतम! गौतम.. (गौतम अंदर आता है।) इससे कहो यहाँ से उठ जाए।

गौतमचलिए, उठिए।

बलिहट..!
(
गौतम डर जाता है।)

शंभुये ऐसे नहीं मानेगा गौतम।

(दोनों बलि को उठाकर उसके पलंग तक ले जाते हैं, बलि वापस ज़मीन पर बैठ जाता है।)

 

गौतमआइए, आइए।

(दोनों फिर से बलि को उठाकर उसके पलंग तक ले जाते हैं। वो वापस नीचे बैठ जाता है।)

गौतमआइए, आइए।

 

शंभुअरे क्या आइए आइए! पड़े रहने दो इसे यहींमैं समझ गया। मैं समझ गया तुम यहाँ क्यूँ आए हो? क्यों तुम्हें कोनों से नफ़रत है? तुम एक ऐसे बूढे थे, जो अपने ही घर पर बोझ थे। तुम्हारे घरवाले तुम्हें घर के कोनों में ठूँसकर रखते थे जानवरों की तरह। किसी भी जानवर की तरह नहीं, बल्कि कुत्ते की तरह। अगर घर में कुत्ते की तरह रहते थे तो यहाँ शेर बनने की कोशिश मत करो। मत बनो शेरकुत्ते हो.. कुत्ते ही रहो।

 

(बलि चुपचाप उठता है और अपने पलंग पर जाता है। शंभु को बुरा लगता है कि उसने शायद कुछ ज़्यादा बोल दिया।)

 

शंभुगौतम, पानी दो उसे। (गौतम एक गिलास पानी बलि को देता है.. बलि नहीं लेता। बलि उठकर सीधा शंभु के सामने खड़ा हो जाता है।)

बलितुम यहाँ क्यों आए हो? मैं जानता हूँ, तुम्हारी तो एक बेटी है ना?

शंभुबलि चुप!

 

बलिक्या हुआ? वो बदचलन थी? उसके बहुत से यार थे?

शंभुबलि!

बलिया फिर वो तुम्हें अपना बाप भी नहीं मानती थी?

शंभुबलि! (चिल्लाता है।)

(Black
Out)

 

(शंभु पर स्पाट।)

शंभुमेरी बेटी तितली! बच्चे कब बड़े हो जाते हैं, आपको पता ही नहीं लगता और जैसेजैसे वो बड़े हो जाते हैं, उनके साथ अपेक्षाएँ भी बड़ी हो जाती हैं। बाद में बच्चे चले जाते हैं और अपेक्षाएँ रह जाती हैं, जिन्हें हम कभी दीवार पर टाँग देते हैं तो कभी मेज पर रख देते हैं

(Black
Out) (Fade in)

 

(बलि पर स्पाट)

बलिमैं कभीकभी सोचता हूँ, मुझमें और गाय में कितना फ़र्क़ है। खासकर उस गाय में जिसने दूध देना बंद कर दिया है। बुढ़ापा गाय हो जाने जैसा है। गाय जो कुछ भी खा लेती है, बिना किसी को परेशान किए ज़िंदा रहती है। आपको गायों से और बूढ़ों से बहुत परेशानी नहीं होती। बेचारी गाय और बेचारा बूढ़ा। घर में इंसानों के बीच जानवर जैसा महसूस होता था तो मैंने तय कि जब गाय जैसा ही जीना है, तो गायों के बीच में ही रहो। तो मैं यहाँ गया।

 

(झिलमिल पर स्पाट)

झिलमिलमुझे बूढ़े और बच्चे अच्छे लगते हैं। यहाँ इतने सालों काम करने के बाद मुझे एक बात पता चली है। जैसे बच्चों को माँबाप की ज़रूरत होती है, वैसे ही बूढ़ों को भी माँबाप की ज़रूरत होती है। बूढ़ों के माँबाप, जिनसे वो बात कर सकें, जिन्हे सुन सकें या जिन्हें वो कभीकभार छू सकें।

 (गौतम पर स्पाट)

गौतममैने कभी यहाँ भूत नहीं देखा है, पर इन बूढ़ों को भूत दिखते हैं क्योंकि मैं जब भी किसी बूढ़े के कमरे में जाता हूँ, वो हमेशा किसी ना किसी से बात कर रहे होते हैं, जबकि कमरे में कोई नहीं होता है। सच में, कसम से इन्हें भूत दिखते हैं।

सीन– 6

(Music)

(क्लासिकल म्युज़िक चल रहा हैशंभु कुछ हिसाब कर रहा हैहिसाब पक्का करके वो बलि को आवाज़ लगाता हैसंगीत धीमा करता है और फिर आवाज़ लगाता है।)

 

शंभुबलि जी! बलि जी!

बलिक्या है? आपके कपड़े धो रहा हूँ।

शंभुझाड़ू कौन लगाएगा?

 

बलिआपका नौकर हूँ, कपड़े धोने के बाद लगाऊँगा।

शंभुपहले झाड़ू लगाओ, मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ।

बलिआप मुझसे बात करना चाहते हैं इसलिए मैं पहले झाड़ू लगाऊँ? जाओ नहीं लगाता।

 

शंभुठीक है मत लगाओ। आज शाम को झिलमिल जी आएँगी तो मैं उन्हें बता दूँगा कि बुड्ढा फ्रॉड है।

बलिअच्छा ठीक है लगाता हूँ।

 

शंभुमैंने हिसाब लगाया है। हमें छह महीने हो गए साथ रहते हुए। इस बीच हम 12 बार लड़े। इसमें से 8 बार ग़लती तुम्हारी थी, दो बार गौतम की और एक बार हम यूँ ही मज़ाक में लड़ लिए थे और अंतिम बार तो सिर्फ़ तुम्हारी ग़लती थी।

 

बलिअरे बुड़ऊ! तू तो दूध का धुला है !

शंभुकुछ कहा तुमने?

 

शंभु
इतने बूढ़े होके शर्म आनी चाहिए कि आप एक सीधेसीधे आदमी को ब्लैकमेल कर रहे हैं। मैंने आपको अपना समझकर एक राज बताया और आपसबको बता दूँगा कि धमकी देकर अपने सारे काम मुझसे करवा रहे हो। छी! शर्म आनी चाहिए आपको।

 

(बलि झाड़ू लगाता है, शंभु काग़ज़ नीचे फेंकने को होता है, बलि रोक देता है।)

शंभुअब आया ऊँट पहाड़ के नीचे। अब बताओ कि तिवारी जी ड्राइवर से डॉक्टर कैसे बने?

 

बलिअभी मैं काम कर रहा हूँ। काम करते वक़्त मैं ज़्यादा बात नहीं करता।

शंभुठीक है तो काम करो। (शंभु कचरा ज़मीन पर फेंक देता है।)

 

लेकिन मुझे यक़ीन नहीं होता कि कोई आदमी ऐसा कैसे कर सकता है।

बलिक्यों नहीं कर सकता?

शंभुपर तुमने क्यों किया?

 

बलिक्योंकि जब आप अपने ही घर अपने परिवार अपने के लोगों के बीच आराम से रह रहे हो और अचानक एक दिन आपको पता लगे कि असल में आपको कोई पसंद ही नहीं करता है, आपसे कोई बात ही नहीं करना चाहता हैमैं आपको क्यों बता रहा हूँ, आप क्या समझोगे ये बात? जब मैं शाम को घूमने के बाद घर में वापस आता था तो मुझे घर में ताला लगा मिलता, ठीक है।

 

मैं घंटों घर के बाहर इंतज़ार करता तो एक दिन मैंने मेरे बेटे से कहाबेटा मैं घंटों बाहर बैठा रहता हूँ, अच्छा नहीं लगता, मुझे एक डुप्लीकेट चाबी बनवा दो। तो वो कहने लगा नहीं, उसमें चोरी का ख़तरा बढ़ जाता है। तो मैंने चुपके से डुप्लीकेट चाबी बनवा ली तो उन्होंने घर में दो ताले लगवा लिए।

 

मैंन दोनों की डुप्लीकेट चाबी बनवा ली। तो उन्होंने मुझे पैसे देना ही बंद कर दिया। ये घटनाएँ खाने से लेकर मैं अपने कमरे में पंखा देर तक चालू रखता हूँ तक पहुँच गईं। बताइए, जब आपको पता हो कि आपको आपने ही घर में कोई देखना नहीं चाहता, सुनना नहीं चाहता, तब आप अपने ही घर में डरावना भूत बन जाते हैं। और उस भूत की दिक़्क़त है कि वो दिखता है, दिन में भी और रात में भी, तब बताइए शंभु जी, तब आप क्या करेंगें?

 

शंभु
लेकिन तुमने ये क्यों किया?

बलिक्योंकि और कोई मुझे जानता ही नहीं जो मुझे अपने घर में रख ले, तो सोचा चलो किसी अच्छे old age home में अपना बाक़ी जीवन बिता दूँगा। पता है शंभु जी, क़रीब पाँच old age home वालों ने मुझे रिजेक्ट कर दिया। कहने लगे मैं उनके हिसाब से पूरा बूढ़ा नहीं हूँ।

 

पूरा बूढ़ाये होता है पूरा बूढ़ा (शंभु की तरफ इशारा करके) इसलिए मैंने अपनी age बढ़वाई। आयु प्रमाण पत्र बनवाने में मुझे कितनी दिक़्क़त आई, पता है आपको? और आप हैं कि सही age बता दूँगा की धमकी देकर अपने सारे काम मुझसे करवा रहे हैं।

 

शंभुपर कोई आदमी बूढ़ा होना चाहता है, ये बात आजीब नहीं है?

बलिउड़ा लो मज़ाक! लगा दी झाड़ू, जा रहा हूँ।

शंभुपोछा कौन लगाएगा?

 

बलिकितना मज़ा रहा है आपको? लगाता हूँ।

शंभुतुम एक बात बताओ। तुम कहानियों पर यक़ीन करते हो? परी की कहानियों पर?

 

बलियक़ीन ही तो मैं सभी पर करता हूँ। उसी का अंजाम भुगत रहा हूँ।

शंभुअच्छा ठीक है पोछा मत लगाओ।

बलिमैं तो लगाऊँगाअब लगाऊँगा..

शंभुअच्छा ठीक है लगाओ।

 

बलिनहीं नहींक्या आप कह रहे थे नहीं लगाओ?

शंभुमैं तो कह रहा था मत लगाओ। लेकिन अगर तुम लगाना चाहते हो तो कोई बात नहीं। लगाओ..

बलिअच्छा ठीक है।

 

शंभुइधर बैठो! (बलि, शंभु के कंधे पर सर रखने लगता है) ठीक है, अब ये चिपकोविपको मत। बताओ तुम परिकथा पर यक़ीन करते हो?

 

बलिमैं तो सिर्फ़ कथा पर यक़ीन करता हूँ। कथाहरिशंकर तिवारी! उसके अलावा मैंने कोई कथा सुनी ही नहीं।

 

शंभुमैं भी कभी परिकथा पर यक़ीन नहीं करता था पर एक परी की कहानी थी, जिसे मेरी बेटी सुना करती थी। जब उसे नींद नहीं आती थी तो वो उस परी की कहानी को सुनते हुए सोती थी। पहले उसकी माँ उसे सुनाती थी, फिर उसके चले जाने के बाद मैं उसे सुनाने लगा और बाद में जब मुझे नींद नहीं आती थी तो तितली उसे पढ़कर मुझे सुनाती थी।

 

और मैं सो जाता था। परिकथा,
मैं पहले सोचता था कि हमें परिकथा की ज़रूरत क्यों पड़ती है? क्या जो जीवन हम जी रहे हैं वो इतना कठिन ओर असहनीय है कि हमें ऐसी कहानी की ज़रूरत पड़े जो सिर्फ़ कोरी कल्पना है? असल में ऐसा कुछ नहीं होता। जानवर कभी इंसान से बाते नहीं करते। आम जीवन में कोई चमत्कार नहीं होता।

 

कोई परी अचानक एक दिन आकर सब कुछ ठीक नहीं कर देती, पर फिर भी हमने परिकथाओं को उनके पूरे झूठ के साथ स्वीकार कर लिया है क्योंकि बलि जी, इसमें जिया जा सकने वाला सुख होता है, जिसे उस कहानी के साथ उस वक़्त हम जी लेते हैं, और ये आदत है। बुरी आदत जो मुझे लगी हुई है।

 

और
अजीब बात ये है कि मुझे पूरी परिकथा याद है पर मैं उसे ख़ुद को सुनाकर सो नहीं सकता। इसके लिए हमेशा कोई अपना चाहिए होता है। जिसे आप छू सकें, जो आपके सर पर हाथ रख सके। पर अब ऐसा कोई नहीं है। हाँ, पर एक परी हैतितली, जिससे मैं थोड़ी बातें कर लेता हूँ। और सो जाता हूँ।

 

बलिआपकी बेटी तितली अब कहाँ है?

शंभुमैंने कहा ना वो परी बन चुकी है।

बलिपरी मतलब? (बलि, शंभु के पलंग पर लेट कर फल खा रहा होता है।)

 

शंभुपरी मतलब, पहले इसका मतलब बताओ?

बलिअरे वो आप कहानी सुना रहे थे!

शंभुओर तुम पसर गए, चलो पोछा लगाओ।

बलिअरे अभी आप कर रहे थे, पोछा मत लगाओ।

शंभुअब कह रहा हूँ लगाओ।

 

बलिबुढ़ऊ, एक दिन ना तेरी चंपी कर दूँगा। ( शंभु बिस्तर पर सो जाता है। गौतम भीतर से निकलता है उसके हाथ गीले है.. धीरे से बलि से कहता है।) गौतमबलि जी, कपड़े धुल गए। अब जाऊँ?

 

बलिआहाँअरे गौतम आजा आजा, कहाँ से घूम के रहा है, चल मैं थक गया हूँ। ये ले पोछा लगा दे।

गौतमपर अभी तो मैंने कपड़े धोए। और

बलिशंभु जी बहुत नाराज़ हैं.. उन्हें उठाऊँ

 

गौतमनहीं, लगाता हूँ।

बलिशंभु जी!

गौतमअरे लगा तो रहा हूँ।

 

बलि– (शंभु के बगल में आकर बैठता है।) शंभु जी थक गया। कपड़े धोकर, पोछा लगाकर। वैसे शंभु जी, मैं और झिलमिल जी कल पकौड़े खाने गए थे। बड़ा मज़ा आया। कह रही थीं आज वो मुझे कुछ अच्छी ख़बर सुनाने वाली हैंमुझे। आज हम फिर पकौड़े खाने जा रहे हैं। वैसे तो मुझे पता था, पर इतनी जल्दी सब कुछ हो जाएगा ये पता नहीं था।

 

शंभुक्याक्या कहा?

बलिलीजिए मैं अपने जीवन की इतनी महत्त्वपूर्ण घटना सुना रहा हूँ और आप हैं कि क्याक्या कर रहे हैं।

शंभुनहीं, मैं सोच रहा था।

बलिक्या?

 

शंभुमैं सोच रहा था, वो गुलाब बाई

बलिछी छी गुलाब बाई!

शंभुअरे! मैं गुलाब बाई की बच्ची के बारे में सोच रहा था।

बलिपता नहीं, मैं भी कहाँ उलझ गया। मुझे तैयार होना है।

 

शंभुतुम भी एकदम अजीब आदमी हो। तुम्हें क्या कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है? गुलाब बाई, उसकी बेटी, तिवारी जीतुम्हें इनमें से किसी की भी याद नहीं आती? अपने परिवार वालों की बात तो छोड़ ही दो। उनका तो तुम कभी ज़िक्र भी नहीं करते। पर तुम्हारे हरिशंकर तिवारी

बलिडॉ. हरिशंकर तिवारी।

 

शंभुहाँ डॉ. हरिशंकर तिवारी। तुम्हें कभी उनसे मिलने की इच्छा नहीं होती?

बलिअरे मिलूँगा कैसे? वो मर गए ना!

शंभुमर गए! कैसे?

 

बलिपता नहीं! मैंने तो गाँव छोड़ दिया था ना, उसी समय उनकी मृत्यु हो गई थी। जब बहुत समय बाद मैं वापस गया तो कोई बता रहा था कि तिवारी एक दिन सुबहसुबह रोड क्रॉस कर रहे थे। तभी एक बिल्ली ने उनका रास्ता काट दिया।

 

गौतमबिल्लीवो तो अशुभ होता है.. फिर..

बलिहाँतिवारी जी तो बीच सड़क पर रुक गए और इंतज़ार करने लगे कि जब तक कोई दूसरा सड़क क्रॉस कर ले तब तक वो रोड क्रॉस नहीं करेंगे। वो वहीं खड़े रहे।

 

गौतमफिर।

बलिफिर क्या वो इंतज़ार करते रहे।

गौतममतलब कोई आया नहीं?

बलिगाँव में सुबह लोग कम ही निकलते हैं ना।

गौतमफिर?

बलिफिर एक ट्रक निकला।

गौतम तो वो कुचल कर मर गए.. देखा बिल्ली..

बलिनहीं…  ट्रक एकदम बगल से निकला और तिवारी जी की साँस रुक गई।

 

गौतमअरे बाबा रे

शंभुहाँहाँ

गौतमहाँ डर लगे तो गाना गाओ, भूख लगे तो खाना खाओ।

बलिअरे भई तुझे क्या हुआ?

 

गौतममरे हुए लोगों की ज़्यादा बात नहीं करते, वरना वो जाते हैं। जैसे चुड़ैल का तीन बार नाम लो तो जाती है ना!

बलिकिसका?

गौतमचुड़ैल का।

 

शंभुकिसकी बात कर रहा है?

गौतमअरे वो होती है ना चुड़ैल

बलिशंभुशंभुशंभुले लिया तीन बार नाम ले लिया।

 

बलिअब चुड़ैल आएगीहूहू मैं चुड़ैल हूँ।

गौतमअरे बाप रे! डर लगे तो गाना गाओ, भूख लगे तो खाना खाओ। अब तो पूजा करनी होगी, नींबू काटना पड़ेगा। (गौतम चला जाता है)

 

शंभुअरे ये चुड़ैल का नींबूपानी मुझे ना पिला दे, सच में मुझे आश्चर्य होता है कि सच में क्या तुम्हें किसी की याद नहीं आती!

 

बलिहाँ याद आयामुझे कभीकभी अपनी चवन्नी की याद आती है।

शंभुदेखो मेरे सामने लड़कियों की बातें मत करो।

 

बलिनहीं मैं वो अठन्नीचवन्नी वाली चवन्नी की बात कर रहा हूँ। क्या हुआ कि जब मैं छोटा था ना, तो मेरे पिताजी ने मुझे चवन्नी दी थी और कहाजा जैसे चाहे खर्च करना है, कर। शंभु जी, उस वक़्त चवन्नी का मिलना! मैं उसे लिए कई दिनों तक घूमता रहा। प्लान बनाता रहा, सपने देखता रहा कि कहाँ किसी बड़ी जगह खर्च करूँगा, पर कुछ समझ में नहीं आया।

 

तो मैंने सोचा अभी मैं बहुत छोटा हूँ। जब बड़ा हो जाऊँगा तो बड़ी जगह खर्च करूँगा इसे। तो मैंने उस चवन्नी को अपने घर की एक टूटी दीवार में छिपा दिया। कभीकभी उसे निकालकर देख लेता था कि ठीकठाक रखी है। कुछ समय बाद पिताजी ने पूरे घर का प्लास्टर करवा दिया। चवन्नी अंदर दब गई, पर मैंने किसी को कुछ नहीं बताया। क्योंकि मुझे पता था, मैं जब चाहूँ वो चवन्नी निकाल सकता हूँ।

 

बल्कि अब तो चवन्नी ज़्यादा सुरक्षित थी। फिर मैं बड़ा हो गया, पिता जी मर गए और सारे घर की ज़िम्मेदारी मुझ पर आई। पर मैंने उस चवन्नी को नहीं निकाला। अभी भी वो चवन्नी उसी दीवार में पड़ी हुई है। मैं जब चाहूँ उसे निकाल सकता हूँ पर मैंने नहीं निकाला। उसी चवन्नी की कभीकभी याद जाती है।

 

शंभुअरे झिलमिल जी आइएआइए।

बलि– (बलि नकल करते हुए) अरे झिलमिल जी आइएआइए।

शंभुदेखिएदेखिए।

बलिदेखिएदेखिए। हँ

 

झिलमिलअरे बलि जी, हम जब पकौड़े खाने जाते हैं तब आप ये बात मुझे नहीं बताते।

बलिअरे आप कब आईं?

झिलमिलअभी, जब आप वो चवन्नी वाली बात सुना रहे थे। शंभु जी कैसे हैं?

शंभुठीक हूँ।

झिलमिलआपकी दवाई लाई थी।

शंभुवो तो है मेरे पास।

झिलमिलअच्छा, वो दवाई खाई आपने?

शंभुपर अभी तो किसी दवाई का समय नहीं है। क्या बात है? कुछ कहना चाहती हो, कहो?

 

झिलमिलशंभु जी, असल में

बलिएक मिनटझिलमिल जी, पहले हम पकौड़े खाने चलें, फिर शंभु जी तो यहीं हैं। आप उसके बाद बात कर लेना।

 

झिलमिलबलि जी, मुझे कुछ ज़रूरी बात करनी है।

बलिआपने ही कहा था कि आप कुछ अच्छी ख़बर सुनाने वाली हैं आज। इसलिए मैंने सोचा, चलो ठीक है।

 

झिलमिलअच्छा वो तो ठीक है, पहले अच्छी ख़बर सुना देती हूँ।

बलियहाँ, शंभु जी के सामने?

झिलमिलहाँ ! क्यों? असल में बात ये है कि

बलिठहरिए, मैं पीछे खड़े होकर सुनता हूँ। मुझे शर्म आती है। थोड़ा तेज़ बोलना।

 

झिलमिलबात ये है कि सब कुछ तय हो गया है और अगले महीने मैं शादी कर रही हूँ। (बलि भीतर चला जाता है।)

शंभुदेखिए ख़ुशी के मारे अंदर चला गया। ये तो बहुत अच्छी ख़बर है, मिठाई होनी चाहिए।

 

झिलमिलमिठाई मैं लाई नहीं हूँ, पर शंभु जी

शंभुकोई बात नहीं, लीजिए मुँह मीठा कीजिए
(
डिब्बे से चॉकलेट निकालता है।) क्या बात है?

झिलमिलमुझसे एक ग़लती हो गई है।

शंभुग़लती तो सब करते हैं।

 

झिलमिलपर ये ग़लती मैंने जानबूझकर की है।

शंभुदेखिए, हम बूढ़े लोग बरगद की तरह होते हैं। कोई भी आकर अपने मन की बात उनसे कह सकता है।

 

झिलमिलऔर अगर बात बरगद के बारे में ही हो तो?

शंभुमतलब?

झिलमिलमैंने शुभांकर को आपसे मिलने की इजाज़त दे दी है। वो अगले हफ्ते आपसे मिलने रहा है।

शंभुदेखिए झिलमिल जी

 

झिलमिल
नहीं, आप अभी मत बोलिए। पहले मेरी बात सुनिए, फिर आपको जितना डाँटना हो डाँट लीजिएगा। वहाँ उसका फोन आता है। यहाँ आप मुझे डाँट देते हैं। मैं आप दोनों के बीच फँस गई हूँ। और मुझे नहीं लगता है कि मैंने कुछ ग़लत किया है, वो out of india जा
रहा है, हमेशा के लिए। और एक बार आपसे मिलना चाहता है। उसका हक़ बनता है। वो दो साल से इसकी कोशिश कर रहा है। सो मैने हाँ कर दिया। बताइए, ग़लत किया? बोलिए?

 

शंभुआह! (शंभु को दिल का दौरा पड़ता है..)

झिलमिलशंभु जी! शंभु जी!

 सीन– 7

(बलि अखबार पढ़ रहा है.. और शंभु अपने पलंग पर सो रहा है।)

बलिशंभु जी! शंभु जी! इतनी देर तक तो आप सोते नहीं हैं। उठिए भई, शंभु जी शंभु जी शंभु जी
(
बलि घबराकर शंभु के पास जाता है, उसे लगता है शंभु जी मर गए।)

 

शंभुज़िंदा हूँ, ज़िंदा हूँ। ऐसे चिल्लाओगे तो शायद मर जाऊँ।

बलिनहीं, मुझे लगा आप निकल लिए।

 

शंभुपानी देना।

बलिकल शुभांकर आने वाला है। कौन है ये?

शंभुमैंने कभी उसे देखा नहीं। मैं मिला भी नहीं हूँ उससे।

बलिफिर आप डरते क्यों हैं? वैसे झिलमिल जी ने मना किया था कि आपसे उसके बारे में बात करूँ, पर अब तो हम दोस्त हैं। हैं कि नहीं?

शंभुहाँ।

 

बलिबस फिर क्या है, देखो मेरे पास एक प्लान है! हम दोनों दरवाज़े के पीछे छुपे रहेंगे और जैसे ही वो अंदर आएगा, मैं उससे पूछूँगाआप कौन? जैसे ही वो बोलेगा शुभांकर, आप पीछे से उसके ऊपर कंबल डाल देनापर शुभांकर बोलने का मौक़ा उसे देना, वरना बेकार में गौतम फिर से पिट जाएगा। इधर आपने कंबल डाला, उधर उसकी कंबल कुटाई शुरू। कंबल कुटाई जानते हैं ना आप?

 

शंभुमुझे नहीं लगता कि मैं तब तक रुक पाऊँगा।

बलिक्यों आप पहले ही शुरू हो जाएँगे?

 

शंभु
नहीं, मेरी बात सुनो। मैं नहीं जानता ये शुभांकर कौन है। मेरी बेटी तितली, बस उसी के मुँह से सुना था मैंने उसके बारे में। ये दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे। ये बात मुझे बहुत देर बाद पता लगी, जब तितली ने कहा कि वो उससे शादी करना चाहती है। मैं और मेरी बेटी इतने सुखी थे।

 

ये कौन गया? कब गया? कैसे तितली अचानक मुझे छोड़कर जाना चाहती है। उस वक़्त एकदम से मैं ये सब बर्दाश्त नहीं कर पाया और मैंने तितली को मना कर दिया। वो मेरी ज़ि जानती थी। पर ये मेरी ज़ि नहीं थी। मैं उसे वक़्त ये सब एकदम से सहन नहीं कर पाया, शायद मैं शुभांकर से मिलतापर उसने मुझे दूसरा मौक़ा नहीं दिया।

 

कुछ समय बाद वो उसके साथ चली गई। उन्होंने शादी कर ली और वो कहीं घूमने चले गए। मैं अकेला रह गया। सोचा जब तितली वापस आएगी तो थोड़ा ग़ुस्सा होऊँगाथोड़ा नहीं बहुत ग़ुस्सा होऊँगा पर फिर मान जाऊँगा। फिर एक दिन खबर आई कि शुभांकर और तितली जिस कार में थे, उस कार का accident हो गया है जिसमें शुभांकर बच गया और तितलीतितली, मेरी फूल सी बच्ची मर गई।

 

मैं अकेला रह गया। तितली की माला टँगी हुई फोटो को देखने की हिम्मत मैं नहीं जुटा पाया। और सब कुछ छोड़कर मैं यहाँ गया। मुझे शुभांकर से कोई लेनादेना नहीं है, पर उसने एक झटके में मुझसे मेरा सबकुछ छीन लिया।

 

क्यों वो मेरे पीछे पड़ा है? मुझे नहीं मिलना है उससे! मेरी बेटी, मुझसे प्यार करती थी, अभी भी करती है। वो मेरे पास है मेरी बेटी, मुझसे मिलने को आती है। हम घंटों एकदूसरे से बातें करते हैं और शुभांकर ये सुख भी मुझसे छीनना चाहता है।

 

बलिनहीं आएगा वो। आप उसके बारे में मत सोचिए। पानी पीजिए। आपने दवाई खाई? कौन सी दवाई है? मैं झिलमिल जी से पूछ के आता हूँ।

शंभुअच्छा बहाना है, झिलमिल जी से मिलने का।

 

बलिअरे नहीं शंभु जी, उसकी शादी होने वाली है। इतना बुरा नहीं हूँ मैं।

शंभुसुनो, कम से कम वही बता दो।

 

बलिक्या?

शंभुअरे वही।

बलिवही क्या?

 

शंभुतिवारी जी ड्राइवर से डॉक्टर कैसे बने?

बलिहाँ, आप अभी तक वहीं अटके हुए हैं! नहीं वो मैं आपको तब बताऊँगा जब आप एकदम ठीक हो जाएँगे।

शंभुअच्छा चलो तिवारी जी के बारे में ही कुछ बताओ, कम से कम कुछ हँस लूँ।

 

बलितिवारी जी! तिवारी की एक इच्छा थी। उसके बारे में बताता हूँ। हरिशंकर तिवारी जी असल में

शंभुडॉ. हरिशंकर तिवारी बोल, वरना वो नाराज़ हो जाएँगे।

 

बलिअरे हाँ, माफ़ कीजिएगा! तिवारी जी आपके नाम के आगे डॉ. लगाना भूल गया। तिवारी जी असल में प्रसिद्ध होना चाहते थे। जो वो हुए नहीं। तो वो ऐसी चीज़ को देखना चाहते थे जो प्रसिद्ध हो। तो उन्होंने तय किया कि वो ताजमहल देखने जाएँगे। नज़दीक से उसे छूएँगे। क्यों वो इतना प्रसिद्ध है? क्यों उसे देखने दूरदूर से लोग आते हैं? जबकि उन्हें देखने कोई नहीं आता?

 

शंभुक्यों आप तो थे?

बलिअरे मैं बहुत छोटा था उस वक़्त। मुझे तो वो कोई गिनती में भी नहीं रखते थे। तो उन्होंने तय किया कि वो पहले शिरडी जाएँगे। मन्नत माँगेंगे कि वो ताजमहल देखना चाहते हैं और अगर मन्नत पूरी हुई और उन्होंने ताजमहल देख लिया तो वापस शिरडी जाकर भगवान को धन्यवाद देंगे।

शंभुअरे अजीब है! दो बार शिरडी जाएँगे, उससे अच्छा एक बार ताजमहल देख लें।

 

बलिवही तो! मैंने उनसे कहा तो वो कहने लगे, अगर मैं सीधे आगरा चला गया और ताजमहल देख लिया तो किसको बताऊँगा कि मैंने ताजमहल देख लिया? इसलिए वापस शिरडी जाकर भगवान को बोलूँगा कि भगवान! ताजमहल देखा, अच्छा लगा।

 

शंभुतो उन्होंने ताजमहल देखा?

बलिजब तक मैं था तब तक वो शिरडी जाने के पैसे ही जमा कर रहे थे।

शंभुअब मैं सोना चाहता हूँ।

बलिलाइट ऑफ कर दूँ?

शंभुतुम्हारे साथ तो कैसे भी सोने की आदत पड़ गई है। बलि जी, एक चाय मिलेगी?

 

बलिहाँ क्यों नहीं? (बलि अंदर जाता है, तितली की आवाज़ आती है.. वो एक शेडो में हमें दिखती हैसपने सी.. सुंदर)

 

तितलीमैंने एक परी से कहा कि मुझे एक ऐसी परीकथा सुनाओ जिसे सुनकर मेरी बेटी को अपनी परी मिल जाए। वो परी हँसने लगी और उसने कहा ठीक है, मैं एक ऐसी परी की कहानी सुनाती हूँ, जो एक दिन ग़ायब हो गई थी।

 

(बलि चाय लेकर आता है। शंभु मर चुका है)

बलिशंभु जी, चायशंभु जी, चायशंभु जी?

(Black
Out)
तितली की परछाई पीछे दिखाई दे रही है।

 

सीन– 8

झिलमिलआज शाम को शुभांकर रहा है। अच्छा ही है, कम से कम शंभु जी का सारा सामान उसको दे देंगे। उसी का हक़ बनता है।

 

बलिइस बात पर मैं आपसे लड़ सकता हूँ। उनका सूटकेस तो मैं ही रखूँगा। बाक़ी सामान आप उसे दे सकती हैं।

 

झिलमिलउसे यहाँ आकर कितना बुरा लगेगा। काश! एक दिन पहले जाता, उसका कोई नंबर भी नहीं है कि उसे इन्फ़ॉर्म कर सकूँ।

बलिअच्छा ही है, पता नहीं शंभु जी उसे देखकर उसका क्या करते और उनके बीच में मैं अपना क्या करता!

झिलमिलआपसे एक फेवर चाहिए।

 

बलिकहने की ज़रूरत नहीं है। आपकी शादी में पूरा काम करूँगा।

झिलमिलअरे नहीं, आज शाम को सब लोग रहे हैं। अच्छा ही है, मैं ऐसे शुभांकर से मिलना नहीं चाहती थी। आप संभाल लेंगे?

बलिआप रहें या ना रहें, संभालना तो मुझे ही पड़ेगा। आप जाइए।

झिलमिलकोई तकलीफ़ हो तो गौतम को भिजवाकर मुझे बुलवा लीजिएगा। अच्छा नमस्ते!


बलिझिलमिल जी आपसे एक बात कहनी थी। जब बहुत समय बाद मैं तिवारी जी से मिला तो देखा उनके घर के सामने भीड़ लगी थी। पता किया तो पता चला कि वो घर पर ही पढ़ाई करके हौम्योपैथिक के डॉक्टर हो गए हैं। और गाँव के लोगों का फ्री इलाज करते हैं। फ्री के डॉक्टर।

 

झिलमिलजी।

बलिअरे, ड्राइवर से डॉक्टर! वो शंभु जी और मेरी बात थी, उन्हें बता नहीं पाया। बस बताना था, ठीक है

(झिलमिल जाती हैबलि शंभु के बेड के पास आकर खड़ा हो जाता है।)

 

सीन– 9

(शुभांकर खाली कमरे में प्रवेश करता है.. पूरा कमरा देखता है….
तभी  बलि उसे पीछे से डरा देता है।)

बलिबौं! क्यों डर गया?

शुभांकरओह! आप?

बलितुम? मुझे लगा गौतम है।

शुभांकरमैं शुभांकर।

बलिशुभांकर! तुम जल्दी गए।

 

शुभांकरमैं जल्दी गया। मैं तो और भी जल्दी आना चाहता था।

बलिआओ बैठो (बलि अंदर जाता हैशुभांकर शंभु के पलंग पर जाकर बैठ जाता हैबलि भीतर से पूछता है।) चाय, चाय पिओगे?

शुभांकरनहीं, कुछ नहीं। (शुभांकर तितली की फोटो देखता है.. बलि पानी लेकर प्रवेश करता है।)

बलितितली है।

 

शुभांकरमेरी बीवी है।

बलिअच्छा, अभी भी है? मुझे लगा तुमने दूसरी शादी कर ली होगी। भई दो साल काफ़ी वक़्त होता है।

(वक़्फा…)

 

बलिकब जाओगे?

शुभांकरयहाँ से? बस

बलिनहीं, मतलब तुम्हारी फ़्लाइट कब है?

शुभांकरआज रात में।

 

बलिऔर घर में बाक़ी सब कैसे हैं?

शुभांकरघर में कोई नहीं है, मैं अकेला हूँ।

बलिकुछ खाओगे?

 

शुभांकरनहीं।

बलियहाँ कुछ नहीं है, बाहर से मँगाना पड़ेगा।

शुभांकरमुझे कुछ नहीं चाहिए। कुछ भी नहीं।

बलिये कुछ चीज़ें हैं, इन्हें तुम रख लो।

 

शुभांकरये सब आप मुझे क्यों दे रहे हैं?

बलिमैं क्या करूँगा इनकाऔर एक सूटकेस है।

शुभांकरहाँ सूटकेस।

बलिवो मैं आपको नहीं दूँगा, वो मेरा है।

 

शुभांकरहाँ, तितली ने बताया था मुझे, पापा का सूटकेस

बलिउसके बारे में आप बात मत करिए, वो मैं आपको नहीं दूँगा।

शुभांकरनहीं चाहिए, वो आपका ही है।

बलितब ठीक है। (शुभांकर घड़ी देखता है।)

शुभांकरबस थोड़ी देर में निकलूँगा।

 

बलिथोड़ी देर है तो मैं चाय पी लूँ?

शुभांकरहाँ, आप, आप चाय पी लीजिए।

बलिठीक है। देखो मुझसे ये बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मैं तुम्हें बता दूँ कि

शुभांकरमैं भी आपको बताना चाहता हूँ।

 

बलिबोलो

शुभांकरमैं, मैं निकलता हूँ। अच्छा नमस्ते! (शुभांकर निकलता है पर दरवाज़े पर जाकर रुक जाता है।)

बलिठीक है, क्या हुआ?

 

शुभांकरमैं आपको एक बात बता दूँ कि मैं तितली को बहुत प्यार करता हूँ। ये दो साल मैंने कैसे बिताए हैं, मैं ही जानता हूँ। मैं हर जगह हज़ारों बार जा चुका हूँ, जहाँ हम मिला करते थे। पिछले दो सालों से मैं वहीवही बारबार वैसा का वैसा जी रहा हूँ। मैं बहुत तकलीफ़ में जिया हूँ। और कोई भी नहीं था, जिससे मैं ये सब बता सकता। आज आप… (पलटता है।) शंभुजी आप एक बारशंभु जी आप एक बार मुझसे मिल लेते। मैं बस आपके साथ रोना चाहता था.. शंभु जी..

 

बलिबैठो बैठो। मैं तुमसे एक बात कह दूं कि.. मैं

शुभांकरमैंने आपको इतने सारे लैटर लिखे। आपने एक का भी जवाब नहीं दिया। आपने वो लैटर पढ़े ही नहीं। क्यों? एक लैटरएक लैटर खोलकर तो देखते, वो सारे लैटर मैंने आपको तितली बनकर लिखे थे। इतना जानता था मैं आपकी बेटी को, आप एक लैटर भी पढ़ते तो मुझसे ज़रूर मिलने आते। मुझे पता है आप मुझसे क्यों नहीं मिलना चाहते थे, पर मुझे माफ़ कर दीजिए और तितली ने कहा था वो आपको मना लेगी। हम लोग रोज़ आपको मनाने के नएनए तरीक़े खोजते थे। एक दिन तो

 

बलिबेटा, मुझे ख़ुद नहीं पता मैं तुमसे क्यों नहीं मिल पाया। तितली का जाना मैं शायद बर्दाश्त नहीं कर पाया इसलिए सब कुछ छोड़कर यहाँ गया। और तुम्हारे लैटर, मुझसे मत पूछो क्यों नहीं पढ़े। मैं बदल गया हूँ। अजीब हो गया हूँ। मुझे माफ़ कर दो।

 

शुभांकरनहीं, मैं माफ़ी चाहता हूँ। मैं शायद ज़्यादा बोल गया।

बलिनहीं नहीं, अच्छा किया जो तुमने सब बोल दिया।

शुभांकरअच्छा, मुझे देर हो रही है, मैं जाता हूँ।

बलिठीक है।

 

शुभांकरमैंने आपसे आपका सब कुछ छीन लिया, मैं जानता हूँ। मुझे लगा सबकुछ ठीक हो जाएगा, पर कुछ भी ठीक नहीं हुआ।

बलिअब सब ठीक हो गया है। मैंने तुम्हें माफ़ कर दिया। तुम भी मुझे माफ़ कर देना।

 

शुभांकरअरे हाँ! जिसके लिए मैं आपसे मिलना चाहता था, वो तो आपको देना ही भूल गया। ये, ये तितली आपको देना चाहती थी।

 

बलिक्या है?

शुभांकरजिसके लिए मैं आपसे मिलना चाहता था। (एक कैसेट निकालकर देता है। बलि उसे ले लेता है।)

बलिठीक है।

शुभांकरसुन लीजिए।

बलिअभी?

 

शुभांकरहाँ! (बलि कैसेट टेपरिकार्ड में लगाता है और प्ले बटन दबाता है। तितली की आवाज़ आती है।)

 

तितलीहैलो पापा! मुझे पता है आप मुझसे नाराज़ होंगे। मैं आऊँगी और झट से आपको मना लूँगी। पर मुझे पता है आपको नींद तो आती नहीं है। तो जब तक आप नाराज़ हैं ये परी की कहानी सुनकर सोना। ठीक है? एक परी थी

 

(बलि बीच में ही रोक देता है।)

बलिमैं बाद में सुन लूँगा, ठीक है।

शुभांकरमैंने इसकी एक कॉपी अपने पास रख ली है। अगर आपको एतराज़ ना हो तो?

बलिये सबकुछ तुम्हारा है।

शुभांकरचलता हूँ।

(शुभांकर जाता है)

बलि– (शंभु के बिस्तर के पास आकर) शंभु! तुम्हें शुभांकर से एक बार मिल लेना चाहिए था। खैर मैं उससे मिल लिया।

(गौतम आता है)

 

गौतमबलि जी, मैंने वो उसे रिक्शा दिला दिया। अभी गया वो

बलिकौन?

गौतमशुभांकर, शुभांकर ही था ना वो?

बलिहाँ, तुम्हें कैसे पता?

 

गौतमअरे जब वो रहा था ना तो बाहर मिला मुझे। मुझसे पूछाशंभु जी कहाँ हैं? मैंने पूछाआप कौन तो उसने बताया शुभांकर। मैंने कहा तुमने आने में देर कर दी, शंभु जी तो मर चुके हैं।

बलितुमने बता दिया था उसे?

गौतमहाँ, और उसने तो मुझे पैसे भी दियेपता नहीं अजीब

बलिगौतम तुम अभी जाओ यहाँ से!

 

(गौतम निकलता हैबलि टेप का बटन दबाता है, परिकथा शुरू हो जाती है। बलि परिकथा सुनते हुए शंभु के बेड पर लेट जाता है।)

 

तितली– (रिकार्डेड आवाज़) मुझे एक ऐसी परिकथा सुनाओ, जिसे सुनकर मेरी बेटी को अपनी परी मिल जाए। वो परी हँसने लगी और उसने कहाठीक है। मैं एक ऐसी परी की कहानी सुनाती हूँ जो एक दिन ग़ायब हो गई थी और फिर कभी नहीं मिली। वो बहुत ख़ूबसूरत परी थी। जिस दिन वो ग़ायब हो गई थी, परी देश में सभी परेशान हो उठे।

 

कैसे गई, कहाँ गई, क्योंकि ऐसे ही कोई परी ग़ायब नहीं होती। उसे ढूँढने का काम मुझे सौंपा गया, क्योंकि हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। मैं धरती पर उस आदमी की तलाश करने लगी, जिनकी वो परी थी। बहुत समय बाद वो मिला पर परी उसके पास नहीं थी। जानते हो क्या हुआ थाउस आदमी ने एक बार किसी से कह दिया था कि मैं परियों में विश्वास नहीं करता और उसकी परी मर गई थी।

        The End             

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Engr. Maqbool Akram

I am, Engineer Maqbool Akram (M.Tech. Mechanical Engineer from AMU ), believe that reading and understanding literature and history is important to increase knowledge and improve life. I am a blog writer. I like to write about the lives and stories of literary and historical greats. My goal is to convey the lives and thoughts of those personalities who have had a profound impact on the world in simple language. I research the lives of poets, writers, and historical heroes and highlight their unheard aspects. Be it the poems of John Keats, the Shayari of Mirza Ghalib, or the struggle-filled story of any historical person—I present it simply and interestingly.
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