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O P Nayyar ki Cadillac mein ghoomne wali Asha Bhonsle ki adhoori musical love story

बॉलीवुड
में पचास-साठ के दशक के कुछ ऐसे गाने हुए हैं, जो आज की जनरेशन की भी जुबान पर चढ़
जाते हैं। सच तो ये है के आज कोई भी उस दौर के संगीतकारों का मुकाबला नहीं कर सकता।
उन्हीं में से एक थे ओपी नैय्यर, जो उस दौर में मात्र 25-26 साल की उम्र में बतौर फिल्म
संगीतकार मुंबई में अपनी किस्मत आजमा रहे। उनका पूरा नामओमकार प्रसाद नैय्यर हैं। नैय्यर
साहब का जन्म 16 जनवरी, 1926 को लाहौर में हुआ था।

Asha Bhosle

 

ओ.पी. के नैय्यर कुछ प्रसिद्ध गाने

आओ
हुज़ूर तुमको सितारों में ले चलूं (किस्मत), आंखों ही आंखों में इशारा हो गया (सीआईडी),
चैन से हमको कभी आपने जीने न दिया, चल अकेला (संबंध), आप यूं ही अगर हमसे मिलते रहे,
मेरा नाम है चिन-चिन चूं (हावड़ा ब्रिज), बाबू जी धीरे चलना (आर-पार), उड़े जब-जब ज़ुल्फ़ें
तेरी (नया दौर), ‘लाखों हैं यहां दिलवाले, जैसे गाने ओपी नैय्यर की याद दिलाते हैं।

 

फ़ीस के तौर पर एक लाख रुपए चार्ज करने वाले
पहले भारतीय संगीतकार ओपी नैय्यर ने 81 साल की उम्र में 28 जनवरी, 2007 को दुनिया को
अलविदा कर दिया था।

 

पी नैयर और आशा भोसले की यह अधूरी प्रेम कहानी: नैयर साहब की बर्बादी का कारण भी बन गया।ओ पी नैयर साहब और आशा भोंसले का प्रेम संबंध 14 सालों तक चला

O P Nayyar

 आशा
भोंसले और ओ पी नैय्यर साहब बॉलिवुड के बेहद सम्मानित सदस्य माने जाते हैं लेकिन इन
दोनों की जोड़ी को एक संगीत निर्देशक और गायिका के रिश्ते से अलग प्रेम-पंक्षियों की
तरह देखने वालों की भी कमी नही है। कई लोग मानते हैं कि दोनों के बीच अफेयर रहा है

 

खुद ओ पी नैय्यर ने यह बयान दिया था कि “मोहब्बत में सारा जहां
लुट गया था..” दरअसल इन शब्दों में ओ पी अपनी सबसे पसंदीदा पार्श्व गायिका (आशा भोंसले)
के साथ अपने संबंधों की बात कर रहे थे।लेकिन इन दोनों की हिट जोड़ी भी साल 1972 में
टूट गई और ओ पी और आशा भोंसले ने कभी भी साथ न काम करने का फैसला किया, और उसके बाद
उन्हें कभी भी एक छत के नीचे एक साथ नही देखा गया

 

आशा के पिता दीनानाथ मंगेशकर मशहूर थिएटर एक्टर और क्लासिकल सिंगर थे। जब आशा ताई 9 साल की थीं तब उनके पिता का देहांत हो गया था। इस वजह से उन्होंने अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर के साथ मिलकर सिंगिंग और एक्टिंग शुरू कर दी थी।

Asha Bhonsle—O P Nayyar

 

मशहूर सिंगर की बेटी होने के बावजूद आशा को अपने करियर की शुरुआत में काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। उस जमाने में गीता दत्त, शमशाद बेगम और लता मंगेशकर का खूब नाम हुआ करता था।

जब ये तीनों कोई गाना छोड़ देते तो वो आशा भोसले को दिया जाता था। यही कारण है कि 50 के दशक में वैम्प्स, बैड गर्ल्स या सेकंड ग्रेड की फिल्मों के ज्यादातर गाने आशा ताई ने गाए हैं।

 

दोनों बहनें मिलकर परिवार का खर्च उठाती थीं। आशा जी ने 1943 की मराठी फिल्ममाझा बलमें पहला गीतचला चला नव बालागाया था। वहीं 1948 में हिंदी फिल्मों में हंसराज बहल की फिल्मचुनरियामें पहला गीतसावन आयागाया था।

 

आशा ताई की पर्सनल लाइफ में भी कई तूफान आए। उन्हें 16 साल की उम्र में लता मंगेशकर के 31 साल के पर्सनल सेक्रेटरी गणपत राव भोसले से प्यार हो गया था।

 

घर वालों के खिलाफ जाकर उन्होंने गणपत राव से शादी कर ली थी। इस कारण उन्हें अपना घर भी छोड़ना पड़ा था। शादी के कुछ दिन तो अच्छे से बीते लेकिन फिर गणपत और उनके भाई आशा को पीटने लगे।

 

गणपत के परिवार वाले आशा को उनके घर के किसी भी सदस्य से मिलने नहीं देते थे। उन्होंने कई बार लता दीदी से मिलने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुईं। जब ये सब उनके बर्दाश्त से बाहर हो गया तो

 

1960 में वो दो बच्चों के साथ अपनी मां के घर गईं। उस समय भी आशा प्रेग्नेंट थीं। आशा जी के बड़े बेटे का नाम हेमंत था जिनका निधन हो चुका है। भोसले की बेटी वर्षा ने 8 अक्टूबर 2012 में सुसाइड कर लिया था। आशा ताई के सबसे छोटे बेटे आनंद भोसले इन दिनों उनकी देखभाल कर रहे हैं।

Asha Bhonsle and R D Barman

 

मां के घर आने के बाद आशा ने फिर से गाना शुरू किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात राहुल देव बर्मन यानी आरडी बर्मन से हुई। दोनों ने बहुत से गाने साथ में गाए। इसके बाद 1980 में दोनों ने शादी कर ली।

आरडी बर्मन, आशा जी से 6 साल छोटे थे।दोनों की ही एक शादी टूट चुकी थी। लेकिन ये शादी सफल रही और आरडी बर्मन ने अपनी आखिरी सांस तक आशा का साथ दिया।

O P Nayyar

 

लता
जी के साथ काम ना करने की कसम

बात उन दिनों की है जब फिल्म
“आसमान
की
शूटिंग हो रही थी। फिल्म में एक गीत को फिल्म की सहनायिका पर फिल्माया जाना था और इस
गाने की आवाज होनी थी लता जी की ।लता मांगेशकर को यह बात रास नहीं आई कि उनका गीत किसी
सहनायिका पर फिल्माया जाए ।

Asha Bhonsle with Elder sister Lata Mangestar

 उस समय लता जी एक बहुत बड़ी
गायिका मानी जाती थीं।लता ने ओ पी के लिए इस गीत को गाने से साफ इनकार कर दिया और जब
नैय्यर साहब तक ये बात पहुंची, तो उन्होंने भी एक दृढ़ निश्चय किया, कि वो अपने कॅरियर
में कभी भी लता के साथ काम नही करेंगे।

 

लता मंगेशकर
के साथ काम ना करने के फैसले के बाद ओपी नैय्यर ने अपनी फिल्मों में गीता दत्त, शमशाद
बेगम और आशा भोंसले से प्लेबैक सिंगिंग कराई।

 

शुरूआती नाकामी के बाद ओपी
नैय्यर के गानों की वजह से ही आशा भोंसले को इंडस्ट्री में वो पहचान मिल पाई। खास है
फिल्म नया दौर, जिसमें ‘मांग के साथ तुम्हारा
,
‘रेशमी सलवार कुर्ता
, ‘उड़े जब-जब जुल्फें तेरी
जैसे
हिट गानों ने आशा भोंसले को एक नया रास्ता दिखाया। इन दोनों की जोड़ी में बने तमाम
गीतों ने सफलता के नए आयाम छुए ।

 

ओ.पी
नैय्यर की धुनों में आशा भोंसले की आवाज निखर कर सामने आई और दोनों की जोड़ी ने एक
से बढ़कर एक लोकप्रिय गाने दिए.आज भी कई लोग मानते हैं कि आशा भोंसले ओपी नैय्यर साहब
की ही खोज हैं. ऐसा लगता था कि नैय्यर साहब आशा जी के लिए विशेष धुन बनाते हों, जिन्हें
आशा बिना किसी मेहनत के गा लेती थीं।

 

आशा को आशा भोसले बनाने का श्रेय अगर किसी को दिया जा सकता है तो वो थे पी नैयर

 उन्होंने आशा की आवाज की रेंज का पूरा फायदा उठाया। कई फिल्मों में एक साथ काम करने के दौरान नैयर साहब और आशा भोसले काफी करीब गए लेकिन यही प्रेम संबंध नैयर साहब की बर्बादी का कारण भी बन गया।

 

1958
से लेकर 1972 तक नैयर और आशा भोसले का प्रेम संबंध आगे बढ़ता रहा। एक शादीशुदा शख्स, जिसके चार बच्चे हैं और एक तलाकशुदा महिला यानी आशा भोसले खुलेआम बंबई में घूमा करते थे। जाहिर है उस जमाने में हिंदी सिनेमा के लिए ये काफी सनसनीखेज बातें थीं।  पी नैयर का आशा भोसले के साथ प्रेम संबंध 14 सालों तक चला। 

 

पी नैयर की कैडलक कार में घूमने वाली आशा भोसले ने 1972 में अपने जीवन के इस संगीतमय अध्याय को खत्म करने का फैसला किया।14
साल के रिश्ते के बाद रचाई किसी और से शादी

पी नैयर की आशा भोंसले के प्रति आसक्ति इस हद तक थी कि एक बार उन्होंने बिना कोई शब्द कहे गीता दत्त का फ़ोन रख दिया था। गीता दत्त ने सिर्फ़ ये पूछने के लिए फ़ोन किया था कि मैंने ऐसी क्या ख़ता की कि अब आप मुझे गाने के लिए नहीं बुलाते?”

 

ये वही गीता दत्त थीं, जिन्होंने पी नैयर की पहले पहल गुरु दत्त से सिफ़ारिश की थी। पी नैयर का आशा भोंसले के साथ प्रेम संबंध 14 सालों तक चला। एक ज़माने में पी नैयर की कैडलक कार में घूमने वाली आशा भोंसले ने 1972 में अपने जीवन के इस संगीतमय अध्याय को ख़त्म करने का फ़ैसला किया।

 

इसके बाद आशा भोंसले और ओपी नैयर ने एक छत के नीचे कभी क़दम नहीं रखा. लेकिन इससे पहले उन्होंनेप्राण जाए पर वचन जाएफ़िल्म के लिए एक गाना रिकॉर्ड किया, जिसे 1973 का फ़िल्म पुरस्कार मिला।आशा उस समारोह में नहीं गईं. ओपी नैयर ने उनकी तरफ़ से ट्रॉफ़ी ली। घर वापस लौटते समय उन्होंने वो ट्रॉफ़ी चलती कार से सड़क पर फेंक दी।

 

नैयर साहब अपनी कार से वापस लौट रहे थे। उनकी कार में गीतकार एसएच बिहारी बैठे हुए थे। सड़क पर उस समय सन्नाटा था। अचानक नैयर साहब ने कार का शीशा नीचा किया और वो ट्राफ़ी फेंक दी जो एक खंबे से टकराई।

 

आखिरी आवाज़ जो उन्होंने सुनी, जैसे कोई चीज़ चूरचूर हो जाती है ।उन्होंने बगल में बैठे हुए बिहारी साहब से कहा कि ये जो आपने ट्रॉफ़ी टूटने की आवाज़ सुनी, इसके साथ ही आशा इज़ आउट ऑफ़ माई लाइफ़फ़ॉर एवर…”

निर्माता रतन मोहन
की फ़िल्मप्राण
जाये पर वचन ना जायेमें पी नय्यर
के संगीत में सारे गीत केवल
आशा भोंसले की आवाज़ में थे। सुनील दत्त, रेखा,
बिन्दु अभिनीत इस फ़िल्म के निर्देशक
प्रसिद्ध लेखक अली रज़ा थे जिनकी
शादी अभिनेत्री निम्मी
से हुयी थी। आशा भोंसले और पी नय्यर
की एक साथ यह आख़री फ़िल्म
थी।

 

आशा भोसले के साथ संबंधों के कारण नैयर साहब के परिवार वालों ने उनसे किनारा कर लिया और एक दिन आशा भोसले भी उनकी जिंदगी से बाहर हो गईं।

जब तक नैयर साहब को अपनी गलती का अहसास होता तब तक नुकसान हो चुका था। उन्होंने 94 में अपना घर, बैंक अकाउंट, कार सब कुछ छोड़ दिया और एक अनजाने परिवार में पेइंग गेस्ट की तरह रहने लगे। लोग बताते हैं कि
वो इस परिवार के साथ काफी खुश रहते थे। दोपहर के खाने के साथ बियर और शाम के खाने के
साथ दो पेग स्कॉच का उनका नियम था। नैयर ने इस नियम को कभी नहीं तोड़ा, न ज़्यादा न
कम।

 

.पी. नैय्यर अपने समय के सबसे महंगे संगीत निर्देशक माने जाते थे

 कहा तो यह भी जाता है कि उनकी फीस फिल्म के हीरो और हीरोइनों से अधिक होती थी ।वो उन दिनों के सबसे महंगे संगीतकार होने के बावजूद उनकी मांग सबसे अधिक थी। 1950 में एक फिल्म में संगीत देने के 1 लाख रुपये लेने वाले पहले संगीतकार थे।

 

फ़ीस के तौर पर एक लाख रुपए चार्ज करने वाले पहले भारतीय संगीतकार ओपी नैय्यर ने 81 साल की उम्र में 28 जनवरी, 2007 को दुनिया को अलविदा कर दिया था।

 

The End

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Engr. Maqbool Akram

Engr Maqbool Akram is M.Tech (Mechanical Engineering) from A.M.U.Aligarh, is not only a professional Engineer. He is a Blogger too. His blogs are not for tired minds it is for those who believe that life is for personal growth, to create and to find yourself. There is so much that we haven’t done… so many things that we haven’t yet tried…so many places we haven’t been to…so many arts we haven’t learnt…so many books, which haven’t read.. Our many dreams are still un interpreted…The list is endless and can go on… These Blogs are antidotes for poisonous attitude of life. It for those who love to read stories and poems of world class literature: Prem Chandra, Manto to Anton Chekhov. Ghalib to john Keats, love to travel and adventure. Like to read less talked pages of World History, and romancing Filmi Dunya and many more.
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