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महान नेपोलियन की बेवफा प्रेमिका पत्नी उम्र मे 6 साल बड़ी विधवा जोसेफिन: नेपोलियन की दूसरी बेवफा पत्नी हैब्सबर्ग आर्चडचेस मैरी लुईस अशांत प्रेम कहानी

by Engr. Maqbool Akram
May 21, 2024
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जैसा कि उनके पत्रों से पता चलता है, नेपोलियन प्रेम–ग्रस्त था। जोसेफिन? इतना नहीं। फिर भी दोनों तरफ के मामलों के साथ, एक गहरा लगाव बढ़ता गया और कायम रहा।

 

नेपोलियन बोनापार्ट और उनकी पत्नी जोसेफिन डी ब्यूहरैनिस के बीच के रिश्ते को सदियों से एक प्रेम संबंध के रूप में देखा जाता रहा है ।

लेकिन यह निःस्वार्थ भक्ति की एक आदर्श तस्वीर के अलावा कुछ भी नहीं था। हालाँकि यह सच है कि जोसेफिन को लिखे फ्रांसीसी नेता के अनगिनत पत्रों में बेतहाशा प्रेम की गहन घोषणाएँ भरी हुई थीं, उनके रिश्ते में लगातार व्यभिचार के कारण खटास आ गई और उनका विवाह अंततः तलाक में समाप्त हो गया।

 

पेरिस में नोट्रे–डेम एक मशहूर जगह है। यहां मेट्रो, बस, ट्रेन, ट्राम ये सारे स्टेशन हैं। पेरिस के बीच में बना नोट्रे–डेम दरअसल एक खूबसूरत मध्यकालीन कैथोलिक कैथेड्रल है।

 

1789
में फ्रांसीसी क्रांति के बाद, नोट्रे–डेम और फ्रांस में पादरी की बाकी संपत्ति को जब्त कर लिया गया और उसे सार्वजनिक संपत्ति बना दिया गया था। लेकिन फ्रेंच गोथिक वास्तुकला से बना इन गिराजाघर नेपोलियन का राजतिलक हुआ था और उसने अपनी प्रेमिका को महारानी का ताज पहनाया था।

फ्रेंच लेखक, विक्टर ह्यूगो ने इस चर्च पर एक पूरा उपन्यास लिख दिया जिसका नाम ही था–नोट्रे–डेम डे पेरिस। अंग्रेजी में ये उपन्यास ‘द हंचबैक ऑफ नोट्रे–डेम’ (नोट्रे–डेम का कूबड़ा) के नाम से जाना जाता है। ये एक मध्यकालीन प्रेम कथा है जो नोट्रे–डेम चर्च के इर्द गिर्द बुनी गई।

 

कहते हैं नेपोलियन के छोटे से शासनकाल के बाद इस चर्च ढहाने की नौबत आ गई थी लेकिन नेपोलियन की सदी में जन्में फ्रेंच लेखक ह्यूगो ने ये उपन्यास लिखकर उपेक्षित पड़े इस चर्च को बचा लिया। इसके बाद जो चर्च बना वह पेरिस आने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गया। 2018 में नोट्रे–डेम में लगी भीषण आग ने इसके एक बड़े हिस्से को बर्बाद कर दिया। जब मैं यहां पहुंचा तो इसे फिर भव्य बनाने का प्रोजेक्ट जोर शोर से चल रहा था।

 

तो इस चर्च के बहाने कहानी शुरू करते हैं नेपोलियन की। क्योंकि नेपोलियन की जिन्दगी की दिलचस्प कहानी सुने बिना आप पेरिस को नहीं समझ सकते। पेरिस शहर के कई महलों और राजप्रसादों में नेपोलियन के जीवन की कथाएं आज भी शानदार चित्रकारी में जिन्दा हैं।

 

दुनिया की मशहूर फ्रांसीसी क्रान्ति ज्यादा लम्बी नहीं चली। फ्रांस में राजशाही का अंतिम संस्कार करने के बाद यहां
1892
में लोकतंत्र की स्थारपना हुई। देश में एक संविधान बना। लेकिन लोकतंत्र के नायक सत्ता की चकाचौंध में इतने अंधे हो गए कि एक–एक करके क्रान्ति के सारे बड़े नायकों को ठीक उसी तरह चौराहे पर फांसी देकर मार डाला गया जिस तरह उनके राजा लुई सोलहवें को मारा गया था।

 

कुछ लोग कहते हैं कि ये एक बेगुनाह राजा की हत्या का शाप था।  ‘प्लेस डे ला रिवोल्यूशन’ जहां राजा को मारा गया था वहां दस साल के अंदर तकरीब 40 हजार क्रान्तिकारियों की गर्दन काटी गई। कहते हैं फांसी का वह तख्ता खून के कीचड़ से सन गया था। गला काटने की ब्लेड पर खून की मोटी परतें जम गई थी जो एक झटके से अगली गर्दन नहीं काट पा रही थी।

 

उम्र मे 6 साल बड़ी विधवा जोसेफिन

अराजकता के इस माहौल में सेनापति नेपोलियन फ्रांस के लिए पड़ोसी देशों की जंगें जीत रहा था। नेपोलियन का जन्म कोर्सिका में मामूली इतालवी परिवार में हुआ था। वह फ्रांसीसी सेना में एक तोपखाने का अफसर बना। जब 1789 में फ्रांसीसी क्रांति भड़की तो सेना में उसका तेजी से प्रमोशन हुआ और केवल 24 साल की उम्र में वह सेना में जनरल बन गया।

 

26 वर्ष की उम्र में उसने ऑस्ट्रियाई लोगों के साथ अपना पहला सैन्य अभियान शुरू किया। और लगातार जंगे जीत कर वह देखते–देखते युद्ध नायक बन गया।
1798
में उसने मिस्र में एक सैन्य अभियान का नेतृत्व किया। अगले साल की सर्दियों में उसने एक तख्तापलट किया और फ्रांसीसी रिपब्लिक के पहला कौंसल बन गया।

 

नेपोलियन बेहद महत्वाकांक्षी था और युद्ध का राष्ट्रनायक भी। क्रान्ति की अराजकता में बहुत जल्द वह फ्रांस का हीरो बन गया। लोग लोकतंत्र के नाम पर नेताओं के ड्रामे से बीस साल में ही ऊब गए थे।

1804 में नेपोलियन फ्रांस का राजा बन गया। फ्रांसीसी क्रान्ति के बाद वह पहला राजा था। लेकिन उससे पहले ही 32 साल की विधवा जोसेफिन जो नेपोलियन से उम्र मे 6 साल बड़ी थी उसकी जिन्दगी में प्रेमिका बन कर दाखिल हो चुकी थी।

 

जोसेफिन का पति क्रान्ति की अराजकता का शिकार हुआ था। उसे भी मौत के घाट उतार दिया गया था। जोसेफिन, युवा, खूबसूरत और रसूखदार थी। फ्रांस के कई राजनेताओं से उसकी दोस्ती थी। वे सब उसे ‘रोज’ के नाम से जानते थे, क्योंकि जोसेफिन को गुलाबों से प्यार था। उसके घर के बागीचे में दुनिया भर की गुलाब की किस्में लगी थीं।



नेपोलियन का भी सरकार में उठना बैठना था। इस दौरान उसे जोसेफिन से प्यार हो गया। कहते हैं कि लड़ाई के मैदान में वह रातों में जाकर जोसेफिन को खूबसूरत प्रेम पत्र लिखा करता था। लेकिन जोसेफिन उसके खतों का बहुत कम जवाब देती थी।

 

नेपोलियन की बेवफा प्रेमिका जोसफीन

नेपोलियन और जोसफीन की प्रेम कहानी की शुरुआत तब हुई जब नेपोलियन फ्रांसीसी सेना का प्रमुख था| जोसफीन एक सैनिक अधिकारी की पत्नी थी| उसके पति को फांसी की सजा मिली थी और जोसफीन को भी गिरफ्तार कर लिया गया था |

 

जोसफीन को उसके पहले पति से एक बेटा था, जिसका नाम यूजीन था और वह 14 साल का था| नेपोलियन के आदेश से फ्रांस का हर नागरिक अपने घर के हथियार को सेना के समक्ष जमा करा रहा था| यूजीन भी अपने पिता की तलवार लेकर जमा कराने आया था| उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे|

 

सहसा नेपोलियन की नजर उस पर पड़ी और उसने उससे रोने का कारण पूछा| यूजीन ने कहा कि वह उसके स्वर्गीय पिता का तलवार है और उससे अलग होते हुए उसे दुख हो रहा है| नेपोलियन ने पिता के प्रति उसके मन में श्रद्धा देखी और उसका तलवार उसे लौटा दिया |

 

जोसफीन के कई
प्रेमी थे, लेकिन नेपोलियन के साथ शक्ति और सत्ता जुड़ा होने के कारण जोसफीन उसकी होती चली गई ।

 

जिस वक्त नेपोलियन से उसकी शादी हुई उस वक्त जोसफीन की उम्र 32 व नेपोलियन की महज 26 साल थी। लेकिन जोसफीन से उसे सिंहासन का उत्तराधिकारी नहीं मिला।

 

नेपोलियन की पहली शादी 9 मार्च
1796
में जोसफीन से हुई थी। जोसफीन के बारे में कहा जाता है कि उसकी सुंदरता से पूरे पेरिस की महिलाएं जलती थी। फ्रांस के लोग जोजफीन को ‘विक्टरी वुमन‘ कहा करते थे। उनका मानना था कि नेपोलियन की हर विजय उसकी साम्राज्ञी के कारण होती है।

 

जोजफीन का रहन–सहन का स्तर इतना ऊँचा था कि पेरिस भर की औरते उससे रश्क करती थी | नेपोलियन से शादी से पहले जोजफीन के अनेक प्रेमी थे | नेपोलियन प्राय: युद्ध क्षेत्र में उसे पत्र लिखा करता| ये पत्र बड़े महत्वपूर्ण होते थे |

  

अगले दिन यूजीन की मां जोसफीन नेपोलियन को धन्यवाद देने गयी और नेपोलियन उसे देखते ही मोहित हो गया | जोसफीन भी नेपोलियन पर मर मिटी | जोसफीन वैसे तो नेपोलियन से उम्र में बड़ी थी और उसके और भी

 

नेपोलियन को जोसेफिन का ‘रोज’ नाम पसंद नहीं था। वह उसे जोसेफिन ही सम्बोधित करता था। यह वह समय था जब नेपोलियन बोनापार्ट उन्नत्ति के शिखर पर चढ़ रहा था। नेपोलियन इटली का सेना प्रमुख बना। उसी दौरान उसने
1796
में जोसेफिन से शादी कर ली।

 

पॉलीन फोएरेस से नेपोलियन का इश्क

लेकिन जोसेफिन उससे शायद कभी प्यार नहीं कर पायी। नेपोलियन के इतालवी अभियान के दौरान जोसेफिन के एक लेफ्टिनेंट से प्रेम के किस्सा सामने आया। नेपोलियन को इस बारे में मालूम चला तो उसने जोसेफिन को एक खत लिखा, जो इंग्लैंड (जो फ्रांस का जन्मजात शत्रु–देश था) के हाथ लग गया।

 

नेपोलियन का मजाक उड़ाने के लिए ब्रिटिश मीडिया में इस किस्से को खूब उछाला गया। इस घटना के बाद से जोसेफिन नेपोलियन की नज़रों से उतर गई। लौट कर नेपोलियन उसे छोड़ देना चाहता था। लेकिन जोसेफिन के आंसुओं से वह पिघल गया। शादी नहीं टूटी लेकिन नेपोलियन टूट गया था।

 

इसके बाद उसके जोसेफिन से कभी संबंध सामान्य नहीं हो पाए। नेपोलियन ने अगले ही साल मिस्र में एक फ्रांसीसी सेना का नेतृत्व किया। इस अभियान के दौरान नेपोलियन का अपने एक जूनियर अफसर की पत्नी, पॉलीन फोएरेस से इश्क हो गया। उसे फ्रांसिसी सैनिक ‘नेपोलियन की क्लियोपेट्रा’ कहते थे।

 

वह खूबसूरत थी। सैन्य अभियान पर सैनिकों को अपनी पत्नी को साथ ले जाने का नियम नहीं था। लेकिन शादी के तुरंत बाद ही फोएरेस सैनिक के वेश में अपने पति के साथ पानी के जहाज पर सवार हो गई थी। ये उनका रोमांचक हनीमून था। बाद में नेपोलियन से संबंध के बाद उसके पति ने उसे तलाक दे दिया।

 

सैन्य अफसर से जोसेफिन के प्रेम की घटना के बाद जोसफीन के जीवन में कोई और नहीं आया। लेकिन नेपोलियन बदल गया था। उसने कई औरतों से संबंध बनाए। राजा बनने से पहले उसका एक चर्चित वाक्य था– ‘शक्ति मेरी रखैल है।’ याद कीजिए यही वही फ्रांस था जिसके राजा लुई चौदहवे ने कभी कहा था-‘मैं ही राष्ट्र हूं।’

 

डे
वाडेय– लेडी–इन–वेटिंग: नेपोलियन की एक और प्रेमिका

नेपोलियन की एक और प्रेमिका थी– डे वाडेय। उसे महारानी जोसेफिन के लिए एक लेडी–इन–वेटिंग चुना गया था। नेपोलियन ने चैटो डे सेंट–क्लाउड में अपना आशियाना बनाया था। ये पेरिस शहर से कोई पांच किलोमीटर दूर है।

 

डे वाडेय ने यहीं लेडी–इन–वेटिंग की शपथ ली थी। डे वाडेय सुंदर थी, अच्छा गाती थी, बहुत जल्द लोगों से दोस्ती कर लेती थी। वह नेपोलियन के साथ पानी के जहाज की यात्रा पर निकल गई। इस यात्रा पर, कमउम्र डे वाडे ने नेपोलियन को अपने वश में कर लिया। जल्द ही उनके प्रेम के किस्से पेरिस में फैल गए।

 

एक दिन जोसेफिन ने उसे सेंट माउंट के महल में नेपोलियन के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया। कहते हैं तब नेपोलियन और जोसेफिन में खूब झगड़ा हुआ। नेपोलियन ने जोसेफिन से तलाक तक मांग लिया। दोनों में बातचीत बंद हो गई।

 

डे–वाडेय से इस्तीफा ले लिया गया। जोसेफिन अपनी बेटियों के पास चली गई, जो उसके पहले पति से थीं। लेकिन जल्द ही उनमें समझौता हो गया। पोप पायस VII की मौजूदगी में 2 दिसंबर
1804
को इसी नोट्रे डेम डे पेरिस में राज्याभिषेक समारोह हुआ जिसमें एक पूर्व–व्यवस्थित प्रोटोकॉल के बाद, नेपोलियन ने पहले खुद को ताज पहनाया,
फिर अपनी पत्नी की घोषणा करते हुए अपनी प्रेमिका जोसेफिन के सिर पर फ्रांस की महारानी का मुकुट रख दिया।

 

जब
1809
में फ्रांसीसी सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट ने अपनी पत्नी जोसेफिन को तलाक देने का फैसला किया , तो उन्होंने एक सार्वजनिक तमाशा शुरू किया जिसने उनकी 13 साल की पत्नी को तबाह कर दिया।

 

फ्रांसीसी सिंहासन के भविष्य की योजना बनाने के तीव्र राजनीतिक दबाव के तहत, नेपोलियन ने दंपति की बांझपन के लिए जोसेफिन को जिम्मेदार ठहराया। वर्षों की व्यर्थ कोशिशों के बावजूद,
इस जोड़े को अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था। जोसेफिन से अपनी शादी को समाप्त करके, नेपोलियन ने एक नई पत्नी खोजने के लिए खुद को मुक्त कर लिया जो उसके उत्तराधिकारियों को जन्म दे सके।

 

दिसंबर के मध्य में
”
शाही तलाक
”
समारोह से एक रात पहले – एक सार्वजनिक कार्यक्रम जिसमें समाचार की घोषणा की गई और विवाह को विघटित किया गया – जोसेफिन ने एक साहसी चेहरा धारण किया, जिसमें
“
पूर्ण संयम,
…
अनुग्रह और चातुर्य”
दिखाया गया, जैसा कि एक दर्शक ने याद किया ।

अपनी गहरी, निजी पीड़ा के बावजूद उन्होंने बहादुरी से अदालत संभाली, यह जानते हुए भी कि उन्हें सिंहासन से हटाना आसन्न था और फ्रांस के नेता के साथ उनके अस्थिर संबंध समाप्त होने वाले थे।

 

पेरिस के तुइलरीज़ पैलेस के सिंहासन कक्ष में आयोजित इस समारोह में ग्रीक त्रासदी के सभी तत्व मौजूद थे। जोसेफिन ने शादी की पोशाक जैसा सादा सफेद गाउन पहना था । जोड़े ने कृतज्ञता और स्थायी प्रेम के शब्दों का आदान–प्रदान किया, नेपोलियन ने घोषणा की,
“
मैं उसे चाहूंगा… उसके लिए मेरी भावनाओं पर कभी संदेह न करें; मैं उसे पसंद करूंगा।”
वह हमेशा मेरी सबसे अच्छी और सबसे प्यारी दोस्त रहेगी।”

बदले में, जोसेफिन ने यह पेशकश की:
“
मुझे यह घोषणा करनी चाहिए कि अब ऐसे बच्चे के लिए कोई आशा नहीं रख रहा हूं जो उसकी राजनीतिक जरूरतों और फ्रांस की भलाई दोनों को पूरा कर सके, मैं उसे लगाव और भक्ति का सबसे बड़ा सबूत देता हूं जो अब तक रहा है इस धरती पर दिया गया।”

 

लेकिन समारोह का भावनात्मक असर और शायद उनके भाषण की सार्वजनिक स्पष्टवादिता बहुत ज़्यादा थी। वह लड़खड़ा गई, सिसकने लगी और पूछा कि क्या कोई और उसका बयान पूरा पढ़ सकता है। जनवरी
1810
में विवाह को आधिकारिक तौर पर रद्द कर दिया गया।

 

जोसेफिन ने कुछ नये प्रेमी भी बनाये और नेपोलियन की गैरजाहिरी में उनसे इश्क फरमाती रही. जोसफीन के अनगिनत प्रेमियों में एक था हाइपोर्टो चार्ल्स. वह मसखरा और हंसोड़ किस्म का युवक था. जब भी नेपोलियन युद्ध क्षेत्र में होता, चार्ल्स महल में आ जाया करता और जोसफीन के साथ रंगरेलियां मनाता।

 

धीरे–धीरे पूरे पेरिस में जोसफीन और चार्ल्स की प्रेम कहानियों के चर्चे शुरू हो गये।

उड़ती–उड़ती खबर नेपोलियन तक भी पहुंची. उस समय वह इटली से युद्ध कर रहा था. उसे खबर मिली कि चार्ल्स पेरिस के उसके महल में आया हुआ है।

 

नेपोलियन ने चार्ल्स और जोसफीन को दूर करने के लिए जोसफीन को एक पत्र लिख कर उसे युद्ध क्षेत्र में बुलाया़ पहले तो जोसफीन ने इनकार कर दिया, लेकिन बाद में जोसफीन एक योजना के तहत इटली के युद्ध क्षेत्र में जाने के लिए तैयार हो गयी।

 

वह लाव–लश्कर के साथ नेपोलियन से मिलने के लिए रवाना हुई और उसी में चार्ल्स को भी छुपा कर लेती गयी. नेपोलियन को इसकी भनक मिल गयी और उसने जोसफीन के वहां पहुंचते ही सारे सामान की तलाशी लेने का हुक्म दिया ।

 

कपड़े वाले बक्से में चार्ल्स छिपा मिला. नेपोलियन ने उसे मारने का हुक्म दे दिया, लेकिन जोसफीन उसके पैरों पर गिर कर चार्ल्स के लिए माफी पाने में सफल रही और उसे वहां से पेरिस भिजवाने में कामयाब हो गयी। जोसफीन ने नेपोलियन से वादा किया कि अब वह कभी चार्ल्स से नहीं मिलेगी। उसके बाद उसने चालाकी से काम लिया और दिखावे के लिए नेपोलियन से ढेर सारा प्यार जताती रही।

 

कुछ समय बाद नेपोलियन युद्ध के लिए मिस्र गया और जोसफीन ने फिर से चार्ल्स को महल में बुलवा लिया. एक दिन नेपोलियन के भाई जोसेफ ने दोनों को एक साथ पकड़ लिया और उसने नेपोलियन को इस बारे में संदेश भेज दिया।

 

नेपोलियन बहुत दुखी हुआ और उसने जोसफीन की खुशी के लिए उसे तलाक दे दिया। तलाक देते समय नेपोलियन ने कहा था, ‘जोसफीन के साथ बिताये 15 वर्षों की याद हमेशा मेरे साथ रहेगी।

 

मैंने अपने हाथों से उसके सिर पर साम्राज्ञी का ताज पहनाया था। मेरी इच्छा है कि मुझसे दूर जाने के बाद भी जोसफीन एक साम्राज्ञी ही रहे। मैं उसका यह पद छीनना नहीं चाहता। मेरे दिल में वह हमेशा एक प्यारे दोस्त की हैसियत से रहेगी’। जोसफीन ने भी कहा कि वह सम्राट नेपोलियन के लिए हमेशा एक मित्र बनी रहेगी। नेपोलियन ने एक शानदार बग्घी में बिठा कर उसे विदाई दी थी।

 

इतिहास में चार्ल्स के अलावा जोसफीन के एक अन्य प्रेमी बर्रास का भी जिक्र मिलता है।

फ्रांस के सम्राट लुई 15वें को फांसी दिये जाने के बाद क्रांतिकारी बर्रास ने ही फ्रांस के शासन की बागडोर संभाली थी. कहते हैं कि बर्रास ने ही नेपोलियन के करीब पहुंचने के लिए जोसफीन का इस्तेमाल किया था़ ऐसा माना जाता है कि जोसफीन अय्याश िकस्म की महिला थी।

 

नेपोलियन की दूसरी बेवफा पत्नी: हैब्सबर्ग आर्चडचेस मैरी–लुईस

बहरहाल, नेपोलियन की दूसरी शादी ऑस्ट्रिया के सम्राट फ्रांसिस की बेटी मेरी लूसी से हुई थी. मेरी ने न केवल नेपोलियन से बेवफाई की, बल्कि अपने पिता से मिल कर एक साजिश के तहत वाटरलू की लड़ाई में नेपोलियन को परास्त भी कराया. नेपोलियन की पत्नी बनने के बाद लूसी एडम अलब्रेच नामक एक काउंट पर रीझ गयी थी.

 

वाटरलू
की लड़ाई हारने के बाद नेपोलियन एलबा में निष्कासित जीवन जी रहा था़ वहां भी मेरी लूसी ने मेप्पर्ग नामक एक व्यक्ति से इश्क लड़ाया और नेपोलियन को छोड़ कर उससे शादी कर ली।

 

मेरी से धोखा खाने के बावजूद नेपोलियन ने अपने वसीयतनामे में लिखा था, ‘मेरी मौत के बाद मेरा दिल निकाल कर शराब में डाल देना और फिर उसे मेरी प्यारी लूसी तक पहुंचा देना. उससे यह कहना कि मैं उसे बेहद प्यार करता था और जीवन के अंतिम क्षण तक करता रहा़’ इतिहासकार लाग्जेयर कारनट लिखते हैं, बोनापार्ट बहुत बहादुर था, लेकिन दिल का बहुत जवान भी था़

The end

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Engr. Maqbool Akram

Engr. Maqbool Akram

I am, Engineer Maqbool Akram (M.Tech. Mechanical Engineer from AMU ), believe that reading and understanding literature and history is important to increase knowledge and improve life. I am a blog writer. I like to write about the lives and stories of literary and historical greats. My goal is to convey the lives and thoughts of those personalities who have had a profound impact on the world in simple language. I research the lives of poets, writers, and historical heroes and highlight their unheard aspects. Be it the poems of John Keats, the Shayari of Mirza Ghalib, or the struggle-filled story of any historical person—I present it simply and interestingly.

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March 17, 2025
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नारी का विक्षोभ: सूरज ने जब सुना सविता कविता करती है तब दौड़ा-दौड़ा उस्ताद हाशिम के पास गया। (रांगेय राघव)

March 18, 2025
अपरिचित (मोहन राकेश) सामने की सीट ख़ाली थी वह स्त्री किसी स्टेशन पर उतर गई थी इसी स्टेशन पर न उतरी हो यह सोचकर मैंने खिड़की का शीशा उठा दिया और बाहर देखा.

अपरिचित (मोहन राकेश) सामने की सीट ख़ाली थी वह स्त्री किसी स्टेशन पर उतर गई थी इसी स्टेशन पर न उतरी हो यह सोचकर मैंने खिड़की का शीशा उठा दिया और बाहर देखा.

March 18, 2025
Thakur Ka Kuan (Story Munshi Premchand) कुएँ पर स्त्रियाँ पानी भरने आयी थी इनमें बात हो रही थी खाना खाने चले और हुक्म हुआ कि ताजा पानी भर लाओ । घड़े के लिए पैसे नहीं हैं।

Thakur Ka Kuan (Story Munshi Premchand) कुएँ पर स्त्रियाँ पानी भरने आयी थी इनमें बात हो रही थी खाना खाने चले और हुक्म हुआ कि ताजा पानी भर लाओ । घड़े के लिए पैसे नहीं हैं।

March 17, 2025
सुखांत (आंतोन चेखव): इसमें इतना सोचने वाली कौन सी बात है? तुम एक ऐसी औरत हो जो मेरे दिल को भा सके तुम्हारे अंदर वो सारे गुण हैं जो मेरे लिए सटीक हों।

सुखांत (आंतोन चेखव): इसमें इतना सोचने वाली कौन सी बात है? तुम एक ऐसी औरत हो जो मेरे दिल को भा सके तुम्हारे अंदर वो सारे गुण हैं जो मेरे लिए सटीक हों।

March 17, 2025
Epic Love Tale Prithaviraj Chohan & Samyukta: Chivalry, Betrayal, Revange. Changed History &Geography of India

Epic Love Tale Prithaviraj Chohan & Samyukta: Chivalry, Betrayal, Revange. Changed History &Geography of India

March 17, 2025
मेरा नाम राधा है (मंटो) नीलम जिसे स्टूडियो के तमाम लोग मामूली एक्ट्रेस समझते थे, विचित्र प्रकार के गुणों की खान थी। उसमें दूसरी एक्ट्रेसों का-सा ओछापन नहीं था।मैंने जब बहुत जोर से भयानक आवाज में नीलम कहा तो वह चौंकी जाते हुए उसने केवल यह कहा, सआदत, मेरा नाम राधा है।

मेरा नाम राधा है (मंटो) नीलम जिसे स्टूडियो के तमाम लोग मामूली एक्ट्रेस समझते थे, विचित्र प्रकार के गुणों की खान थी। उसमें दूसरी एक्ट्रेसों का-सा ओछापन नहीं था।मैंने जब बहुत जोर से भयानक आवाज में नीलम कहा तो वह चौंकी जाते हुए उसने केवल यह कहा, सआदत, मेरा नाम राधा है।

March 17, 2025
Khayzuran: Romance of a Dancing Slave Became Abbasid Caliphate Queen of The Ruler Al-Mahdi

Khayzuran: Romance of a Dancing Slave Became Abbasid Caliphate Queen of The Ruler Al-Mahdi

March 18, 2025
Shaghab: Sad end of a dancing concubine who became the dominant Queen of the Abbasid Empire Caliph Ahmad al Mutadid?

Shaghab: Sad end of a dancing concubine who became the dominant Queen of the Abbasid Empire Caliph Ahmad al Mutadid?

March 17, 2025
River Stairs (R Nath Tagore) Story of a young widow Kusum. Jaan lo main saint hun is dunya ka nahin tum mujhe bhul jao.

River Stairs (R Nath Tagore) Story of a young widow Kusum. Jaan lo main saint hun is dunya ka nahin tum mujhe bhul jao.

March 17, 2025
Peshawar Express: Krishen Chander. Narrator is train itself Haunting narrative that captures the brutality and chaos of the partition of India in 1947.

Peshawar Express: Krishen Chander. Narrator is train itself Haunting narrative that captures the brutality and chaos of the partition of India in 1947.

March 18, 2025
पोस्टमास्टर (रवीन्द्रनाथ टैगोर) सवेरे से बादल खूब घिरे हुए थे पोस्टमास्टर की शिष्या बड़ी देर से दरवाजे के पास बैठी प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन और दिनों की तरह जब यथासमय उसकी बुलाहट न हुई.

पोस्टमास्टर (रवीन्द्रनाथ टैगोर) सवेरे से बादल खूब घिरे हुए थे पोस्टमास्टर की शिष्या बड़ी देर से दरवाजे के पास बैठी प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन और दिनों की तरह जब यथासमय उसकी बुलाहट न हुई.

March 17, 2025
पड़ोसिन (कहानी रवीन्द्रनाथ ठाकुर) अब छिपाना बेकार है वह तुम्हारी ही पड़ोसिन है, उन्नीस नम्बर में रहती है मैंने पूछा, सिर्फ कविताएं पढ़कर ही वह मुग्ध हो गई?’

पड़ोसिन (कहानी रवीन्द्रनाथ ठाकुर) अब छिपाना बेकार है वह तुम्हारी ही पड़ोसिन है, उन्नीस नम्बर में रहती है मैंने पूछा, सिर्फ कविताएं पढ़कर ही वह मुग्ध हो गई?’

March 17, 2025
Katha Saar of Karbala (Play):  By Munshi Premchand katha samrat ( 31 July 1880 –8 October 1936 )

Katha Saar of Karbala (Play): By Munshi Premchand katha samrat ( 31 July 1880 –8 October 1936 )

March 17, 2025
Royal Love Story of A Maharani: एक महारानी की अनोखी प्रेम कहानी महारानी रियासत के दीवान से ही प्रेम कर बैठी

Royal Love Story of A Maharani: एक महारानी की अनोखी प्रेम कहानी महारानी रियासत के दीवान से ही प्रेम कर बैठी

March 17, 2025
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