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काले जादू का काला सच: भारत में ऐसे कई शहर हैं, जो अपने काला जादू, अघोरी और तंत्र-मंत्र के केंद्र के लिए जाने जाते हैं।

by Engr. Maqbool Akram
March 6, 2023
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जोहान्स कैपलर मशहूर जर्मन गणितज्ञ और एस्ट्रोलॉजर थे। यह विडम्बना ही है कि साइंटिस्ट कैपलर की मां को जादू टोना के आरोप में गिरफ्तार किया गया। दुनिया के अधिकांश देशों की तरह भारत में भी जादू–टोने से जुड़ी गतिविधियां बैन हैं। लेकिन फिर भी लोग कई बातों के लिए काले जादू पर न सिर्फ यकीन करते है, बल्कि उससे संबंधित गतिविधियां भी करते/करवाते हैं।

 

देश में कहीं साधु संन्यासी मिलेंगे तो कहीं काले जादू के जानकार।कहीं, अघोरी बाबा मिलेंगे तो कहीं नागा साधु. साधक ही नहीं, आम लोग भी इनके पास अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए पहुंच जाते हैं। आज जानते हैं कि काले जादू, तांत्रिक क्रियाओं और अघोर साधना के साधक देश में कहां–कहां मिलते हैं।

आज दुनिया आधुनिकता के शिखर पर है। विज्ञान में नित नए प्रयोग हो रहे हैं. लोगों में शिक्षा बढ़ रही है, जिसकी वजह से अब वह अंधविश्वास से दूर हो रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सब के बावजूद भी आज लाखों ऐसे लोग हैं, जो काले जादू पर विश्वास रखते हैं। यहां तक की कुछ बेहद पढ़े लिए लोग भी इस पर विश्वास करते हैं और समझते हैं की यह उनके जीवन पर प्रभाव डाल सकता।

 

Aghori and Black Magic Centers in India:-

हम आपको भारत की ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आज भी काला जादू किया जाता है। यह विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और विक्टिम्स की शिकायतों पर आधारित है।

 

दुनिया में अतरंगी चीजों की कमी नहीं है। विश्व में कई ऐसे स्थान है, जो अपने आप में ही विचित्र है, जहां जाने से पहले हर इंसान को उस स्थान के बारे में जरूर जान लेना चाहिए। जादू–टोने के बारे में आप सभी ने सुना ही होगा। भारत में भी कई ऐसे स्थान है, जहां तंत्र साधना या काला जादू किया जाता है।

दरअसल, लोगों को लगता है कि काला जादू करने से वे अपनी समस्याओं से जल्द ही मुक्ति पा लेंगे। हालांकि इस बीच कुछ ऐसे भी महाशय लोग होते हैं जो खुद भी इसको ट्राई करने लगते हैं और तंत्र विद्या में खुद को झोंक देते हैं। इसमें कई लोग तो ऐसे भी होते हैं, जो खुद की या परिवार के सदस्यों की जान भी गंवा बैठते हैं।

 

आज हम आपको भारत की कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आज भी काला जादू या तंत्र विद्या की एक्टिविटी आपको देखने को मिल जाएगी।

 

आइए जानते हैं उन जगहों के बारे में…

सुल्तान शाही, हैदराबाद तंत्र विद्या या काला जादू के लिए सबसे प्रसिद्ध शहर हैदराबाद को माना जाता है।

 

इस शहर को इन परंपराओं का केंद्र भी कहा जाता है। हैदराबाद के सुल्तान शाही में आपको कई ऐसे तांत्रिक मिल जाएंगे, जो काला जादू करते हैं और इसके बदले वे आपसे पैसे भी लेते हैं। सुल्तान शाही के अलावा चित्रिका, मुगलपुरा और शालिबंद में भी काला जादू व तंत्र साधना की जाती है।इसके बदले तांत्रिक लोग कभी–कभी पशु बलि भी की डिमांड करते हैं। इसमें कुछ तो संभोग के लिए भी कहते हैं।

 

ओडीशा में कुशाभद्रा नदी के किनारे कुछ समय पहले काले जादू की प्रैक्टिस किए जाने के संकेत मिले थे।

कई लोगों पर अटैक की खबरें भी यहां आती रहती हैं। हालांकि, इस बात का अब तक कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिला है। लेकिन, जब शिकायत मिलने पर पुलिस ने छापेमारी की तो कई ऐसी चीजें मिलीं, जिनसे पता चलता है कि यहां काले जादू की प्रैक्टिस की जाती है। यहां 20 से ज्यादा नरकंकाल और अन्य हड्डियां मिली थीं। साथ ही जानवरों की खोपड़ियां, फूल और कपड़ों के टुकड़े भी यहां मिले थे।

कामाख्या देवी मंदिर के बाद वाराणसी के मणिकर्णिका घाट को अघोर, तंत्र या काले जादू की साधना का बड़ा केंद्र माना जाता है।

मणिकर्णिका घाट पर साधना में जुटे कई अघोरी बाबा आपको आसानी से दिख जाएंगे. कहा जाता है कि वे अपनी साधना के दौरान शवों को खाते हैं। खोपड़ी में पानी पीते हैं। माना जाता है कि इससे उनकी शक्तियों में तेजी से इजाफा होता है. मणिकर्णिका घाट पर गुप्त रूप से काला जादू भी किया जाता है. बता दें कि भारत में काले जादू की क्रियाएं करने पर पूरी तरह से पाबंदी है. फिर भी लोग समस्याओं से निजात पाने को इसका सहारा लेते हैं।

 

निमतला घाट, कोलकाता का निमताला घाट भी काला जादू के काफी प्रसिद्ध है।

बनारस के मणिकर्णिका घाट की ही तरह कोलकाता का निमतला घाट भी काले जादू के लिए पहचाना जाता है। यहां भी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाता है। बताया जाता है कि पूरी तरह से सन्नाटा होने के बाद आधी रात को अघोरी साधनाएं करने वाले लोग निमतला घाट पर आते हैं और जल रहे शवों का मांस खाते हैं. वे यहां भोर होने से पहले तक बैठकर साधना करते हैं।

 

मणिकर्णिका घाट, वाराणसी विश्व के सबसे पुराने शहरों में शुमार वाराणसी जोकि काशी के नाम से जाना जाता है और ये शहर अपनी धार्मिकता के लिए जाना जाता है।

काशी जैसी पवित्र भूमि भी काले जादू से अछूता नहीं है। यहां के मणिकर्णिका घाट पर कई अघोरी बाबा श्मशान घाट पर ही रहते हैं और मृतक के मांस को खाते हैं। दरअसल, उनका मानना होता है कि ऐसे में उनकी शक्तियां बढ़ती हैं। यहां पर काफी गुप्त तरीके तंत्र विद्या को अंजाम दिया जाता है।

 

बैंगुलरु… यानी आईटी हब, या कहें तो देश की साइंस कैपिटल. नाम सुनते ही हमारे दिमाक में ऊंची–ऊंची बिल्डिंग और सूट बूट में लोग नजर आते हैं. लेकिन शहर में काला जादू करने वालों और ओझा–गुनियों का बाजार भी तेजी से फल–फूल रहा है.

कहें तो तात्रिकों का गढ़ बनता जा रहा है. हम आपको बता रहे हैं आईटी सिटी के पीछे छिपा एक काला सच. जी हां, एक ऐसा काला सच जिसे सुनकर आपके भी चौंक जाएंगे…

 

अपने
क्लायंट की खुशहाली और समृद्धि पर बुरी नजर रखने वालों को परेशान करने के साथ ही दंड के तौर पर उन्हें मार भी पहुंचा सकते हैं।

इन लोगों के क्लायंट लिस्ट में सिर्फ प्रेम में ठोकर खा चुके प्रेमी ही नहीं होते बल्कि बड़े–बड़े कॉर्पोरेट कर्मचारी, रेसिंग कार ड्राइवर, पारिवारिक और आर्थिक कष्ट झेल रहे पढ़े–लिखे लोग शामिल हैं।

 

काला
जादू अब गली–मुहल्ले से निकलकर अब ऑनलाइन वर्ल्ड में पहुंच चुका है। अब बकायदा लोगों के पास फोन में मैसेज आता है और काले जादू के बारे में हर तरह की जानकारी दी जाती हैं। आपने देखा होगा कि फेसबुक पर किसी भी पोस्ट के नीचे आपको काले जादू का एक एड मिल ही जाएगा।

जिसका जादू–टोने वालों को खूब फायदा पहुंच रहा है। उनके क्लायंट उन्हें व्यक्तिगत पोर्टल के साथ ही सोशल मीडिया के जरिए भी कॉन्टैक्ट करते हैं। ऐसे लोग, किसी व्यक्ति विशेष या ग्रुप पर भी काला जादू करवाते हैं और 500
रुपये से लेकर लाख रुपये तक खर्च कर देते हैं।

 

केरल
का एक तांत्रिक जोड़ा बेंगलुरु में जादू–टोना में दिलचस्पी लेने वालों को पूरा पैकेज मुहैया कराता है।

सबसे पहले तो यह लोग अपने एजेंट्स के जरिए क्लायंट के लिए शुरुआती पूजाओं की व्यवस्था करते हैं और फिर आगे के कठिन अनुष्ठान और काला जादू विशेषज्ञ से मुलाकात के लिए क्लायंट को केरल बुलवाते हैं। कुल मिलाकर पूरे बैंगलुरु में ये जाल फैल चुका है।

 काले जादू को करने वाले एक शख्स ने बताया कि वो इस काम को करीब 30 सालों से कर रहा है। उसके शहर में दो ऑफिस हैं, जो सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक काम करते हैं।अगर किसी को ऑफिस नहीं आना, तो वो पूरी डिटेल उनके मोबाइल पर मेसेज कर सकते हैं या फिर उन्हें Mail भी कर सकते हैं। सोचिए आईटी हब कहने वाले बैगलुरु शहर में ऐसा काम चल रहा है जिसकी किसी को उम्मीद न थी. वो भी टेक्नोलॉजी के साथ।

 

काला जादू का गढ़ है ये गांव Mayong in Assam— असम का ये गांव है काला जादू करने के लिए मशहूर, बच्चा–बच्चा तक जनता है टोटके का हर मंत्र

मायोंग गांव को काला जादू का गढ़ माना जाता है, यहां के लोगों को इंसान से जानवर बनाने की कला मालूम है। यही नहीं ऐसा भी कहा जाता है कि अपनी जादुई शक्ति से लोगों को यहां हवा में गायब कर दिया जाता है। इन्हीं रहस्यमय बातों के कारण यात्री यहां आना पसंद करते हैं।

 

मियोंग एक पहाड़ी और जंगली इलाक़ा है, जहां बड़ी संख्या में हाथी पाए जाते हैं। मणि पुरी भाषा में हाथी को मियोंग कहते हैं। कुछ लोगों का विश्वास है कि गांव का नाम इसी शब्द से बना है।

जब इस देश में ब्रिटिश हुकूमत का शासन था, उस वक्त अंग्रेज भी यहां आने से डरा करते थें। इस गांव में अब तक कई लोग ग़ायब भी हो चुके हैं और कई लोगों की तो रहस्य मई तरीके से मौत भी हो चुकी है।

एडवेंचर के शौकीन लोग इस जगह को एक्सप्लोर करना पसंद करते हैं। हालांकि, इस जगह को काला जादू के अलावा प्राकृतिक खूबसूरती की वजह से काफी पसंद किया जाता हैं। इस गांव से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं, जिसका अनुसरण आज भी वहां के लोग करते हैं।

 

गांव की आधे से ज्यादा आबादी काले जादू के बारे में न केवल जानती ही है, बल्कि साथ में अभ्यास भी करती है। स्थानीय लोग हाथ की रेखाएं पढ़ने की कला जानते हैं। यहां के कुछ लोग भविष्य बताने का भी काम करते हैं और सीपियों और टूटे कांच के टुकड़ों का उपयोग करके किसी व्यक्ति के भविष्य की भविष्यवाणी करने का दावा करते हैं।

 

यहां तक कि वे बिना दवा के, काले जादू से लोगों को ठीक भी कर देते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह शक्ति पीढ़ियों से चली आ रही है। किसी भी दर्द को दूर करने के लिए यहां के लिए यहां के लोग ताम्बे की प्लेट को उस जगह पर प्रेस करते हैं और दर्द को दूर करते हैं।

 

उनका कहना है कि ऐसा करने में भूत–प्रेत उनकी सहायता करते हैं। मायोंग में एक म्यूजियम, मायोंग सेंट्रल संग्रहालय और एक एम्पोरियम भी है, जिसमें टेप, हथियार और कई चीजों की प्रदर्शनी लगी हुई है।

मायोंग गांव का महाभारत काल से भी संबंध बताया गया है। कहा जाता है कि भीम का बेटा घटोत्कच मायोंग का ही राजा था। काले जादू की शुरुआत भी इसी गांव से हुई।

कहते तो यहां तक हैं कि मुगलों की पूरी फ़ौज यहां आकर गायब हो गई थी। गांव के तांत्रिकों ने सीमा पर एक दीवार खड़ी कर दी थी, जिसे पार करते ही एक लाख सैनिक गायब हो गए।

ऐसी कई कहानियों से भरे मियोंग का नाम भी संस्कृत के ‘माया‘ शब्द से पड़ा। ‘माया‘ यानी भ्रम, जिसे हम ख़ास परिस्थितियों में ‘जादू‘ भी कहते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि मणिपुर के माईबोंग समुदाय के लोग यहां आकर बस गए थे, इसलिए इसे मायोंग पुकारा जाने लगा।

 

इस गांव के लोग कई तरह की कहानियां भी बताते रहते हैं कि यहां के लोग कभी–कभी जानवरों में भी परिवर्तित हो जाते हैं।इस गांव के अधिकतर लोग काला जादू की विद्या जानते हैं और रोजाना प्रयास भी किया करते हैं। और ये पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है।

 

The
End

Disclaimer–Blogger
has prepared this short write up with help of materials and images available on
net/ Wikipedia. Images on this blog are posted to make the text interesting.The
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Engr. Maqbool Akram

Engr. Maqbool Akram

I am, Engineer Maqbool Akram (M.Tech. Mechanical Engineer from AMU ), believe that reading and understanding literature and history is important to increase knowledge and improve life. I am a blog writer. I like to write about the lives and stories of literary and historical greats. My goal is to convey the lives and thoughts of those personalities who have had a profound impact on the world in simple language. I research the lives of poets, writers, and historical heroes and highlight their unheard aspects. Be it the poems of John Keats, the Shayari of Mirza Ghalib, or the struggle-filled story of any historical person—I present it simply and interestingly.

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