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Fyodor Dostoyevsky : विश्व के महान उपन्यासकार: सत्ता के खिलाफ षडयंत्र के आरोप में मौत की सजा सुनाई गयी.

by Engr. Maqbool Akram
December 11, 2021
in Uncategorized
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दुनिया के सबसे महान उपन्यासकार माने जाने वाले फ्योदोर दोस्तोव्स्की जब
28
साल के थे, उन्हें सत्ता के खिलाफ षडयंत्र करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गयी. उन्हें उनके साथियों के साथ चौराहे पर सार्वजनिक रूप से गोली से उड़ाया जाना था.

 

दिसम्बर
1849
की एक सर्द सुबह इन सभी तथाकथित अपराधियों को जेल से बाहर लाकर, तीन–तीन के समूहों में बाँट कर पहले तीन को खम्भों से बाँध दिया गया. दोस्तोव्स्की दूसरे समूह में थे और निश्चित मृत्यु को सामने घटता देख रहे थे. सिपाहियों ने बंदूकें उठा कर तान लीं और निशाना लगाया.

 

फिर किसी चमत्कार की तरह ऐन उसी समय कहीं से सफ़ेद झंडियां लहराते
हुए सरकारी घुड़सवार
वहां पहुंच गए जो इस बात का इशारा था कि मृत्युदंड वापस
ले लिया गया है. बाद में पता चला यह मनोवैज्ञानिक यातना
सत्ता के इशारे
पर किया गया एक नाटक था जिसका मकसद रूस के बुद्धिजीवियों में दहशत फैलाना भर था.

 

दोस्तोव्स्की की सजा कम कर दी गयी. पहले उन्हें साइबेरिया की जेलों में चार साल का सश्रम कारावास काटना था और उसके बाद छः साल फ़ौज की अनिवार्य नौकरी करनी थी.

 

फायरिंग स्क्वाड के सामने खड़े होने की उस खौफनाक याद को दोस्तोव्स्की ने अपने उपन्यास ‘द ईडियट’ में जीवित किया है. एक जगह नायक प्रिंस मिश्किन कहता है –
“
आप एक सिपाही को युद्ध के मैदान में तोप के सामने खड़ा कर दीजिये, जीवित रहने की उम्मीद उसके भीतर तब भी रहगी. लेकिन उसी सिपाही को कोई सजा सुना दीजिये वह या तो पागल हो जाएगा या रोने लगेगा.

 

दुनिया का सबसे बड़ा शारीरिक दर्द किसी घाव से नहीं मिलता. वह इस बात को निश्चित रूप से जानने पर मिलता है कि एक घंटे में, फिर आधे घंटे में, फिर दस मिनट में, फिर आधे मिनट में और फिर ठीक उस एक पल आपकी आत्मा आपकी देह से बाहर उड़ जाएगी और आप इंसान नहीं रहेंगे. सबसे बड़ी यंत्रणा उस निश्चितता में होती है.”

 

फिर प्रिंस मिश्किन अपने एक दोस्त की कहानी सुनाता है जो दरअसल खुद दोस्तोव्स्की का अनुभव था.

 

जब जीने के लिए कुल पांच मिनट बचे थे तो कहानी का पात्र कहता है –
“
मैंने फैसला किया मैं उनमें से हर मिनट को एक जीवन में बदल दूंगा. कुछ भी बर्बाद नहीं होगा. एक–एक मिनट का हिसाब होगा.”

 

फायरिंग स्क्वाड के सामने खड़ा वह आदमी जीवन के उन आख़िरी पांच मिनटों को एक ख़ास तरीके से बिताने का फैसला करता है –
पहले के दो मिनट अपने साथी कैदियों से अलविदा करने के लिए थे.

 

अगले दो मिनट वह अपने बारे में सोचने के लिए निकालता है. आख़िरी का मिनट वह अपने चारों तरफ देखने में लगाता है जब उसका ध्यान एक गिरजाघर के गुम्बद पर पड़ रही सूरज की किरणों पर ठहर जाता है.उसे लगने लगता है कि वे किरणें ही उसका नया जीवन हैं और अगले कुछ पलों के बाद वह उन्हीं में समा जाने वाला है.

 

जादुई रूप से बच जाने के दस साल बाद जब दोस्तोव्स्की
1859
में वापस सेंट पीटर्सबर्ग लौटे, उनके पास असाधारण मानवीय अनुभवों के अलावा मारिया इसायेवा नाम की एक बीमार औरत भी थी जिसके साथ उन्होंने साइबेरिया में शादी कर ली थी.

Dostoevsky and Maria Isayeva

यह एक बेहद खराब सम्बन्ध था और मियां–बीवी के बीच हर रोज लड़ाई होती थी. इस जटिल सम्बन्ध के अलावा दोस्तोव्स्की खराब स्वास्थ्य और भीषण गरीबी से भी जूझ रहे थे. उनका भाई मिखाइल उनकी बहुत मदद किया करता था लेकिन दोस्तोव्स्की को जुए की लत लग गयी और उन्होंने तमाम लोगों से पैसा उधार लेना शुरू किया.

 

जब ये लोग अपने
पैसे वापस मांगते
दोस्तोव्स्की जुआ खेलने यूरोप भाग जाया करते. ऐसी ही एक यात्रा
में जब वे पेरिस में थे पोलीना सूसलोवा नाम की एक जवान
छात्रा से उनका
प्रेम सम्बन्ध बन गया जिसने आगे चलकर उन्हें सालोंसाल
तबाह करना था.

 

उधर
1864
में पहले उनकी पत्नी की और फिर भाई मिखाइल की असमय मौत हो गयी. एकमात्र सौतेले बेटे पाशा और भाई के परिवार का जिम्मा भी दोस्तोव्स्की के ऊपर आ पड़ा.

 

1867 में उन्होंने एक और ब्याह रचाया – बीस साल की अन्ना स्नितकीना से जिसने उनके एक उपन्यास की पांडुलिपि तैयार करने में काफी मदद की थी.

 

उनका पूरा जीवन एक से एक और असंख्य असाधारण घटनाओं से भरा पड़ा है. इन घटनाओं से पैदा होने वाले मानसिक–आर्थिक और सामाजिक संत्रास की केवल कल्पना ही की जा सकती है. दोस्तोव्स्की अपने एक जीवन में कम से कम दस बार आत्महत्या करने लायक कच्चा माल इकठ्ठा कर चुके थे.

 

ये फायरिंग स्क्वाड के सामने बिताये गए उन पांच मिनटों में सीखे गए सबक रहे होंगे कि इतना सब कुछ घटते रहने के बावजूद वे लिखना बंद नहीं करते थे. असंख्य कहानियों के अलावा उन्होंने सोलह उपन्यास लिखे. दुनिया के दस सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों की कोई भी लिस्ट उठा कर देख लीजिये, तीन से चार जगहों पर दोस्तोव्स्की की ‘क्राइम एंड पनिशमेंट’ ‘द ईडि’  ‘नोट्स फ्रॉम अंडरग्राउंड’ या ‘ब्रदर्स करामाजोव’ अवश्य विराजमान होंगी.

 

दोस्तोवस्की की दो बार शादी हुई थी। दूसरी शादी सफल रही – स्टेनोग्राफर अन्ना स्नितकिना (25 साल की उनकी जूनियर) “सफल”
लेखक की प्रशंसक निकलीं और उन्हें जीवन भर एक असाधारण चरित्र के रूप में माना। “मैं जीवन भर उसके लिए अपने घुटनों पर रहने के लिए तैयार थी,” वह
अपने संस्मरणों में याद करती है।

 

लेकिन अपनी दूसरी शादी के समय तक, पिछली शिकायतों के कारण दोस्तोवस्की पहले से ही ईर्ष्या से फटा हुआ था।

Dostoyevsky and Anna Grigoryevna Snitkenva

इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी के लिए नियमों का एक सेट बनाया: उसे केवल गैर–वर्णनात्मक तटस्थ कपड़े पहनने चाहिए (कोई गले लगाने वाले कपड़े नहीं); पुरुषों के लिए मुस्कान नहीं; पुरुषों की संगति में मत हंसो; लिपस्टिक या आईशैडो का इस्तेमाल न करें। प्रेमियों की खोज और घर में उनकी उपस्थिति के “सबूत” नियमित और आवेगपूर्ण तरीके से हुए। अतार्किक व्यामोह कभी–कभी आधी रात में लेखक से आगे निकल जाता था।

 

दोस्तोवस्की के लिए अन्ना स्निटकिना का प्यार शारीरिक नहीं था, लेकिन “वैचारिक” था, जैसा कि उसने कहा, दोस्तोवस्की हर तरह से अन्ना से प्यार करता था। लेकिन इसने उसे अपनी शादी की अंगूठियां और उसकी शादी की पोशाक बेचने से नहीं रोका ताकि अंतहीन जुए का कर्ज चुकाया जा सके।

 

अपनी तमाम मानवीय कमजोरियों के बावजूद लिखने को लेकर दोस्तोव्स्की किस कदर समर्पित थे इसकी मिसाल यह तथ्य है कि ‘ब्रदर्स करामाजोव’ का आख़िरी हिस्सा प्रकाशक के पास 8
नवम्बर
1880
को भेजा गया और
28
जनवरी
1881
को उनकी मृत्यु हो गयी. तब तक वे अपने रूस के अलावा यूरोप भर में एक असाधारण किस्सागो के तौर पर सम्मान हासिल कर चुके थे.

Anna  Grigoryevna Snitkenva

बहुत कम ऐसे लेखक हैं, जिनके कृतित्व के बारे में, हर समय में, आलोचकों ने उससे अधिक परस्पर–विरोधी :
दृष्टिकोण और व्याख्याएँ प्रस्तुत की होंगी जितना कि दोस्तोयेव्स्की के कृतित्व के बारे में। लेकिन यह भी सच है कि ऐसे लेखक भी इने–गिने ही हैं जिनकी कृतियों ने पूरी दुनिया में दोस्तोयेव्स्की के बराबर गहन दिलचस्पी पैदा की हो।

 

इस सब के बावजूद, जो सच्चाई लगभग निर्विवाद है, वह यह कि फ़्योदोर दोस्तोयेव्स्की न केवल उन्नीसवीं शताब्दी के क्रान्तिकारी जनवादी, मानवतावादी और यथार्थवादी रूसी साहित्य के नक्षत्रमंडल का एक ऐसा सितारा थे, जिसकी अपनी अलग और अनूठी चमक थी, बल्कि समूचे विश्व साहित्य के फलक पर उनकी गणना शेक्सपियर, रैबिले, दांते, गोएठे, बाल्ज़ाक और तोल्स्तोय के साथ की जाती है।

जुए की मेज पर उन्होंने दोस्त–परिचितों से उधार में हासिल किये कितने ही हजार–लाख रूबल हारे हों और जीवन में आई स्त्रियों के साथ कितने ही झगड़े किये हों, कलम के साथ अपनी मोहब्बत को उन्होंने मरते दम तक निभाया.

Funeral of Fyodor Dostoyevsky

The End

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Engr. Maqbool Akram

Engr. Maqbool Akram

I am, Engineer Maqbool Akram (M.Tech. Mechanical Engineer from AMU ), believe that reading and understanding literature and history is important to increase knowledge and improve life. I am a blog writer. I like to write about the lives and stories of literary and historical greats. My goal is to convey the lives and thoughts of those personalities who have had a profound impact on the world in simple language. I research the lives of poets, writers, and historical heroes and highlight their unheard aspects. Be it the poems of John Keats, the Shayari of Mirza Ghalib, or the struggle-filled story of any historical person—I present it simply and interestingly.

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