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Henri de Toulouse-Lautrec: साढे चार फुट के फ्रांस के जीनियस की पेंटिंग्स में अमर हो गई पेरिस की ख़ूबसूरत नर्तकियां! जो इस पर फिदा थी

 9 सितम्बर 1901 के दिन वह अपने घर में मर गया.

दुनिया ने जिसका मजाक उड़ाने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी थी, 36 साल के उस त्रासद जीवन का अहसान चुकाने के लिए ऑनरी दे तूलूस लौत्रेक अपने पीछे 700 कैनवस, 350 प्रिंट्स और पोस्टर्स के अलावा 5000 ड्राइंग्स छोड़ गया.

 

2005 में क्रिस्टी में हुई नीलामी में उसकी एक पेंटिंग 22.2 मिलियन डॉलर में बेचाखरीदा गया.

कई बार यूं भी होता कि जिस रोज सड़क पर बहुत से लोग उसके कद को लेकर उसका मजाक उड़ाते उस रात के लिए वह छःआठ सुंदरियों को छांट कर साथ ले जाता और सेक्स, रचनात्मकता और ताकत की अपनी तमाम फंतासियों को जिया करता.

 

24 नवम्बर 1864 को हैनरी तुलूस लौत्रेक एक बेहद अमीर घर में जन्मे थे. बचपन से ही बीमार रहने वाले हैनरी के स्वास्थ्य के साथ एक के बाद एक त्रासद चीज़ें घटती गईं और इसका असर यह हुआ कि वे कुल साढ़े चार फ़ीट का कद पा सके.

 

एक सामान्य देह के साथ एक सामान्य शारीरिक जीवन बिता पाने लायक रह चुके होने के लिए अभिशप्त हैनरी ने अपना सारा जीवन अपनी कला पर वार दिया.

 

पेरिस के मोन्तमार्त्रे इलाके में अपने जीवन का आधे से ज़्यादा हिस्सा बिताते हुए उन्होंने उस इलाके में बहुतायत में पाए जाने वाले नाचघरों और वैश्यालयों की ज़िन्दगी के छुएअनछुए पहलुओं पर अपनी कूची चलाई और एक से एक शानदार तस्वीरें बनाईं.

 

वहां का एक मशहूर नृत्यघरमूलां रूज़तो समूचे संसार में इसी महान कलाकार के नाम के साथ जुड़ चुका है.

 

उसने उसमें से अनेक स्त्रियों के पोर्ट्रेट्स बनाए और अपने कैनवसों में उन्हें हमेशा के लिए अमर कर दिया.

 

ऐसा ही एक पोर्ट्रेट हैवूमन बिफोर मिरर. खुद को आईने में तटस्थ भाव से देखती उस नग्न स्त्री को देखकर किसी रूमानी नायिका का ख़याल आता है किसी तरह की नैतिक वर्जना मुंह उठाती है.

Women before Mirror

रक्त और मांस की बनी वह नग्न स्त्री किसी भी और स्त्री की तरह साधारण है. आईने में दिख रहा उसका ईमानदार चेहरा बताता है कि वह खुशी और गम के बीच डोलते रहने वाले किसी भी दूसरे इंसान जैसी वल्नरेबल और छलहीन है.

इस एक अकेली पेंटिंग में उन्नीसवीं सदी के बड़े फ्रेंच चित्रकार तूलूस लौत्रेक की रचनाओं की महानता का सूत्र खोजा जा सकता हैउसने अपने छोटे से जीवन में आई तमाम औरतों को उदारता और सहानुभूति के साथ देखा और उन्हें उसी तरह संसार को दिखाया भी.

 

24 नवम्बर 1864 को ऑनरी तुलूस लौत्रेक एक बेहद अमीर घर में जन्मा था. बचपन से ही अक्सर बीमार रहने वाला ऑनरी जब किशोरावस्था में पहुंचा उसकी दोनों जाँघों की हड्डियां फ्रेक्चर हो गईं.

 

इसके बाद उसके स्वास्थ्य के साथ एक से एक बुरी चीज़ें घटती गईं जिसके नतीजे में वह सामान्य आकार के कूल्हों लेकिन बेहद छोटी टांगों वाले बौने इंसान की तरह विकसित हुआ.

 

बिना छड़ी लिए चलना भी उसके लिए मुश्किल होता था. बाद के सालों में उसका चेहरा विकृत होता गया जिसकी वजह से वह मृत्युपर्यंत भीषण दांत के दर्द से जूझता रहा.

 

जीवन की शुरुआत से ही सामान्य शारीरिक जीवन बिता पाने को अभिशप्त हो गए तूलूस लौत्रेक ने अपने आप को कला पर वार दिया.

बोहेमियनों का स्वर्ग माने जाने वाले पेरिस के मोन्तमार्त्रे इलाके में अपने जीवन का आधे से ज़्यादा हिस्सा बिताते हुए उसने उस इलाके में बहुतायत में पाए जाने वाले नाचघरों और वैश्यालयों की ज़िन्दगी के छुएअनछुए पहलुओं पर अपनी कूची चलाई और एक से एक शानदार तस्वीरें बनाईं.

 

मौलिन रूज (The Moulin Rouge)

वहां के सबसे मशहूर नृत्यघर ‘मूलां रूज़’ का नाम अब इसी महान
कलाकार के नाम के साथ जुड़ चुका है. उसमें परफॉर्म करने वाली नर्तकियां और वहां आने
वाले तमाम नामी और अमीर ग्राहक उसके चित्रों का विषय बने.

 

जब
1889
में मौलिन रूज कैबरे खोला गया, तो टूलूज़लॉट्रेक को पोस्टर की एक श्रृंखला बनाने के लिए कमीशन किया गया था।

 

कैबरे ने उनके लिए एक सीट आरक्षित की और उनके चित्रों को प्रदर्शित किया। मौलिन रूज और पेरिस के अन्य नाइटक्लबों के लिए उन्होंने जिन प्रसिद्ध कृतियों को चित्रित किया उनमें गायक यवेटे गिल्बर्ट के चित्रण हैं; डांसर लुईस वेबर, जिसे ला गॉलू ( ग्लूटन) के नाम से जाना जाता है, जिसने फ्रेंच कैनकैन बनाया; और अधिक सूक्ष्म नर्तक जेन एवरिल।

 

वेश्यालय की लड़कियों ने टूलूज़लॉटरेक को प्रेरित किया। वह अक्सर रुए डीएंबोइस में स्थित एक स्थान पर जाते थे, जहां उनका एक पसंदीदा मिरेइल था। उन्होंने इन महिलाओं के जीवन से प्रेरित होकर लगभग सौ चित्र और पचास चित्र बनाए। 1892 और 1893 में, उन्होंने ले लिट नामक दो महिलाओं के चुंबन की एक श्रृंखला बनाई, और 1894 में अपने स्टूडियो में स्मृति से सलोन डे ला रुए डेस मौलिन्स को चित्रित किया।

 

महिलाओं द्वारा उनकी काफी सराहना की गई, उन्होंने कहा,
मुझे अपने आकार की लड़कियां मिली हैं! मुझे घर पर इतना अधिक और कहीं नहीं लगता है

इसके अलावा जापानी प्रिंट शैली में बनाए गए उसके बनाए पोस्टरों के ओरिजिनल डिजायनों में आधुनिक विज्ञापनकला और पॉपआर्ट की शुरुआत भी निहित है.

 

उसकी ज्यादातर पेंटिंग्स में दिखाई देने वाली वेश्याएं उन क्षणों में कैप्चर की गयी हैं जब वे अपने इरोटिक प्रोजेक्शन से बाहर निकल चुकी होती हैं. थकी हुईं, सिगरेट पीतीं, बाल काढ़तीं, पानी गर्म करतीं या कुछ भी करती हुईं ये स्त्रियाँ तूलूस लौत्रेक की अतिविख्यात एलसीरीज में देखी जा सकती हैं.

 

हैनरी तुलूस लौत्रेक के बिना
1880
के दशक में उभरे और कई दशकों के लिए चित्रकला के संसार की परिभाषा को पूरी तरह बदल देने वाले क्रान्तिकारी इम्प्रैशनिस्ट आन्दोलन की कल्पना तक नहीं की जा सकतीउस आन्दोलन के स्तंभों में  विन्सेन्ट वान गॉग, क्लाउद मॉने, मैने, पॉल गोगां, हैनरी रूसो जैसे तमाम महान नामों के साथ तुलूस लौत्रेक के ज़िक्र हमेशा बहुत सम्मान के साथ किया जाता रहेगा.

 

यह बेहद बुद्धिमान और जीनियस कलाकार अपने बेहतरीन सेन्स ऑफ़ ह्यूमर के चलते अपने दोस्तों, जिनमें विन्सेंट वान गॉग और गोगां भी शामिल थे, की तमाम दावतों का केंद्रबिंदु बनता था अलबत्ता गलियों में लोग उसके कद और उसकी आकृति के कारण उसका मज़ाक उड़ाया करते थे.

 

उसके कुलीन और रईस पिता ने पेंटर बनने के अपने बेटे के फैसले को कभी स्वीकार नहीं किया और जीवनभर उससे दूरी बनाए रखी. वेश्याओं से संसर्ग से उसे सिफलिस की बीमारी हो गयी. इतनी सारी जटिल और दुखभरी परिस्थितियों के नतीजे में पच्चीस की उम्र के आतेआते वह भीषण अल्कोहोलिक बन गया. शराब से होने वाले ब्लैकआउट में ही उसे नींद पाती थी.

 

जब उसकी माँ ने, जिससे बह सबसे अधिक नजदीकी महसूस करता था, पेरिस छोड़ने का फैसला किया, तुलूस लौत्रेक को नर्वस ब्रेकडाउन हो गया. इसकी वजह से उसे एक सैनेटोरियम में भर्ती कराना पड़ा. कुछ महीनों के बाद उसकी मां उसे अपने साथ ले गई, लेकिन उससे भी कुछ ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ.

The End

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Engr. Maqbool Akram

Engr Maqbool Akram is M.Tech (Mechanical Engineering) from A.M.U.Aligarh, is not only a professional Engineer. He is a Blogger too. His blogs are not for tired minds it is for those who believe that life is for personal growth, to create and to find yourself. There is so much that we haven’t done… so many things that we haven’t yet tried…so many places we haven’t been to…so many arts we haven’t learnt…so many books, which haven’t read.. Our many dreams are still un interpreted…The list is endless and can go on… These Blogs are antidotes for poisonous attitude of life. It for those who love to read stories and poems of world class literature: Prem Chandra, Manto to Anton Chekhov. Ghalib to john Keats, love to travel and adventure. Like to read less talked pages of World History, and romancing Filmi Dunya and many more.
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