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Vasco da Gama समुद्री मार्ग से भारत का खोजकर्ता समुद्री डाकू था: इस खोज ने भारत में Dutch, French, Danish और Britishers के आगमन का मार्ग प्रशस्त किया . पहले तो भारत को गुलाम बनाया फिर तसल्ली से लूटते रहे। भारत का इतिहास बदल गया

by Engr. Maqbool Akram
August 15, 2022
in Uncategorized
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वास्कोडिगामे को उसके पोप ने भारत को लूटने भेजा था। वास्तव में डिगामा और एक उसका प्रतिद्वंदी दो बड़े लुटेरे थे, और अपने ही देश के लोगों को लूटते मारते थे, और आपसी स्पर्धा में ये अधिक जटिल स्थिति हो जाती थी। तब वहां के लोगों ने पोप से शिकायत की, दोनों ही अड़ गए।

बड़ी मीटिंग बैठी, और इस दुरूह समस्या का हल पोप ने ये निकाला कि एक को दुनिया के एक तरफ का हिस्सा दिया लूटने के लिए और दूसरे को दूसरी तरफ का हिस्सा, दुनिया को पोप ने दो हिस्सों में बांट के उन्हें प्रदान कर दिया, जैसे ये दुनिया उस्के बाप की थी। तब दूसरा लुटेरा अपने हिस्से को लूटने चला गया, और डिगामा इधर निकल पड़ा, उसके हिस्से में भारत आया था लूटने के लिए।

 

पश्चिमी दुनिया के कई नाविक सुदूर पूर्व भारतअर्थात एक ऐसे देश जो अन्य ज्ञात देशों की तुलना में अधिक समृद्ध था,की खोज करने के लिए समुद्री मार्ग से रवाना हुए। किंतु उन सभी नाविकों में से कोई भी इस कार्य में सफल नहीं हो पाया,सिवाय पुर्तगाली नाविक वास्को ड गामा
(Vasco Da Gama)
के।

 

17 मई 1498 को वास्को ड गामा समुद्रीमार्ग से भारत पहुंचने वाला पहला यूरोपीय (European) बना, जब चार जहाजों के साथ वह केरल में कालीकट तट पर उतरा। इससे पांच साल पहले 1492 में क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) ने भी भारत तक पहुंचने के लिए समुद्री मार्ग की खोज करने का प्रयास किया था, किंतु वह एक ऐसी दुनिया (अमेरिका -America) में जा पहुंचा,जिसके बारे में पहले कभी किसी को कोई जानकारी नहीं थी।

 

हालांकि, वास्को ड गामा से पहले सिकंदर
(Alexander),
अरब और मंगोल लोग पहले ही भारत में जा चुके थे, लेकिन उन सभी ने भूमि मार्ग या खैबर दर्रे
(Khyber Pass)
का उपयोग किया था।

 

वास्को ड गामा द्वारा समुद्री मार्ग के माध्यम से भारत की खोज, नेविगेशन
(Navigation)
के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुई और भारत और चीन जैसे देशों के रेशम और मसालों की समृद्धि ने पश्चिमी देशों की जिज्ञासा को लालच और लालसा में बदल दिया।

 

वास्कोडीगामा आज जिसे हम भारत का खोजकर्ता कहते अघाते हैं, दरअसल वह एक समुद्री डाकू
(
लूटेरा) था जिसने सिर्फ भारत को लूटा ही नहीं था बल्कि यहाँ रक्तपात भी बहुत l

 

सिंहासन पर बैठे जमोरिन राजा से वास्कोडिगामा ने हाथ जोड़कर व्यापार की अनुमति माँगी, अनुमति मिली भी पर कुछ सालों बाद हालात बदल गए।

 

बहुत सारे पुर्तगाली व्यापारी आने लगे, इन्होंने अपनी ताकत बढ़ाई, साम दाम दंड की नीति अपनाते हुए राजा को कमजोर कर दिया गया और अन्ततः राजा का कत्ल भी इन्हीं पुर्तगालियों के द्वारा करवा दिया गया।

 

70 – 80 वर्षों तक पुर्तगालियों द्वारा लूटे जाने के बाद फ्रांसीसी आए। इन्होंने भी लगभग
80
वर्षों तक भारत को लूटा। इसके बाद डच (हालैंड वाले) आए श, उन्होंने भी खूब लूटा और सबसे अंत में अँगरेज आए पर ये लूट कर भागने के लिए नहीं बल्कि इन्होंने तो लूट का तरीका ही बदल डाला।

 

20 मई 1498 को वास्कोडिगामा भारत की धरती पर पहला कदम रखा था और राजा के समक्ष अनुमति लेने के लिए हाथ जोड़े खड़ा था। उसके बाद उस लूटेरे और उनके साथियों ने भारत को जितना बर्बाद किया वो इतिहास बन गया।

 

पाँच
सौ साल पुरानी बात है, भारत के दक्षिणी तट पर एक राजा के दरबार में एक यूरोपियन आया था। मई का महीना था, मौसम गर्म था पर उस व्यक्ति
ने एक बड़ा सा कोर्ट–पतलून और सिर पर बड़ी सी टोपी डाल रखी थी।

 

उस
व्यक्ति को देखकर जहाँ राजा और दरबारी हँस रहे थे, वहीं वह आगन्तुक व्यक्ति भी दरबारियों की वेशभूषा को देखकर हैरान हो रहा था।

 

स्वर्ण सिंहासन पर बैठे जमोरिन राजा के समक्ष हाथ जोड़े खड़ा वह व्यक्ति वास्कोडिगामा था जिसे हम भारत के खोजकर्ता के नाम से जानते हैं।

 

1460
ईस्वी में वास्कोडिगामा का जन्म पुर्तगाल में हुआ था |वास्कोडीगामा के पिता वहा के राजा के लिए काम करते थे जिसका मुख्य काम वहा की सरकार के लिए टैक्स वसूल करना था |

 

उस समय स्पेन और पुर्तगाल देशो में आय का मुख्य स्त्रोत समुद्री जहाजो से दुसरे देशो में व्यापार करना होता था | जबकि वास्तविकता में वो समुद्री जहाज पर पुर्तगाल के राजा समुद्री लुटेरो का काम किया करते थे | 1492 में पॉप ने Vasco da Gama वास्कोडीगामा को भी व्यापार के लिए समुद्री यात्रा पर भेजा |

 

वास्कोडीगामा व्यापार के लिए
1497
में समुद्री यात्रा करता हुआ 170
आदमियों के साथ साउथ अफ्रीका के लिबस्न पंहुचा | पहली बार दस हजार किलोमीटर की यात्रा कर तीन महीने के बाद वो साऊथ अफ्रीका पंहुचा |

 

साउथ अफ्रीका में उसको लुटने के लिए कुछ नही मिला और वो आगे निकल पड़ा और अफ्रीका महाद्वीप के कुछ ओर देशो में होते हुए अंत में मलिंदी से
1498
को रवाना हो गया |

 

मई 1498 को (Vasco da Gama) वास्कोडीगामा भारत के कालीकट में पंहुचा | भारत के इतिहास में उसका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया गया कि वास्कोडीगामा ने भारत की खोज की |

 

इसका मतलब वास्कोडीगामा से पहले भारत का अस्तित्व नही था |

ऐसा नही है क्योंकि भारत विश्व में सबसे पुराना देश है उसकी खोज वास्कोडीगामा कैसे कर सकता है | हम यु कह सकते है कि वो समुद्री मार्ग से पहली बार भारत आया था इसलिए समुद्री मार्ग से भारत की खोज करने वाला आदमी कह सकते है|

 

Vasco da Gama वास्कोडीगामा ने भारत में व्यापार करने के लिए जामोरिन से गुजारिश की तो जामोरिन ने उसे मेहमान समझकर व्यापार करने की इजाजत दे दी |

 

अब व्यापार के लिए जामोरिन ने वास्कोडीगामा से कस्टम ड्यूटी के तौर पर सोने चान्दी की माग की लेकिन वास्कोडीगामा के पास उस समय कुछ नही था और वो भारत में व्यापार करना चाहता था | उसने कही से सुना था कि भारत सोने की चिड़िया कहलाता है और यहा सोने के अपार भंडार है |

 

वो इस मौके को गवाना नही चाहता था इसलिए उसने जामोरिन की हत्या करवा दी | जामोरिन की हत्या के बाद वो खुद कालीकट का मालिक बन गया जो उस समय भारत का सबसे बड़ा बन्दरगाह हुआ करता था |

 

Vascodagama
अब कालीकट में बन्दरगाह पर अरब देशो में व्यापार करने वाले जहाजो पर टैक्स लगाना शुरू कर दिया | अगर कोई भी उस समय वास्कोडीगामा को टैक्स नही देता तो वो उसके जहाज को समुद्री लुटेरो को कहकर तबाह करवा देता था |

 

उसका खौफ इतना छा गया था कि उसकी इजाजत के बिना बन्दरगाह से एक जहाज नही हिल सकता था |

 

लगभग 3 महीने बाद जब वो वापस अपने देश लौटा तो सात जहाज भरकर सोने की अशर्फिया लेकर अपने देश चला गया | उसको अब भारत जाने के लिए समुद्री रास्ते का पता चल चूका और दुबारा भारत को लुटने के लिए एक साल बाद फिर भारत आया |

 

दुसरी बार वो भारत से लगभग 12 जहाज भरकर सोने की अशरफिया लेकर गया | उसका मन अब भी नही भरा था और तीसरी बार फिर भारत से 21 जहाज सोने की अशर्फियों से भरकर जहाज लेकर गया |

 

तीसरी यात्रा के बाद उसकी भारत में फिर लौटने की इच्छा थी लेकिन उसकी म्रत्यु हो गयी थी |

 

उस समय यूरोपीय देश बहुत गरीब हुआ करते थे क्योंकि उनके वहा का मौसम ऐसा था कि खेती करने और व्यापार के लिए उपयुक्त नही था |
13
वी और 14वी सदी का आप यूरोपीय देशो का इतिहास उठाकर देखे तो आपको वहा पर कोई उद्योग नही मिलेगा |

 

अब
उनके जीविका का मुख्य काम दुसरे देशो को लूटना था जो लोगो को समुद्री मार्गे से व्यापार के बहाने भेजकर लुट का माल लाने को कहते थे |

 

सबसे पहले पुर्तगालियो ने भारत को लुटा, फिर फ़्रांसीसीयो ने कई वर्षो तक भारत को लुटा, उसके बाद होलैंड के डच लोगो ने भी भारत को खूब लुटा|

 

उनके सबके बाद अंत में अंग्रेज आये जिन्होंने लुटने के साथ साथ भारत पर 200 सालो तक राज किया और भारत से सारा धन इंग्लॅण्ड में पहुचा दिया|

 

यह बात उस समय की है जब यूरोप वालों ने भारत का सिर्फ नाम भर सुन रखा था, पर हाँ…इतना जरूर जानते थे कि पूर्व दिशा में भारत एक ऐसा उन्नत देश है जहाँ से अरबी व्यापारी सामान खरीदते हैं और यूरोपियन्स को महँगे दामों पर बेचकर बड़ा मुनाफा कमाते हैं।

 

पुर्तगालियों ने दक्षिण एशिया की संस्कृति को किस तरह प्रभावित किया? उसकी मिसाल हासिल करने के लिए जब आप बाल्टी से पानी उडेल कर साबुन से हाथ धोकर तौलिए से सुखाते हैं और अपने बरामदे में फीते से नाप कर मिस्त्री से एक फालतू कमरा बनवाते हैं और फिर नीलाम घर जाकर उस कमरे के लिए अलमारी, मेज़ और सोफ़ा ख़रीद लाते हैं और फिर चाय पर्च में डाल कर पीते हैं तो एक ही वाक्य में पुर्तगाली के 15 शब्द आप इस्तेमाल कर चुके होते हैं।

 

आख़िर यूरोपी पुर्तगाल को हिंदुस्तान में इस क़दर दिलचस्पी क्यों थी कि वो उस पर अपने इतने संसाधन झोंकने के लिए तैयार था?

1453
में उस्मानी सुल्तान मेहमद द्वितीय ने कांस्टेंटिनोपल (आज का इस्तांबुल) पर क़ब्ज़ा करके यूरोप की बुनियाद हिला दी थी. अब पूर्व से अधिकतर व्यापार उस्मानियों या फिर मिस्र के ज़रिए ही संभव था जो हिंदुस्तान और एशिया के दूसरे इलाक़ों में मिलने वाले उत्पादों ख़ासतौर पर मसालों पर भारी कर वसूल करते थ।

 

दूसरी ओर यूरोप के अंदर भी वेनिस और जेनेवा ने एशिया के साथ ज़मीनी रास्तों से सफ़र वाले व्यापार पर एकाधिकार क़ायम कर रखा था जिससे दूसरे यूरोपीय देशों ख़ास तौर पर स्पेन और पुर्तगाल को बड़ी परेशानी थी।

 

यही वजह है कि वास्को डी गामा के सफ़र से पांच साल पहले स्पेन ने क्रिस्टोफ़र कोलंबस के नेतृत्व में पश्चिमी रास्ते से हिंद्स्तान तक पहुंचने के लिए एक अभियान रवाना किया था।

 

लेकिन पुर्तगालियों को मालूम था कि कोलंबस की मंसूबाबंदी कच्ची और उनकी जानकारी कम है और वो कभी भी हिंदुस्तान नहीं पहुंच पाएंगे. वाक़ई कोलंबस मरते दम तक समझते रहे कि वो हिंदुस्तान पहुंच गए हैं वो दुर्घटनावश एक नया महाद्वीप खोज बैठे।

 

रास्ते में पेश आने वाली बेपनाह मुश्किलों के बाद वास्को डी गामा यूरोप के इतिहास में पहली बार अफ़्रीका के दक्षिणी साहिल को छूने में कामयाब हो गए. हालांकि हिंदुस्तान अभी भी हज़ारों मील दूर ता और उसका सही रास्ता पहचानना अंधेरे में सुई तलाशने जैसा था।

 

ख़ुशक़िस्मती से उन्हें केन्या के तटीय शहर मालिंदी से एक गुजराती मुसलमान व्यापारी मिल गया जो हिंद महासागर से ऐसे परिचित था जैसे अपनी हथेली की लकीरों से।

 

उसी
नाख़ुदा की रहनुमाई में 20 मई सन 1498 को 12 हज़ार मील के सफ़र और दल के दर्जनों लोगों को गंवाने के बाद वास्को डी गामा आख़िरकार हिंदुस्तान में कालीकट के साहिल तक पहुंचने में कामयाब रहे।

 

कालीकट के ‘समंदरी राजा‘ कहलाए जाने वाले ने अपने महल में वास्को डी गामा का ज़बरदस्त स्वागत किया. बरसती बारिश में वास्को डी गामा को छतरी लगी पालकी में बिठाकर बंदरगाह से दरबार तक लाया गया।

 

लेकिन ये ख़ुशगवारी उस वक़्त तल्ख़ी में बदल गई जब उस ज़माने की परंपरा के मुताबिक वास्को ने राजा को तोहफ़े पेश किए (लाल रंग की हैट, पीतल के बर्तन, चंद किलो चीनी और शहद) वो इस क़दर मामूली निकले की मेहमानदारी के वज़ीर ने उन्हें राजा को दिखाने से इनकार कर दिया।

 

इसका
नतीजा ये निकला कि स्थानीय अधिकारी वास्को डी गामा को किसी अमीर देश के शाही यात्री के बजाए समुद्री लड़ाकू समझने लगे।

 

समुद्री राजा ने वास्को डी गामा की ओर से व्यापारिक कोठियां स्थापित करने और पुर्तगाली व्यापारियों का टैक्स माफ़ करने की अपील रद्द कर दी. हालात यहां तक पहुंच गए कि स्थानीय लोगों ने हल्ला बोल कर कई पुर्तगालियों को मार डाला।

 

वास्को डी गामा के गुस्से का कोई ठिकाना ना रहा। उसके जहाज़ों में जो तोपें तैनात थीं उन्होंने कालीकट पर बम्बारी करके कई इमारतें और शाही महल तबाह कर दिए और समंदरी राजा को देश के भीतरी हिस्सों में भागने पर मजबूर कर दिया।

 

राजनयिक
विफलता अपनी जगह, लेकिन कालीकट में तीन माह रहने के दौरान यहां की मंडियों से बेशक़ीमती मसाले इतनी तादाद में और इतने सस्ते मिले कि उसने जहाज़ के जहाज़ भरवा दिए।

वास्को डी गामा का वापसी का सफ़र बेहद मुश्किलों भरा रहा. आधा दल बीमारियों और एक जहाज़ तूफ़ान का शिकार हो गया।

आख़िरकार लिस्बन से रवाना होने के ठीक दो साल बाद दस जुलाई
1499
को 28 हज़ार किलोमीटर का सफर तय करने के बाद जब पुर्तगाली बेड़ा वापस लिस्बन पहुंचा (वास्को डी गामा अपने बाई की बीमारी की वजह से एक द्वीप पर रुक गए थे) तो उसका ज़बरदस्त स्वागत किया गया. ये अलग बात है कि 170
के दल में से सिर्फ़ 54 लोग ही ज़िंदा लौट सके थे।

Queen Isabella (First) of Spain

शाह मैनवल द्वितीय ने ये बात सुनिश्चित की कि तमाम यूरोप को उसकी कामयाबी की ख़बर तुरंत मिल जाए. उन्होंने को ख़त लिखते हुए धार्मिक कार्ड खेलना ज़रूरी समझा–
“
ख़ुदा के करम से वो व्यापार जो इस इलाक़े के मुसलमानों को मालदार बनाती है, अब हमारी सल्तनत के जहाज़ों के पास होगा और ये मसाले तमाम ईसाई दुनिया तक पहुंचाए जाएंगे।“

क्रिस्टोफर कोलंबस की वापसी; राजा फर्डिनेंड और रानी इसाबेला के सामने उनके दर्शक।

 लेकिन सवाल ये था कि एक छोटा सा देश हज़ारों मील दूर से बड़े पैमाने पर स्थापित व्यापारिक नेटवर्क कैसे तोड़ पाने की उम्मीद रख सकता है?

वास्को ने कालीकट में अपने निवास के दौरान मुसलमानों के कम से कम पंद्रह सौ जहाज़ गिने थे।

लेकिन उसने एक दिलचस्प बात भी नोट की थी– ये जहाज़ अकसर और अधिकतर निहत्थे हुआ करते थे. हिंद महासागर में होने वाला व्यापार आपसी सहयोग के उसूलों पर स्थापित था और राजस्व इस तरह तय किया जाता था कि दोनों पक्षों को फ़ायदा हो।

 

पुर्तगाल
उन उसूलों पर काम नहीं करना चाहता था. उसका मक़सद ताक़त के ज़रिए अपना एकाधिकार क़ायम करके तमाम दूसरे पक्षों को अपनी शर्तों पर मजबूर बनाना था।

जल्द ही पुर्तगाल का ये मंसूबा सामने आ गया. वास्को डी गामा के पहुंचने के छह महीने अंदर अंदर जब पेद्रो अल्वारेज़ काबराल के नेतृत्व में दूसरा पुर्तगाली बेड़ा हिंदुस्तान की ओर रवाना हुआ तो उस में 13 जहाज़ शामिल थे और उसकी तैयारी व्यापारिक अभियान से ज़्यादा जंगी कार्रवाई की थी।

 

काबराल को पुर्तगाली बादशाह ने जो लिखित सलाह दी उससे उनकी महत्वकांक्षा स्पष्ट हो जाती है।

 

“तुम्हें समंदर में मक्का के मुसलमानों का जो भी जहाज़ मिले उस पर हर संभव कोशिश करके क़ब्ज़ा करो, और उस पर लदे माल और सामान और जहाज़ पर मौजूद मुसलमानों को अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करो. उन से जंग करो और जितना तुमसे हो सके उन्हें नुक़सान पहुंचाने की कोशिश करो।“

इस सलाह की रोशनी में सशस्त्र बेड़े ने कालीकट पहुंच कर मुसलमान व्यापारियों के जहाज़ों पर हमले करके माल लूट लिया और जहाज़ों को यात्रियों और नाविकों समेत आग लगा दी।

 

इसी पर चिंता न करते हुए काबराल ने कालीकट पर दो दिन तक बमबारी कर के शहर के लोगों को घर–बार छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया। यही वजह है कि जब वो कोचीन और कन्नूर की बंदरगाहों पर उतरा तो वहां के राजाओं तक ख़बरें पहले ही पहुंच चुकी थीं, इसलिए उन्होंने पुर्तगालियों को उनकी शर्तों पर व्यापारिक ठिकाने क़ायम करने की अनुमति दे दी।

 

काबराल के मसालों से लदे जहाज़ जब वापिस पुर्तगाल पहुंचे तो जितना जश्न लिस्बन में मनाया गया उससे ज़्यादा मातम वेनिस में मना।

जब
1502
में वेनिस के जहाज़ एलेक्ज़ेंड्रिया के बंदरगाह पर पहुंचे तो पता चला कि वहां मसाला न होने के बराबर है, जो है भी उसकी क़ीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं।

अगली बार जब वास्को डी गामा ने हिंदुस्तान का सफ़र किया तो उनके तेवर कुछ और थे. उन्होंने अफ़्रीका के पूर्वी तट के शहरों के बिना वजह और अंधाधुंध बमबारी का निशाना बनाया और उगाही वसूल की. वहां से जाने से पहले उसने मुसलमान व्यापारियों को व्यापार न करने देने का वादा भी लिया।

 

गन बोट डिप्लोमेसी बल्कि गन बोट व्यापार की इससे बेहतर मिसाल मिलना मुश्किल है।

हिंदुस्तान के सफ़र के दौरान जो जहाज़ उसके रास्ते में आया, वो लौट कर डुबा दिया गया. उस दौरान हाजियों का एक ‘मीरी‘ नाम का जहाज़ उसके हाथ लग गया जिस पर चार सौ यात्री सवार थे जो कालीकट से मक्का जा रहे थे.

 

वास्को डी गामा ने यात्रियों को बांध कर जहाज को आग लगा दी। चश्मदीदों के मुताबिक जलते हुए जहाज़ के सिरे पर औरतें अपने बच्चों को हाथ में उठाकर रहम की भीख मांग रहीं और वास्को डी गामा अपने जहाज़ से तमाशा देखते रहे।

 

वास्को डी गामा का स्पष्ट मक़सद पूरे इलाक़े में पुर्तगाल की दहशत फैलाना था।

वास्को अपने मक़सद में पूरी तरह कामयाब रहा। ये ख़बरें समुद्री रास्तों पर यात्रा करते हुए हिंद महासागर के दूर दराज़ इलाक़ों में पहुंच गईं. हिंदुस्तान के तटीय शहरों के पास बेहतरीन पुर्तगाली तोपों और पुर्तगालियों के आक्रामक रवैये का कोई जवाब नहीं था ।उनके पास अब व्यापार की चाभियों को वास्को के हवाले करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।

ये अंधाधुंध आक्रामकता पश्चिमी अपनिवेशवादियों के क़ायम होने की व्यवहारिक मिसाल थी । स्थानीय राजाओं के लिए ये बात अविश्वस्नीय थी कि कोई किसी को समंदर में सफ़र करने से कैसे रोक सकता है?

 

वास्को डी गामा समुद्री डाकूथा।

एशिया में वास्को डी गामा के ये तरीक़े व्यापार के बजाए समुद्री लूट समझे गए लेकिन यूरोप में ये रोज़मर्रा की बात थी। पुर्तगाल दूसरे यूरोपीय देशों से ज़बरदस्त प्रतिस्पर्धा, व्यापार में फ़ौजी ताक़त के इस्तेमाल और दख़ल और फ़ौज़ी ताक़त में नई–नई तकनीक के इस्तेमाल के आदी थे।

 

ये तमाम पूरे हिंद महासागर पर पुर्तगाल के एकाधिकार की शुरुआत थी। स्थानीय राजाों ने हर संभव मुक़ाबला करने की कोशिश की लेकिन हर मुठभेड़ में उन्हें हार ही मिली ।

 

जिसका नतीजा ये निकला कि आने वाली डेढ़ सदियों में पुर्तगालियों ने कन्नूर, कोचीन, गोवा, मद्रास और कालीकट के अलावा कई दूसरे तटीय इलाक़ों में समंदर पार ताक़त के दम पर अपनी हक़ूमत क़ायम कर ली और वहां अपने वायसराय और गवर्नर तैनात कर दिए।

 

दूसरे यूरोपीय देश ये तमाम खेल बड़ी दिलचस्पी से देख रहे थे और यही काम बाद में नीदरलैंड्स, फ्रांस और आख़िरकार अंग्रेज़ों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में दोहराया और पुर्तगालियों को उन्हीं के खेल में शिकस्त देकर न सिर्फ़ हिंदुस्तान बल्कि पूरे हिंद महासागर पर क़ब्ज़ा कर लिया। सिर्फ़ गोवा और दमन और दीव के इलाक़े दक्षिण एशिया की आज़ादी तक पुर्तगालियों के पास रहे. आख़िरकार दिसंबर 1961 में भारत ने फौज़ भेज कर ये इलाक़े पुर्तगालियों के क़ब्ज़े से आज़ाद किए।

 

इसी दौरान अमीरीकी महाद्वीप की खोज हो चुकी थी और वहां स्पेन के अलावा ख़ुद पुर्तगाल और दूसरे यूरोपीय देश ने नए उपनिवेश स्थापित करना शुरू कर दिया था।

 

मुग़लों को समंदर से दिलचस्पी नहीं थी

1526
में जब बाबर ने हिंदुस्तान में मुग़ल सल्तनत की नींव डाली उस समय तक पुर्तगाल तमाम तटीय इलाक़ों पर क़दम जमा चुका था. हालांकि मुग़ल मध्य एशिया के सूखे इलाक़ों से आए थे और उन्होंने समंदर का मुंह तक नहीं देखा था. इसलिए उन्होंने समंदरी मामलों को कोई अहमियत नहीं दी।

 

पुर्तगालियों ने मुग़लों से राजनयिक रिश्ते स्थापित कर लिए और अकबर, जहांगीर और शाहजहां को तरह–तरह के तोहफ़े भेजते रहे।

 

दक्षिण एशिया को पुर्तगालियों की एक और देन के बग़ैर ये रिपोर्ट अधूरी ही रहेगी. हम सब बॉलीवुड के सुनहरे दौर के संगीत के प्रशंसक हैं. इस संगीत के प्रचार में गोवा से आने वाले पुर्तगाली मूल के संगीतकारों का बड़ा हिस्सा है जिन्होंने हिंदुस्तानी संगीत डायरेक्टरों को म्यूज़िक अरेंजमेंट और आर्केस्ट्रा का इस्तेमाल सिखाया।

 

आपको समझ में आ गया होगा वो वास्तव में एक समुद्री लुटेरा था जिसने व्यापार के बहाने भारत को लुटा था |

वास्को
डी गामा की मौत

वास्को डी गामा अपनी तीसरी भारत यात्रा के दौरान मलेरिया की चपेट में आ गए थे, जिससे 24 दिसंबर
1524
को कोच्ची में
55-56
वर्ष की उम्र में उनकी मौत हो गई। उनका शव को पुर्तगाल लाया गया। लिस्बन जहां से उन्होंने अपने भारत यात्रा की शुरुआत की थी, वहां पर उनका स्मारक भी बनाया गया है।
Vasco da Gama in Hindi
में वास्को डी गामा की पत्नी का नाम कटरीना दे अतेड था, उनके 6 लड़के और 1 लड़की थी।

The End 

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Engr. Maqbool Akram

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I am, Engineer Maqbool Akram (M.Tech. Mechanical Engineer from AMU ), believe that reading and understanding literature and history is important to increase knowledge and improve life. I am a blog writer. I like to write about the lives and stories of literary and historical greats. My goal is to convey the lives and thoughts of those personalities who have had a profound impact on the world in simple language. I research the lives of poets, writers, and historical heroes and highlight their unheard aspects. Be it the poems of John Keats, the Shayari of Mirza Ghalib, or the struggle-filled story of any historical person—I present it simply and interestingly.

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पटना की बेहद हसीन तवायफ और एक पुजारी की लव स्टोरी – यह सूखा हुआ पान हमेशा उनकी विधवा पत्नी के लिए रहस्य ही बना रहा.

April 24, 2025
बड़ी शर्म की बात: (इस्मत चुग़ताई) औरत मर्द की नाक काटे तो दहल जाती हूं. उफ़ कितनी शर्म की बात

बड़ी शर्म की बात: (इस्मत चुग़ताई) औरत मर्द की नाक काटे तो दहल जाती हूं. उफ़ कितनी शर्म की बात

March 22, 2025
नशे की रात के बाद का सवेरा (ख़ुशवंत सिंह) अपने अधूरे सपने का अन्त देखने लगा-जो एक विवाहित आदमी बिना संTकोच के कर सकता है.

नशे की रात के बाद का सवेरा (ख़ुशवंत सिंह) अपने अधूरे सपने का अन्त देखने लगा-जो एक विवाहित आदमी बिना संTकोच के कर सकता है.

March 18, 2025
अंतिम प्यार: ताड़ के वृक्षों के समूह के समीप मौन रहने वाली छाया के आश्रय में एक सुन्दर नवयुवती नदी के नील-वर्ण जल में अचल बिजली-सी मौन खड़ी थी. (रबिन्द्रनाथ टैगोर की कहानी )

अंतिम प्यार: ताड़ के वृक्षों के समूह के समीप मौन रहने वाली छाया के आश्रय में एक सुन्दर नवयुवती नदी के नील-वर्ण जल में अचल बिजली-सी मौन खड़ी थी. (रबिन्द्रनाथ टैगोर की कहानी )

March 17, 2025
नाच पार्टी के बाद. वन नाइट लव स्टोरी (रूसी कहानी हिंदी में) लियो टॉल्स्टॉय

नाच पार्टी के बाद. वन नाइट लव स्टोरी (रूसी कहानी हिंदी में) लियो टॉल्स्टॉय

March 17, 2025
परवीन शाकिर छोटी उम्र बड़ी जिंदगी वो शायरा जिनके शेरों में धड़कता है आधुनिक नारी का दिल- दिल को उस राह पे चलना ही नहीं, जो मुझे तुझ से जुदा करती है

परवीन शाकिर छोटी उम्र बड़ी जिंदगी वो शायरा जिनके शेरों में धड़कता है आधुनिक नारी का दिल- दिल को उस राह पे चलना ही नहीं, जो मुझे तुझ से जुदा करती है

March 17, 2025
आय विल कॉल यू मोबाइल फोन (रूपा सिंह) जैसे ही डाटा ऑन किया खट् खट् कर कई मैसेज दस्तक देते चले आये इतनी तेजी से सबकी खबरें स्क्रीन पर चमक रही थी

आय विल कॉल यू मोबाइल फोन (रूपा सिंह) जैसे ही डाटा ऑन किया खट् खट् कर कई मैसेज दस्तक देते चले आये इतनी तेजी से सबकी खबरें स्क्रीन पर चमक रही थी

March 17, 2025
चार्ल्स डिकेंस: के प्रेम प्रसंग विक्टोरियन इंग्लैंड के महान उपन्यासकार अपने युग के रॉक स्टार गलत जगहों पर प्यार की तलाश

चार्ल्स डिकेंस: के प्रेम प्रसंग विक्टोरियन इंग्लैंड के महान उपन्यासकार अपने युग के रॉक स्टार गलत जगहों पर प्यार की तलाश

March 18, 2025
पंच परमेश्वर: फूलो ने घूंघट नहीं खींचा मुंह उठा दिया गेहुंए रंग में दो मांसल आंखें थीं जिनमें  रात का खुमार अभी बिल्कुल मिटा नहीं (रांगेय राघव की कहानी)

पंच परमेश्वर: फूलो ने घूंघट नहीं खींचा मुंह उठा दिया गेहुंए रंग में दो मांसल आंखें थीं जिनमें रात का खुमार अभी बिल्कुल मिटा नहीं (रांगेय राघव की कहानी)

March 18, 2025
मैं खुदा हूँ Ana’l haqq मंसूर अल-हलाज: जल्लाद ने सिर काटा तो धड़ से खून की धार फूट पड़ी और अचानक उनके शरीर से कटा एक-एक अंग चीखने लगा च्मैं ही सत्य हूं

मैं खुदा हूँ Ana’l haqq मंसूर अल-हलाज: जल्लाद ने सिर काटा तो धड़ से खून की धार फूट पड़ी और अचानक उनके शरीर से कटा एक-एक अंग चीखने लगा च्मैं ही सत्य हूं

March 17, 2025
नारी का विक्षोभ: सूरज ने जब सुना सविता कविता करती है  तब दौड़ा-दौड़ा उस्ताद हाशिम के पास गया। (रांगेय राघव)

नारी का विक्षोभ: सूरज ने जब सुना सविता कविता करती है तब दौड़ा-दौड़ा उस्ताद हाशिम के पास गया। (रांगेय राघव)

March 18, 2025
अपरिचित (मोहन राकेश) सामने की सीट ख़ाली थी वह स्त्री किसी स्टेशन पर उतर गई थी इसी स्टेशन पर न उतरी हो यह सोचकर मैंने खिड़की का शीशा उठा दिया और बाहर देखा.

अपरिचित (मोहन राकेश) सामने की सीट ख़ाली थी वह स्त्री किसी स्टेशन पर उतर गई थी इसी स्टेशन पर न उतरी हो यह सोचकर मैंने खिड़की का शीशा उठा दिया और बाहर देखा.

March 18, 2025
Thakur Ka Kuan (Story Munshi Premchand) कुएँ पर स्त्रियाँ पानी भरने आयी थी इनमें बात हो रही थी खाना खाने चले और हुक्म हुआ कि ताजा पानी भर लाओ । घड़े के लिए पैसे नहीं हैं।

Thakur Ka Kuan (Story Munshi Premchand) कुएँ पर स्त्रियाँ पानी भरने आयी थी इनमें बात हो रही थी खाना खाने चले और हुक्म हुआ कि ताजा पानी भर लाओ । घड़े के लिए पैसे नहीं हैं।

March 17, 2025
सुखांत (आंतोन चेखव): इसमें इतना सोचने वाली कौन सी बात है? तुम एक ऐसी औरत हो जो मेरे दिल को भा सके तुम्हारे अंदर वो सारे गुण हैं जो मेरे लिए सटीक हों।

सुखांत (आंतोन चेखव): इसमें इतना सोचने वाली कौन सी बात है? तुम एक ऐसी औरत हो जो मेरे दिल को भा सके तुम्हारे अंदर वो सारे गुण हैं जो मेरे लिए सटीक हों।

March 17, 2025
Epic Love Tale Prithaviraj Chohan & Samyukta: Chivalry, Betrayal, Revange. Changed History &Geography of India

Epic Love Tale Prithaviraj Chohan & Samyukta: Chivalry, Betrayal, Revange. Changed History &Geography of India

March 17, 2025
मेरा नाम राधा है (मंटो) नीलम जिसे स्टूडियो के तमाम लोग मामूली एक्ट्रेस समझते थे, विचित्र प्रकार के गुणों की खान थी। उसमें दूसरी एक्ट्रेसों का-सा ओछापन नहीं था।मैंने जब बहुत जोर से भयानक आवाज में नीलम कहा तो वह चौंकी जाते हुए उसने केवल यह कहा, सआदत, मेरा नाम राधा है।

मेरा नाम राधा है (मंटो) नीलम जिसे स्टूडियो के तमाम लोग मामूली एक्ट्रेस समझते थे, विचित्र प्रकार के गुणों की खान थी। उसमें दूसरी एक्ट्रेसों का-सा ओछापन नहीं था।मैंने जब बहुत जोर से भयानक आवाज में नीलम कहा तो वह चौंकी जाते हुए उसने केवल यह कहा, सआदत, मेरा नाम राधा है।

March 17, 2025
Khayzuran: Romance of a Dancing Slave Became Abbasid Caliphate Queen of The Ruler Al-Mahdi

Khayzuran: Romance of a Dancing Slave Became Abbasid Caliphate Queen of The Ruler Al-Mahdi

March 18, 2025
Shaghab: Sad end of a dancing concubine who became the dominant Queen of the Abbasid Empire Caliph Ahmad al Mutadid?

Shaghab: Sad end of a dancing concubine who became the dominant Queen of the Abbasid Empire Caliph Ahmad al Mutadid?

March 17, 2025
River Stairs (R Nath Tagore) Story of a young widow Kusum. Jaan lo main saint hun is dunya ka nahin tum mujhe bhul jao.

River Stairs (R Nath Tagore) Story of a young widow Kusum. Jaan lo main saint hun is dunya ka nahin tum mujhe bhul jao.

March 17, 2025
Peshawar Express: Krishen Chander. Narrator is train itself Haunting narrative that captures the brutality and chaos of the partition of India in 1947.

Peshawar Express: Krishen Chander. Narrator is train itself Haunting narrative that captures the brutality and chaos of the partition of India in 1947.

March 18, 2025
पोस्टमास्टर (रवीन्द्रनाथ टैगोर) सवेरे से बादल खूब घिरे हुए थे पोस्टमास्टर की शिष्या बड़ी देर से दरवाजे के पास बैठी प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन और दिनों की तरह जब यथासमय उसकी बुलाहट न हुई.

पोस्टमास्टर (रवीन्द्रनाथ टैगोर) सवेरे से बादल खूब घिरे हुए थे पोस्टमास्टर की शिष्या बड़ी देर से दरवाजे के पास बैठी प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन और दिनों की तरह जब यथासमय उसकी बुलाहट न हुई.

March 17, 2025
पड़ोसिन (कहानी रवीन्द्रनाथ ठाकुर) अब छिपाना बेकार है वह तुम्हारी ही पड़ोसिन है, उन्नीस नम्बर में रहती है मैंने पूछा, सिर्फ कविताएं पढ़कर ही वह मुग्ध हो गई?’

पड़ोसिन (कहानी रवीन्द्रनाथ ठाकुर) अब छिपाना बेकार है वह तुम्हारी ही पड़ोसिन है, उन्नीस नम्बर में रहती है मैंने पूछा, सिर्फ कविताएं पढ़कर ही वह मुग्ध हो गई?’

March 17, 2025
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