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June Elia. Ishque ki Pathshala —Khud ko Tabah Kar Lia Aur Malal Bbhi Nahi

by Engr. Maqbool Akram
November 29, 2021
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वो इतने अजीब थे, इतने अजीब थे कि बस, खुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं किया।

 

एक पूरी नौजवानों की खासकर हिन्दुस्तान में जिन्हें चे के बारे में ज्यादा पता नहीं है। लेकिन उनके चेहरे से, एटीट्यूड से, उनकी बेतरतीब दाढ़ी से, उनके कैप से एक अलग तरह का क्रांतिकारी बोध पैदा होता है। इसी वजह से उनके चाहने वाले पूरी दुनिया में हैं।

 

अनुभवों की वादी में जब तक इंसान सीने के बल न चल ले, वह जॉन एलिया नहीं हो सकता। क्या आप भी ऐसा मानते हैं? वह केवल रूमान के शायर नहीं थे,उनकी निजी जिंदगी जितनी भी दुश्वार क्यों न रही हो,वह ऐसे शायर हैं जिन्हें हर पीढ़ी पढ़ती है।

 

जौन! एक लड़की ‘फरेहा’के दिल को दुखा कर तुम बड़े आराम से हो‘

मोहब्बत की पहेली उनसे सुलझी ही नहीं और इसी उलझन में पड़कर किसी की जान चली गई ।वो उसे ‘फरेहा’ नाम से अपनी शायरी में बुलाते रहे। उन्होंने एक गुनाह किया और उसी गुनाह की आग में ताउम्र जलते रहे। वो उस जुर्म को कुछ यूं बयां करते हैं।

 

शायद मुझे किसी से मुहब्बत नहीं हुई,

लेकिन यकीन सबको दिलाता रहा हूं मैं।

यही यकीन उन्होंने उस लड़की को भी दिलाया था। जो उनसे बेपनाह प्यार करती थी और फिर खून थूकते हुए, टीबी की मर्ज के साथ इस दुनिया से चली गई ।जब उस लड़की को पता चला कि जौन उससे मोहब्बत का दिखावा कर रहे थे तो उसने जौन को एक ख़त लिखा।

 

जौन,

तुम्हें ये दौर मुबारक, तुम ग़मों–आलम से दूर हो. एक लड़की के दिल को दुखाकर तुम बड़े आराम से हो। एक महकती अंगडाई के मुस्तकबिल का खून किया है तुमने। उसका दिल रखा है या उसके दिल का खून किया है तुमने।

 

जौन, को जब पता चला कि वो खून थूकते हुए उनकी याद में शायराना खतूत लिख रही थी तो उन्हें भीतर तक उस लड़की से मोहब्बत हो गई. वो उसे पाने के लिए तड़पने रहे औ।र घूम–घूम मुशायरों के मंचों से कहते रहे।

 

ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,

एक ही शख्स था जहान में क्या.

उस दिन के बाद से उनके लिए ख़ुशी के कोई मायने नहीं रह गए और ज़हन में महज़ एक हसरत पलने लगी कि काश वो भी उस लड़की की तरह खून थूक सकें. जो पूरी भी हुई और वो खून थूकते हुए ही मरे उनकी। शायरी में खून थूकने का जिक्र खूब मिलता है. मसलन:

 

मेरे कमरे का क्या बयां कि यहां,

खून थूका गया है शरारत में.

 

या फिर,

तुम खून थूकती हो ये सुनकर ख़ुशी हुई,

इस रंग इस अदा में पुरकार ही रहो.

June Elia

 तन्हाई में तपता शायर

फरेहा के जाने के बाद जौन, उसके गम में यूं मुब्तला हुए कि बस उसमें ही खोते चले गए. कभी शराब का सहारा लिया कभी तन्हाई का और जैसे उस लड़की की जिंदगी अज़ाब हो गई थी अपनी भी ज़िन्दगी तबाह कर ली ।शायद इसी बात को कहते हुए वो लिखते हैं:–

 

अब मैं कोई शख़्स नहीं,

उसका साया लगता हूं.   

इस अफ्सुर्दगी और उदासी के बीच, उर्दू पत्रिका ‘इशां’ निकालने के दौरान पत्रकार जाहिदा हिना से मुलाकात हुई। इश्क़ जैसा कुछ हुआ कि नहीं ये बात तो जौन खुद नहीं जानते थे मैं क्या कहूंगा।

 

खैर जाहिदा से शादी हुई और तीन बच्चे भी हुए पर जौन एलिया बंधने वाले शख्स का नाम नहीं था जल्द ही शादी भी गले की जकड़न लगने लगी और 1984 आते–आते तलाक़ हो गया।इसके बाद तो जौन एलिया तन्हाई में ग़र्क होते गए, ख़फा मिजाजी बढ़ती गई।

 

शराब में खुद को इस तरह ढूंढने लगे कि एकदम खो गए. वो शायरी से लेकर जिंदगी तक को बर्बाद, और बर्बाद करने पर उतारू दिखे. और आखिरी दौर में कराची के अपने फ़्लैट में तनहा खून थूकते हुए फौत हो गए।

 

नौजवान हों या बुजुर्ग, जॉन को सब पसंद करते हैं। उनका सोचने और कहने का ढंग लगभग सभी शायरों से अलग है। अब दौर यह है कि सोशल मीडिया पर जॉन अहमद फरा़ज और ग़ालिब से भी अधिक लोकप्रिय दिखते हैं।

जौन एलिया की  इश्के की पाठशाला

इस दौर में जौन एलिया युवाओं
को वो सबसे असरदार तरीके से खुद को व्यक्त करने का ज़रूरी सामान मुहैया कराते हैं।

 

मोहब्बत एक एहसास है, जिसे रूह से महसूस किया जा सकता है। यह उस अनादि अनंत ईश्वर की तरह है, जो सृष्टि के कण–कण में विद्यमान है। प्यार, जो हमारे संपूर्ण जीवन में विभिन्न रूपों में सामने आता है। जो यह एहसास दिलाता है कि जिन्दगी कितनी खूबसूरत है।

 

किसी के खयालों में खोकर खुद को भुला देना, उसके सभी दर्द अपना लेना, स्वयं को समर्पित कर देना, उसकी जुदाई में दिल में एक मीठी चुभन महसूस करना, हर पल उसका सामीप्य चाहना, उसकी खुशियों में खुश होना, उसके आंसुओं को अपनी आंखों में ले लेना, हां यही तो प्यार है। इसे महसूस करो और खो जाओ उस सुनहरी अनोखी दुनिया में, जहां सिर्फ सुकून है।

मैं जौन एलिया की बात कर रहा हूँ और जिस इश्क की पाठशाला  की बात कर रहा हूँ वो उसकी शायरी है।

 

तो शुरू करते हैं…. क्या है जौन एलिया की इश्क़ की पाठशाला ?

Love is the dog from Hell.

यानी इश्क़ या मोहब्बत नरक का कुत्ता है।

 

जब तक इस जुमले से पैदा हुए सदमे से बाहर आओ सुनो कि जौन का इस बारे में क्या कहना है…

हुस्न बला का कातिल हो पर आखिर को बेचारा है

इश्क़ तो वो कातिल जिसने अपनों को भी मारा है

 

ये धोखे देता आया है दिल को भी दुनिया को भी

इसके छल ने खार किया है सहरा में लैला को भी

यानी जौन तो इसे कातिल और धोखेबाज़ कह रहा है। पर शायद तुमने तो एक खूबसूरत सी तस्वीर तसव्वुर करके इश्क़ की पाठशाला में कदम रक्खा होगा कि प्यारी प्यारी बातें सुनने को मिलेंगी। दोस्त! दुनिया की कोई भी अफ्लातूनी शै एक रंग की नहीं होती। इश्क़ की अपनी दुश्वारियां, मजबूरियाँ और तो और अपनी बदसूरत शक्ल है।

June Elia with wife Zahida Hina

इश्क़ वो आईना है जो आपको आपकी वो जानकारी दे सकता है जो शायद आप सुनना नहीं चाहेंगे। ज़्यादातर लोग इश्क़ करते हुए अपने इश्क़ को मुकम्मल चाहते हैं और चाहें भी क्यूँ नहीं! मगर फिर हमें ये कभी समझ नहीं आता कि इश्क़ तो नामुकम्मल होने का जश्न है।

 

ये एक ऐलान है कि एक शख्स है जिसे आपके शिकस्त की पूरी पूरी जानकारी है। वो शख्स ये भी जानता है कि आप अपने अंदर किस शैतान को पनाह देते हैं और वो शख्स आपके अंदर के शैतान को कभी मरने नहीं देगा चुंकि आपने लोगों की भीड़ में उस एक शख्स का इंतिख़ाब ही उस शैतान की मौजूदगी में किया है।

 

ज़ुलेखा ए अज़ीज़ाँ बात ये है

भला घाटे का सौदा क्यूँ करें हम ?

वाकया मिस्र का है। ये कुरआन का सबसे अफज़ल किस्सा कहा गया है। जब खुदा के बंदे युसूफ को मिस्र की रानी ज़ुलेखा ने पसन्द किया था। वो चाहता तो उस रानी के साथ जिस्मानी रिश्ता कायम कर लेता।

 

जौन कहना चाहता है कि उसने नहीं किया। और करे भी क्यूँ? जौन के हिसाब से ज़ुलेखा के साथ का रिश्ता न करना युसूफ की कोई ईमानदारी का सुबूत नहीं था बल्कि उसे ये दिख रहा था कि ये घाटे का सौदा है। और फिर जो कहानी में हुआ सबको मालूम है। कैसे युसूफ ने सबके सामने अपना मर्तबा साबित किया !

Zahida Hina-Wife of June Elia

इश्क़ दरअसल एक इंतिहाई खुदगर्ज़ शै है कि जिसमें आप एक शख्स इंतिखाब करते हैं और उसके इर्द गिर्द आपकी दुनिया को घुमाना चाहते हैं। पर जब आपको ये मालूम होता है कि उस शख्स में वो तमाम खामियां हैं जो इस दुनिया की खामियां हैं तो फिर इश्क़ अपनी पहली करवट लेता है। जहाँ आप इस बात से समझौता कर अपनी नज़रों को उस शख्स की अच्छी बातों का काइल रखकर ज़िन्दगी गुज़ार लेता है।

 

पर जौन नहीं कर पाता… वो कहता है…

इक हुस्न ए बेमिसाल की तमसील के लिए

परछाईयों पर रंग गिराता रहा हूँ मैं!

मतलब जौन जिस perfection की तलाश में है उसकी तुलना में शायद बाकी हुस्न ( दोनों तरह का अंदरूनी और बहरूनी ) फ़क़त परछाईयाँ हैं।

 

क्या ये कुछ ज़्यादा की ख्वाहिश नहीं है? बिल्कुल है! और इसका कारण महज़ इंसान की नरगिसी अना नहीं बल्कि उसकी ज़ेहनी पेश ओ पेश है। पर क्या इसका कोई जवाबी असर नहीं होता? बिल्कुल होता है। वो शख्स जो आजतक आपको इतनी नज़दीक से जानता था, आपके बिना मर जाने की कसमें खा रहा था, वो अब एक ज़ेहनी शैतान बनकर आपको ये एहसास दिलाने पर उतारू हो जाता है कि कमी आप में ही कुछ है।

Sohaina Elia Daughter of John Elia

 

जौन के कई शेर दिमाग में आते हैं….

 

जानिए उस से निभेगी किस तरह

वो ख़ुदा है मैं तो बंदा भी नहीं

हर शख्स अपने आपको खुदा तसव्वुर करता है। पर सच तो ये है कि इश्क़ में खुद को खुदा कहना कयामत बुलाने जैसा है। जौन हार गया है। इस शेर में वो एक ही समय पर तंज़ पर रहा है और अपनी शिकस्त ए इश्क़ का ऐलान भी। “you deserve better” का ही ये एक दूसरा रूप है।

 

गाहे गाहे बस अब यही हो क्या

तुमसे मिलकर बहुत खुशी हो क्या

एक बार को तो लगता है कि इस मुकाम पर जब आशिक को अपने इश्क़ के मामूली होने का सुबूत मिल जाता है तो वो मिलते वक्त की तकल्लुफ़ वाली खुशी से भी इन्कार कर देता है। 

 

अब ये जान पड़ता होगा कि ये निहाँ जुल्म है और बचकानी बात है। सुनो ना! तो एक काम करो! इसे यहीं पढ़ना छोड़ दो! क्यूंकि मुझे फिर समझ नहीं सकता कि फिर तुम इश्क़ समझे भी हो। ये कैसी शर्त है कि इश्क़ को भी एक रिवायत की तर्ज़ पर करना पड़ेगा।

Syed Zereon–Son of John Elia

इश्क़ मेरे या जौन के नज़दीक इस मुकाम पर तहजीब और अदब की चौहद्दी में कुटिया बनाकर रहने का नाम नहीं है। जो आज के हर शुरुआती आशिक के सपनों के घर बसाने तक का सफर करने से आगे की उड़ान नहीं कर पाता और फिर यही पाकर सोचता है कि वाह क्या पा लिया और फिर अपने इश्क़ को अपने हाथों गला घोंटकर मर जाने को मजबूर कर देता है। जौन की वो ग़ज़ल…

 

सीना दहक रहा हो तो क्या चुप रहे कोई

क्यूँ चीख़ चीख़ कर न गला छील ले कोई

 

साबित हुआ सुकून–ए–दिल–ओ–जाँ कहीं नहीं

रिश्तों में ढूँढता है तो ढूँडा करे कोई

 

तर्क–ए–तअल्लुक़ात कोई मसअला नहीं

ये तो वो रास्ता है कि बस चल पड़े कोई

 

दीवार जानता था जिसे मैं वो धूल थी

अब मुझ को ए‘तिमाद की दावत न दे कोई

 

मैं ख़ुद ये चाहता हूँ कि हालात हूँ ख़राब

मेरे ख़िलाफ़ ज़हर उगलता फिरे कोई

 

ऐ शख़्स अब तो मुझ को सभी कुछ क़ुबूल है

ये भी क़ुबूल है कि तुझे छीन ले कोई

 

हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ

आख़िर मिरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई

 

इक शख़्स कर रहा है अभी तक वफ़ा का ज़िक्र

काश उस ज़बाँ–दराज़ का मुँह नोच ले कोई

बस तो फिर हमारा आशिक भी ताल्लुक़ात के इस अलगाव को कुबूल कर लेता है। लेकिन यहाँ भी उसके अंदर का गुस्सा और कमतरी का डर नहीं जाता और वो एक नज़्म कहता है जिसमें वो अपनी महबूबा को सज़ा सुना देता है…

 

जब मैं तुम्हें नशात–ए–मोहब्बत न दे सका

ग़म में कभी सुकून–ए–रिफ़ाक़त न दे सका

जब मेरे सब चराग़–ए–तमन्ना हवा के हैं

जब मेरे सारे ख़्वाब किसी बेवफ़ा के हैं

फिर मुझ को चाहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं

तन्हा कराहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं

शायद इससे पहले इतना गुस्सा उसने कभी न किया हो। वो तंज़ करता है कि अगर मैं तुम्हें मोहब्बत के उस एहसास जिसमें बदन ओ जाँ एक अजीब सुख से सरशार रहते है, उस एहसास से दो चार न कर सका, तुझे अपने साथ का सुकून ग़म के पलों में न दे सका तो फिर क्यूँ  तुम अभी तक मुझ ज़हर को अमृत माने बैठी हो, तुम्हें सुकरात बनने की कोई ज़रूरत नहीं।

 

वो हताशा के समंदर में डूबकर कहता है कि जब वो सारे तमन्नाओं के चराग़ जो उसने तुम्हारे सबब जलाए थे और वो डरता था कि कहीं दुनिया की हवा उसे बुझा न दे, वो चराग़ हवा के निकले! यानी तुम भी दुनिया निकली! तो ये सब कुछ एक भरम के सिवा कुछ न था। तुममें कोई खास बात नहीं थी। और आखिरी में वो ऐलान करता है जिसमें वो उस बेवफा से उसे चाहने का हक़ छीने लेता है और एक ड्रामाई तर्ज़ पर उसे कराहने तक से मरहूम कर देता है।

और फिर इसके बाद हर इक शाम शाम ए वीराँ और हर एक शब शब ए हिज्र होती जाती है। इन दो पहरों में तो फिर भी आशिक की इज़्ज़त है पर दोपहर तो मानो पागलपन का पहर होता है। जौन भी शेर लिखता है …

 

कल दोपहर अजीब इक बेदिली रही

बस तिल्लियाँ जलाकर बुझाता रहा हूँ मैं

ऐसी रायगानी!? इस कदर हर एहसास की कमी! कि बस एक फिज़ूल का काम किये जाना और दोपहरें बिताना। सुबह तो मानो अपनी रौशनी के हर कतरे में ईसा की सलीबें टाँके आप की आंखों में कीलें गाड़ने चली आती है। चीखने को दिल करता है। फिर इक दिन ये suffering खत्म हो जाती है |

 

न हुआ नसीब क़रार ए जाँ हवस ए क़रार भी अब नहीं

तिरा इंतिज़ार बहुत किया तिरा इंतिज़ार भी अब नहीं

 

तुझे क्या ख़बर मह ओ साल ने हमें कैसे ज़ख़्म दिए यहाँ

तिरी यादगार थी इक ख़लिश तिरी यादगार भी अब नहीं

तो क्या वो अबतक इंतज़ार कर रहा था? हाँ! वो अभी तक इंतज़ार में था कि शायद एक दिन उसका महबूब घुटनों पर आकर अपनी गलतियों की माफ़ी मांगेगा! पर ऐसा कुछ न हुआ। ये वो मुकाम था जब यादें भी साथ छोड़ गयीं।

 

ऐसे मौके पर आशिक सोचता है क्या मुझे सच में किसी शख्स की ज़रूरत है? तो उसे जवाब आता है कि क्या ज़रूरत के लिए इश्क़ किया था? ये तो बस हो गया था। जैसे चलते चलते बस गिर जाया जाता है। फ्रेंच भाषा से ही तो अंग्रेजी में ये जुमला आया है… To fall in love.

 

जौन या ऐसा कोई भी शख्स बिना fall के इश्क़ का तसव्वुर नहीं कर सकता! आज तो जो सिलसिलेवार ढ़ग से गिरने के लिए भी सीन रचे जाते हैं तो लगता है कि आशिक इश्क़ नहीं बल्कि इश्क़ की method acting कर रहे हैं।

 

जौन की मोहब्बत hypocrisy का काइल नहीं है और जहाँ वो खुद hypocritical है वहाँ वो इस पर शेर कहकर दुनिया को बता देना चाहता है कि देखो मै झूठा हूँ।

 

इश्क़ को दरमियाँ न लाओ कि मैं

चीखता हूँ बदन की उसरत में

 

रूह ने इश्क़ का फरेब दिया

जिस्म को जिस्म की अदावत में

 

शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई

मगर यकीन सबको दिलाता रहा हूँ मैं

आज ये महज़ लफ्ज़ है के जिसमें जौन बड़ी ईमानदारी से कहता नज़र आता है कि जिस इश्क़ को इश्क़ तसव्वुर करके मेरे पास आ रही ह मत आओ, शायद मैं अपनी जिस्मानी कमज़ोरी के सबब तुमको उस इश्क़ की एक बून्द भी न चखा सकूँ! तो कहीं रूह को ही इश्क़ का फरेब देने के लिए दोषी ठहराता है और इसके पीछे इक जिस्मानी दुश्मनी का ज़िक्र करता है।

 

आखिरी शेर में तो खुले आम जौन कह रहा है कि उसे मोहब्बत नहीं हुई, ज़ाहिर है नहीं हुई! क्यूंकि वो तो अपने ही बकौल बस परछाईयों पर रंग गिराता रहा है। पर यहाँ भी वो अपनी अच्छाई बयाँ करता है कि उसने कितना बड़ा एहसान किया है सबको यकीन दिलाकर। ये दरअसल एहसान फरामोशी है। जौन पर लआनत और उसके इश्क़ पर भी।

 

तो फिर इश्क़ यही बदसूरती है? और जौन जो कि मंतक और भाषा का इतना बड़ा जानकार है, इश्क़ नाम का फ्राॅड करता चला आ रहा है? पाँच भाषाओं का जानकार, फलसफे को ज़ेहन के अंदरून तक जीने वाला इतना बड़ा आलिम एक मक्कार? पूरी तरीके से नहीं। जौन के नोट्स के वो पहले पन्ने मैंने अभी तक आपसे छिपाकर रक्खे जिनमें वो अपनी महबूबा को इक शहज़ादी की सी इज़्ज़त बख्शता नज़र आता है।

 

 

तो चलिए चलें जौन की जेंटलमैन शायरी की तरफ़….

 

मोहब्बत क्या थी ज़ुज़ बदहवासी

के वो बंद ए क़बा़ हमसे खुला नहीं

यहाँ मुझे जौन अफ़लातूनी इश्क़ का इस्तियारा मालूम हो रहा है। अपने इस मोहब्बत के एहसास को महज़ बदहवासी कह रहा है। क्यों? क्योंकि उससे अपनी महबूबा के कपड़े का बंद खुला नहीं। शायद इस छोटे और अदने से वाकयात ने जौन को समझा दिया कि आम इश्क़ की ज़रूरतों को उसका इश्क़ पूरा नहीं कर सकता और फिर उसने इज़हार में बता दिया कि मेरी मोहब्बत ही खराब है कि मैं दुनिया के definition पर खरा न उतर सका।

 

चांद ने ओढ़ ली है चादर ए अब्र

अब वो कपड़े बदल रही होगी

 

उसके बदन को दी नुमूद हमने सुखन में और फिर

उसके बदन के वास्ते इक क़बा़ भी सी गई

 

तसव्वुर वाली महबूबा को भी लिबास पहनाना ! ये कैसा आशिक है जो महबूब के इस्मत की उससे ज़्यादा कद्र करता हो! जौन की दुनिया में चांद भी अपने आपको बादल की चादर में ढक लेता है जब वो कपड़े बदल रही होती है।

 

जौन का ये कित़आत…

ये तेरे ख़त ये तेरी खुशबू ये तेरे ख्वाब ओ खयाल

मता ए जाँ हैं तेरे कौल और कसम की तरह

 

गुज़श्ता साल मैंने इन्हें गिनकर रक्खा था

किसी गरीब की जोड़ी हुई रकम के तरह

अब आपको समझ आ रहा होगा कि मैं इस शख्स की तब वकालत क्यों कर रहा था जब वो अपने महबूब पर ज़ुल्म पर ज़ुल्म किए जा रहा था। मैं कहीं न कहीं इसे ये हक़ देने का हामी हूँ।

 

क्यों? यूँ कि जो शख्स अपने महबूब की यादों को, खुतूत और खुशबू तक को गिनकर रखता है जैसे वो उसकी ज़िन्दगी की कमाई हो तो फिर क्या तुम्हें वो महबूब जो इसपर भी अलग होना चाहता है, एक सरमायादार या वो फैक्ट्री का मालिक नहीं नज़र आता जो मज़दूर के इस कदर मेहनतकश होने के बावजूद उसे नौकरी से निकाल रहा है। मुझे तो यही नज़र आता है!

 

और तारिफ़ें भी देखिए….

तुम हक़ीक़त नहीं हो हसरत हो

जो मिले ख़्वाब में वो दौलत हो

 

तुम हो ख़ुशबू के ख़्वाब की ख़ुशबू

और इतने ही बेमुरव्वत हो

 

किस तरह छोड़ दूँ तुम्हें जानाँ

तुम मेरी ज़िन्दगी की आदत हो

 

किसलिए देखते हो आईना

तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो

 

दास्ताँ ख़त्म होने वाली है

तुम मेरी आख़िरी मुहब्बत हो

मतलब आप किसी शख्स की सुंदरता में उसकी तुलना किससे करेंगे? फूल से, किताब से या कहें किसी और खुबसूरत शै से।

 

जौन अपने महबूब को खुद से भी खूबसूरत अहिंसा रहा है। इस कदर तारीफ़? कि खुदा की बनाई उसी शै को को उसी शै से बेहतर कह देना। ये जौन ही कह सकता है!

 

न जाने क्या दौलत मानता है उस लड़की को की ख्वाब में उसे पाता है। प्यार में अपने जीते जागते प्यार को कह देना कि तुम ज़रूर ख्वाब हो! हसरत हो! हक़ीक़त तो ऐसी नहीं होती! ये जौन की करामत है।

 

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे

जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

 

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का

वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे

 

किसी लिबास की खुशबू जब उड़ के आती है

तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है

 

तेरे गुलाब तरसते हैं तेरी खुशबू को

तेरी सफ़ेद चमेली तुझे बुलाती है

 

तेरे बग़ैर मुझे चैन कैसे पड़ता हैं

मेरे बगैर तुझे नींद कैसे आती है

गुलाब भी जिसकी खुशबू को तरसते हों वो कैसी होगी? अब हम जानते हैं वो आम सी ही है पर सोचिए कि क्या जौन इस तसव्वुर के बात आम शै बर्दाश्त करेगा?

 

मेरी अक्लो होश की सब हालते

तुमने साँचे में जुनु के ढाल दी

 

कर लिया था मैंने एहदे तर्के–इश्क

तुमने फिर बाहें गले में ड़ाल दी |

रूठने और मनाने की ऐसी अठखेलियाँ के जहाँ रिश्ता खत्म करने तक बात आ गई और फिर महबूब के इक बार गले में हाथ डालते ही जो शख्स पिघल जाए तो आपको क्या लगता है कि क्या वो शख्स जब नफ़रत करेगा तो क्या सतही नफ़रत करेगा? वो मुंह नोंच लेगा अपनी महबूबा का वहशत में।

 

ये कुछ आसान तो नहीं है कि हम

रूठते अब भी हैं मुरव्वत में!

रिश्ता कब का खत्म! वो शायद इन्हें भूल गई है और ये हज़रत उनसे मुरव्वत में के लिए रूठे बैठे हैं। रिश्ते को इस कदर निभाते रहना क्या पागलपन है? मेरे नज़दीक यही इश्क़ है।

 

नया एक रिश्ता पैदा क्यूं करे हम

बिछड़ना है तो झगडा क्यूं करें हम?

इतना सहनशील और मुहज्ज़ब शख्स? जौन एलिया! यकीन नहीं होता पर ये सच है! झगड़ा तक नहीं करना चाहता।

 

इसके fifty shades हैं और हर shade एक गहरा shade है। मोहब्बत भी ऐसा ही इक shade है इसका। रूकने को जी भी नहीं कर रहा और ऐसा भी नहीं है कि जौन के नोट्स यहीं खत्म हो गए। पर अब इस अफसाने को खुबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा जान पड़ रहा है। अगर मुकम्मल ट्यूशन पढ़नी है तो जौन को पढ़िए। जौन का ये शेर छोड़े जा रहा हूँ…

 

रोया हूँ तो अपने दोस्तों में

पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ

 

जिंदगी में खुद को नाकामयाब मानने वाले जौन 8 नवंबर 2002 को चल बसे. लेकिन उनके शेर आज भी फेसबुक, ट्विटर, किताबों और आशिकों के बीच जिंदा हैं. 

The End

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Engr. Maqbool Akram

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I am, Engineer Maqbool Akram (M.Tech. Mechanical Engineer from AMU ), believe that reading and understanding literature and history is important to increase knowledge and improve life. I am a blog writer. I like to write about the lives and stories of literary and historical greats. My goal is to convey the lives and thoughts of those personalities who have had a profound impact on the world in simple language. I research the lives of poets, writers, and historical heroes and highlight their unheard aspects. Be it the poems of John Keats, the Shayari of Mirza Ghalib, or the struggle-filled story of any historical person—I present it simply and interestingly.

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Fall of Constantinople नौजवान सुल्तान मोहम्मद फतेह ने 29 मई 1453 को कुस्तुनतुनिय फतह (इस्तांबूल) किया.रोमन साम्राज्य का अंत. इस के बाद इस्लाम का यूरोप में प्रवेश.

Fall of Constantinople नौजवान सुल्तान मोहम्मद फतेह ने 29 मई 1453 को कुस्तुनतुनिय फतह (इस्तांबूल) किया.रोमन साम्राज्य का अंत. इस के बाद इस्लाम का यूरोप में प्रवेश.

May 2, 2025
पटना की बेहद हसीन तवायफ और एक पुजारी की लव स्टोरी – यह सूखा हुआ पान हमेशा उनकी विधवा पत्नी के लिए रहस्य ही बना रहा.

पटना की बेहद हसीन तवायफ और एक पुजारी की लव स्टोरी – यह सूखा हुआ पान हमेशा उनकी विधवा पत्नी के लिए रहस्य ही बना रहा.

April 24, 2025
बड़ी शर्म की बात: (इस्मत चुग़ताई) औरत मर्द की नाक काटे तो दहल जाती हूं. उफ़ कितनी शर्म की बात

बड़ी शर्म की बात: (इस्मत चुग़ताई) औरत मर्द की नाक काटे तो दहल जाती हूं. उफ़ कितनी शर्म की बात

March 22, 2025
नशे की रात के बाद का सवेरा (ख़ुशवंत सिंह) अपने अधूरे सपने का अन्त देखने लगा-जो एक विवाहित आदमी बिना संTकोच के कर सकता है.

नशे की रात के बाद का सवेरा (ख़ुशवंत सिंह) अपने अधूरे सपने का अन्त देखने लगा-जो एक विवाहित आदमी बिना संTकोच के कर सकता है.

March 18, 2025
अंतिम प्यार: ताड़ के वृक्षों के समूह के समीप मौन रहने वाली छाया के आश्रय में एक सुन्दर नवयुवती नदी के नील-वर्ण जल में अचल बिजली-सी मौन खड़ी थी. (रबिन्द्रनाथ टैगोर की कहानी )

अंतिम प्यार: ताड़ के वृक्षों के समूह के समीप मौन रहने वाली छाया के आश्रय में एक सुन्दर नवयुवती नदी के नील-वर्ण जल में अचल बिजली-सी मौन खड़ी थी. (रबिन्द्रनाथ टैगोर की कहानी )

March 17, 2025
नाच पार्टी के बाद. वन नाइट लव स्टोरी (रूसी कहानी हिंदी में) लियो टॉल्स्टॉय

नाच पार्टी के बाद. वन नाइट लव स्टोरी (रूसी कहानी हिंदी में) लियो टॉल्स्टॉय

March 17, 2025
परवीन शाकिर छोटी उम्र बड़ी जिंदगी वो शायरा जिनके शेरों में धड़कता है आधुनिक नारी का दिल- दिल को उस राह पे चलना ही नहीं, जो मुझे तुझ से जुदा करती है

परवीन शाकिर छोटी उम्र बड़ी जिंदगी वो शायरा जिनके शेरों में धड़कता है आधुनिक नारी का दिल- दिल को उस राह पे चलना ही नहीं, जो मुझे तुझ से जुदा करती है

March 17, 2025
आय विल कॉल यू मोबाइल फोन (रूपा सिंह) जैसे ही डाटा ऑन किया खट् खट् कर कई मैसेज दस्तक देते चले आये इतनी तेजी से सबकी खबरें स्क्रीन पर चमक रही थी

आय विल कॉल यू मोबाइल फोन (रूपा सिंह) जैसे ही डाटा ऑन किया खट् खट् कर कई मैसेज दस्तक देते चले आये इतनी तेजी से सबकी खबरें स्क्रीन पर चमक रही थी

March 17, 2025
चार्ल्स डिकेंस: के प्रेम प्रसंग विक्टोरियन इंग्लैंड के महान उपन्यासकार अपने युग के रॉक स्टार गलत जगहों पर प्यार की तलाश

चार्ल्स डिकेंस: के प्रेम प्रसंग विक्टोरियन इंग्लैंड के महान उपन्यासकार अपने युग के रॉक स्टार गलत जगहों पर प्यार की तलाश

March 18, 2025
पंच परमेश्वर: फूलो ने घूंघट नहीं खींचा मुंह उठा दिया गेहुंए रंग में दो मांसल आंखें थीं जिनमें  रात का खुमार अभी बिल्कुल मिटा नहीं (रांगेय राघव की कहानी)

पंच परमेश्वर: फूलो ने घूंघट नहीं खींचा मुंह उठा दिया गेहुंए रंग में दो मांसल आंखें थीं जिनमें रात का खुमार अभी बिल्कुल मिटा नहीं (रांगेय राघव की कहानी)

March 18, 2025
मैं खुदा हूँ Ana’l haqq मंसूर अल-हलाज: जल्लाद ने सिर काटा तो धड़ से खून की धार फूट पड़ी और अचानक उनके शरीर से कटा एक-एक अंग चीखने लगा च्मैं ही सत्य हूं

मैं खुदा हूँ Ana’l haqq मंसूर अल-हलाज: जल्लाद ने सिर काटा तो धड़ से खून की धार फूट पड़ी और अचानक उनके शरीर से कटा एक-एक अंग चीखने लगा च्मैं ही सत्य हूं

March 17, 2025
नारी का विक्षोभ: सूरज ने जब सुना सविता कविता करती है  तब दौड़ा-दौड़ा उस्ताद हाशिम के पास गया। (रांगेय राघव)

नारी का विक्षोभ: सूरज ने जब सुना सविता कविता करती है तब दौड़ा-दौड़ा उस्ताद हाशिम के पास गया। (रांगेय राघव)

March 18, 2025
अपरिचित (मोहन राकेश) सामने की सीट ख़ाली थी वह स्त्री किसी स्टेशन पर उतर गई थी इसी स्टेशन पर न उतरी हो यह सोचकर मैंने खिड़की का शीशा उठा दिया और बाहर देखा.

अपरिचित (मोहन राकेश) सामने की सीट ख़ाली थी वह स्त्री किसी स्टेशन पर उतर गई थी इसी स्टेशन पर न उतरी हो यह सोचकर मैंने खिड़की का शीशा उठा दिया और बाहर देखा.

March 18, 2025
Thakur Ka Kuan (Story Munshi Premchand) कुएँ पर स्त्रियाँ पानी भरने आयी थी इनमें बात हो रही थी खाना खाने चले और हुक्म हुआ कि ताजा पानी भर लाओ । घड़े के लिए पैसे नहीं हैं।

Thakur Ka Kuan (Story Munshi Premchand) कुएँ पर स्त्रियाँ पानी भरने आयी थी इनमें बात हो रही थी खाना खाने चले और हुक्म हुआ कि ताजा पानी भर लाओ । घड़े के लिए पैसे नहीं हैं।

March 17, 2025
सुखांत (आंतोन चेखव): इसमें इतना सोचने वाली कौन सी बात है? तुम एक ऐसी औरत हो जो मेरे दिल को भा सके तुम्हारे अंदर वो सारे गुण हैं जो मेरे लिए सटीक हों।

सुखांत (आंतोन चेखव): इसमें इतना सोचने वाली कौन सी बात है? तुम एक ऐसी औरत हो जो मेरे दिल को भा सके तुम्हारे अंदर वो सारे गुण हैं जो मेरे लिए सटीक हों।

March 17, 2025
Epic Love Tale Prithaviraj Chohan & Samyukta: Chivalry, Betrayal, Revange. Changed History &Geography of India

Epic Love Tale Prithaviraj Chohan & Samyukta: Chivalry, Betrayal, Revange. Changed History &Geography of India

March 17, 2025
मेरा नाम राधा है (मंटो) नीलम जिसे स्टूडियो के तमाम लोग मामूली एक्ट्रेस समझते थे, विचित्र प्रकार के गुणों की खान थी। उसमें दूसरी एक्ट्रेसों का-सा ओछापन नहीं था।मैंने जब बहुत जोर से भयानक आवाज में नीलम कहा तो वह चौंकी जाते हुए उसने केवल यह कहा, सआदत, मेरा नाम राधा है।

मेरा नाम राधा है (मंटो) नीलम जिसे स्टूडियो के तमाम लोग मामूली एक्ट्रेस समझते थे, विचित्र प्रकार के गुणों की खान थी। उसमें दूसरी एक्ट्रेसों का-सा ओछापन नहीं था।मैंने जब बहुत जोर से भयानक आवाज में नीलम कहा तो वह चौंकी जाते हुए उसने केवल यह कहा, सआदत, मेरा नाम राधा है।

March 17, 2025
Khayzuran: Romance of a Dancing Slave Became Abbasid Caliphate Queen of The Ruler Al-Mahdi

Khayzuran: Romance of a Dancing Slave Became Abbasid Caliphate Queen of The Ruler Al-Mahdi

March 18, 2025
Shaghab: Sad end of a dancing concubine who became the dominant Queen of the Abbasid Empire Caliph Ahmad al Mutadid?

Shaghab: Sad end of a dancing concubine who became the dominant Queen of the Abbasid Empire Caliph Ahmad al Mutadid?

March 17, 2025
River Stairs (R Nath Tagore) Story of a young widow Kusum. Jaan lo main saint hun is dunya ka nahin tum mujhe bhul jao.

River Stairs (R Nath Tagore) Story of a young widow Kusum. Jaan lo main saint hun is dunya ka nahin tum mujhe bhul jao.

March 17, 2025
Peshawar Express: Krishen Chander. Narrator is train itself Haunting narrative that captures the brutality and chaos of the partition of India in 1947.

Peshawar Express: Krishen Chander. Narrator is train itself Haunting narrative that captures the brutality and chaos of the partition of India in 1947.

March 18, 2025
पोस्टमास्टर (रवीन्द्रनाथ टैगोर) सवेरे से बादल खूब घिरे हुए थे पोस्टमास्टर की शिष्या बड़ी देर से दरवाजे के पास बैठी प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन और दिनों की तरह जब यथासमय उसकी बुलाहट न हुई.

पोस्टमास्टर (रवीन्द्रनाथ टैगोर) सवेरे से बादल खूब घिरे हुए थे पोस्टमास्टर की शिष्या बड़ी देर से दरवाजे के पास बैठी प्रतीक्षा कर रही थी लेकिन और दिनों की तरह जब यथासमय उसकी बुलाहट न हुई.

March 17, 2025
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