Blogs of Engr. Maqbool Akram

Author name: Engr. Maqbool Akram

Engr Maqbool Akram is M.Tech (Mechanical Engineering) from A.M.U.Aligarh, is not only a professional Engineer. He is a Blogger too. His blogs are not for tired minds it is for those who believe that life is for personal growth, to create and to find yourself. There is so much that we haven’t done… so many things that we haven’t yet tried…so many places we haven’t been to…so many arts we haven’t learnt…so many books, which haven’t read.. Our many dreams are still un interpreted…The list is endless and can go on… These Blogs are antidotes for poisonous attitude of life. It for those who love to read stories and poems of world class literature: Prem Chandra, Manto to Anton Chekhov. Ghalib to john Keats, love to travel and adventure. Like to read less talked pages of World History, and romancing Filmi Dunya and many more.

Stories

त्रिया चरित्र: वह  मुहब्बत की दीवार अभी तक उन दोनों प्रेमियों को अपनी छाया में आराम देने के लिए खड़ी है. (मुंशी प्रेमचंद)

त्रिया चरित्र: वह  मुहब्बत की दीवार अभी तक उन दोनों प्रेमियों को अपनी छाया में आराम देने के लिए खड़ी है. (मुंशी प्रेमचंद) Read Post »

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पुरानी शराब नई बोतल (मुमताज़ मुफ़्ती) मम्मी को वो लिफ़्ट दी वो लिफ़्ट जो उन्हें कभी मिली ना थी वो बौखला गईं।

पुरानी शराब नई बोतल (मुमताज़ मुफ़्ती) मम्मी को वो लिफ़्ट दी वो लिफ़्ट जो उन्हें कभी मिली ना थी वो बौखला गईं। Read Post »

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पीतल का घंटा – मुझे मालूम हुआ कि ये चाबुक घोड़े के नहीं मेरी पीठ पर पड़ा है। (क़ाज़ीअबदुस्सत्तार)

पीतल का घंटा – मुझे मालूम हुआ कि ये चाबुक घोड़े के नहीं मेरी पीठ पर पड़ा है। (क़ाज़ीअबदुस्सत्तार) Read Post »

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बुर्क़े (मंटो) ज़हीर ने उसकी शक्ल देखने की कोशिश की, मगर नक़ाब इतनी मोटी थी कि उसे कुछ दिखाई न दिया।

बुर्क़े (मंटो) ज़हीर ने उसकी शक्ल देखने की कोशिश की, मगर नक़ाब इतनी मोटी थी कि उसे कुछ दिखाई न दिया। Read Post »

Stories

आपा (मुमताज़ मुफ़्ती) तुम्हें मालूम नहीं उसके अंदर तो आग है ऊपर से दिखाई नहीं देती बद्दू ने भोलेपन से पूछा क्यूँ आपा इसमें आग है।

आपा (मुमताज़ मुफ़्ती) तुम्हें मालूम नहीं उसके अंदर तो आग है ऊपर से दिखाई नहीं देती बद्दू ने भोलेपन से पूछा क्यूँ आपा इसमें आग है। Read Post »

Stories

चुप (मुमताज़ मुफ़्ती) : चुप जीनां मुँह पर उंगली रखे मुस्कुरा रही थी। उन दिनों तो ‘चुप’ में बहुत मज़ा था। अब हमारी ‘चुप’ भी पसंद नहीं

चुप (मुमताज़ मुफ़्ती) : चुप जीनां मुँह पर उंगली रखे मुस्कुरा रही थी। उन दिनों तो ‘चुप’ में बहुत मज़ा था। अब हमारी ‘चुप’ भी पसंद नहीं Read Post »

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Coat Patloon (Manto): दरवाज़ा खोला ज़ुबेदा दोनों हाथों में ट्रे लिए खड़ी थी। उस ने नाज़िम को सलाम किया और कहा “चाय हाज़िर है।”

Coat Patloon (Manto): दरवाज़ा खोला ज़ुबेदा दोनों हाथों में ट्रे लिए खड़ी थी। उस ने नाज़िम को सलाम किया और कहा “चाय हाज़िर है।” Read Post »

History

अवध के बादशाह नसीरुद्दीन हैदर का परीखाना : दुलारी , धनिया ” जिस पर थे कुर्बान उसी ने ली जान “

अवध के बादशाह नसीरुद्दीन हैदर का परीखाना : दुलारी , धनिया ” जिस पर थे कुर्बान उसी ने ली जान “ Read Post »

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वक़्त की रेत पर एक दास्ताँ ए इश्क (कहानी) – प्यार करना और उसे खो देना, उसे कभी प्यार ही न करने से बेहतर है

वक़्त की रेत पर एक दास्ताँ ए इश्क (कहानी) – प्यार करना और उसे खो देना, उसे कभी प्यार ही न करने से बेहतर है Read Post »

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रज़्ज़ो बाजी ( क़ाज़ी अबदुस्सत्तार ) : रज़्ज़ो बाजी जिनकी कहानियों से मेरा तख़य्युल आबाद था पहली बार देखने वाला था।पंद्रह साल पहले का‎ एक दिन जब मैं बी.ए. में पढ़ता था और मुहर्रम करने घरआया हुआ था।

रज़्ज़ो बाजी ( क़ाज़ी अबदुस्सत्तार ) : रज़्ज़ो बाजी जिनकी कहानियों से मेरा तख़य्युल आबाद था पहली बार देखने वाला था।पंद्रह साल पहले का‎ एक दिन जब मैं बी.ए. में पढ़ता था और मुहर्रम करने घरआया हुआ था। Read Post »

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निवाला (इस्मत चुग़ताई) बस सबको यही दुख था कि सरला बेन अब तक कुँआरी बैठी थीं उनकी रेल छूट रही थी और जीवन-साथी का दूर-दूर तक निशान न था।

निवाला (इस्मत चुग़ताई) बस सबको यही दुख था कि सरला बेन अब तक कुँआरी बैठी थीं उनकी रेल छूट रही थी और जीवन-साथी का दूर-दूर तक निशान न था। Read Post »

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महमूदा ( सआदत हसन मंटो ) इधर आओ दुल्हा मियां तुम्हें फस्ट क्लास पान खिलाएँ हम तुम्हारी शादी में शरीक थे!

महमूदा ( सआदत हसन मंटो ) इधर आओ दुल्हा मियां तुम्हें फस्ट क्लास पान खिलाएँ हम तुम्हारी शादी में शरीक थे! Read Post »

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पिंजरा : वह पिंजरे को पिंजरा ही समझेगी और उड़ने का प्रयास न करेगी (कहानी उपेन्द्र नाथ अश्क)

पिंजरा : वह पिंजरे को पिंजरा ही समझेगी और उड़ने का प्रयास न करेगी (कहानी उपेन्द्र नाथ अश्क) Read Post »

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उसने कहा था (चंद्रधर गुलेरी)- कहानी अमृतसर में शुरू होती है लहना सिंह बारह वर्ष का है जब वह पूछता है तेरी कुड़माई हो गई? तब वह ‘धत्’ कहकर भाग जाती है.

उसने कहा था (चंद्रधर गुलेरी)- कहानी अमृतसर में शुरू होती है लहना सिंह बारह वर्ष का है जब वह पूछता है तेरी कुड़माई हो गई? तब वह ‘धत्’ कहकर भाग जाती है. Read Post »

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हाफ़िज़ हुसैन दीन (कहानी सआदत हसन मंटो ) ज़फ़र शाह ऊपर गया तो मालूम हुआ कि बीबी बिलक़ीस भी नहीं है

हाफ़िज़ हुसैन दीन (कहानी सआदत हसन मंटो ) ज़फ़र शाह ऊपर गया तो मालूम हुआ कि बीबी बिलक़ीस भी नहीं है Read Post »

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368 वर्ष पहले की वो लड़ाई: औरंगजेब ने देहली के तख़्त के लिए भाइ दारा शिकोह, शाह शुजा और मुराद बख्श को मार डाला।सत्ता संघर्ष में अपने बेटे सुल्तान को भी नहीं छोड़ा।

368 वर्ष पहले की वो लड़ाई: औरंगजेब ने देहली के तख़्त के लिए भाइ दारा शिकोह, शाह शुजा और मुराद बख्श को मार डाला।सत्ता संघर्ष में अपने बेटे सुल्तान को भी नहीं छोड़ा। Read Post »

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पंच परमेश्वर: कन्हाई ने मन ही मन अनुभव किया, फूलो बहुत जवान थी और वह भाटे पर था (रांगेय राघव की कहानी)

पंच परमेश्वर: कन्हाई ने मन ही मन अनुभव किया, फूलो बहुत जवान थी और वह भाटे पर था (रांगेय राघव की कहानी) Read Post »

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एक छोटा-सा मजाक: तुम से प्यार करता हूँ, नाद्या! मैं धीमे से कहता हूँ।  (रूसी कहानी : आंतोन चेखव )

एक छोटा-सा मजाक: तुम से प्यार करता हूँ, नाद्या! मैं धीमे से कहता हूँ।  (रूसी कहानी : आंतोन चेखव ) Read Post »

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साहब-ए-करामात- फाताँ ने वहीं चारपाई से कहा। “हाँ…….मौलवी साहब की दाढ़ी और पट्टे।” सआदत हसन मंटो

साहब-ए-करामात- फाताँ ने वहीं चारपाई से कहा। “हाँ…….मौलवी साहब की दाढ़ी और पट्टे।” सआदत हसन मंटो Read Post »

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धुंआ धुंआ ज़िंदगी-लाइफ़ इन मेट्रो; ट्वंटी ट्वंटी क्रिकेट की तरह तलाक़ का निर्णय भी जल्दी आ गया. और वे दोनों ‘एक्स’ हो गए. (नंद किशोर बर्वे)

धुंआ धुंआ ज़िंदगी-लाइफ़ इन मेट्रो; ट्वंटी ट्वंटी क्रिकेट की तरह तलाक़ का निर्णय भी जल्दी आ गया. और वे दोनों ‘एक्स’ हो गए. (नंद किशोर बर्वे) Read Post »

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तुमने क्यों कहा था मैं सुंदर हूं: फ़ोटो में माया की तरह छरहरे शरीर, परंतु बहुत सुंदर अनुपात के अवयव की निरावरण युवती, दाईं बांह का सहारा लिये एक चट्टान पर बैठी, कहीं दूर देख रही थी (यशपाल की कहानी )

तुमने क्यों कहा था मैं सुंदर हूं: फ़ोटो में माया की तरह छरहरे शरीर, परंतु बहुत सुंदर अनुपात के अवयव की निरावरण युवती, दाईं बांह का सहारा लिये एक चट्टान पर बैठी, कहीं दूर देख रही थी (यशपाल की कहानी ) Read Post »

History

अलाउद्दीन खिलजी, ने भारत की रक्षा दुनिया के क्रूरतम लड़ाके ‘मंगोलो’ से की। जिन्होंने बगदाद के खलीफा अबू मुस्तसिम बिल्लाह तक को मार दिया था।

अलाउद्दीन खिलजी, ने भारत की रक्षा दुनिया के क्रूरतम लड़ाके ‘मंगोलो’ से की। जिन्होंने बगदाद के खलीफा अबू मुस्तसिम बिल्लाह तक को मार दिया था। Read Post »

Stories

जॉन कीट्स ब्रिटेन के महान कवि और फैनी ब्रॉन की असफल प्रेम कहानी- कीट्स की मृत्यु महज 25 साल में हो गई दोनों ने शादी नहीं की उसने विधवा के रूप में कीट्स की मृत्यु पर शोक मनाया।

जॉन कीट्स ब्रिटेन के महान कवि और फैनी ब्रॉन की असफल प्रेम कहानी- कीट्स की मृत्यु महज 25 साल में हो गई दोनों ने शादी नहीं की उसने विधवा के रूप में कीट्स की मृत्यु पर शोक मनाया। Read Post »

History

Fall of Constantinople नौजवान सुल्तान मोहम्मद फतेह ने 29 मई 1453 को कुस्तुनतुनिय फतह (इस्तांबूल) किया.रोमन साम्राज्य का अंत. इस के बाद इस्लाम का यूरोप में प्रवेश.

Fall of Constantinople नौजवान सुल्तान मोहम्मद फतेह ने 29 मई 1453 को कुस्तुनतुनिय फतह (इस्तांबूल) किया.रोमन साम्राज्य का अंत. इस के बाद इस्लाम का यूरोप में प्रवेश. Read Post »

life Style

पटना की बेहद हसीन तवायफ और एक पुजारी की लव स्टोरी – यह सूखा हुआ पान हमेशा उनकी विधवा पत्नी के लिए रहस्य ही बना रहा.

पटना की बेहद हसीन तवायफ और एक पुजारी की लव स्टोरी – यह सूखा हुआ पान हमेशा उनकी विधवा पत्नी के लिए रहस्य ही बना रहा. Read Post »

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बड़ी शर्म की बात: (इस्मत चुग़ताई) औरत मर्द की नाक काटे तो दहल जाती हूं. उफ़ कितनी शर्म की बात

बड़ी शर्म की बात: (इस्मत चुग़ताई) औरत मर्द की नाक काटे तो दहल जाती हूं. उफ़ कितनी शर्म की बात Read Post »

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नशे की रात के बाद का सवेरा (ख़ुशवंत सिंह) अपने अधूरे सपने का अन्त देखने लगा-जो एक विवाहित आदमी बिना संTकोच के कर सकता है.

नशे की रात के बाद का सवेरा (ख़ुशवंत सिंह) अपने अधूरे सपने का अन्त देखने लगा-जो एक विवाहित आदमी बिना संTकोच के कर सकता है. Read Post »

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अंतिम प्यार: ताड़ के वृक्षों के समूह के समीप मौन रहने वाली छाया के आश्रय में एक सुन्दर नवयुवती नदी के नील-वर्ण जल में अचल बिजली-सी मौन खड़ी थी. (रबिन्द्रनाथ टैगोर की कहानी )

अंतिम प्यार: ताड़ के वृक्षों के समूह के समीप मौन रहने वाली छाया के आश्रय में एक सुन्दर नवयुवती नदी के नील-वर्ण जल में अचल बिजली-सी मौन खड़ी थी. (रबिन्द्रनाथ टैगोर की कहानी ) Read Post »

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