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वैशाली की नगरवधू आम्रपाली:अपनी खूबसूरती की कीमत पूरे नगर की वेश्या बनकर चुकानी पड़ी। भगवान बुद्ध ने दिया नया जीवन

प्राचीन भारत में 500 ईसा पूर्व लिच्छवी गणराज्य की राजधानी वैशाली में एक गरीब दंपती को एक आम के पेड़ के नीचे एक लड़की पड़ी मिली थी. उसका नाम आम्रपाली रख दिया गया.

 

वह बहुत खूबसूरत थी, जो भी उसे देखता था वह अपनी नजरें उस पर से हटा नहीं पाता था। लेकिन उसकी यही खूबसूरती, उसका यही आकर्षण उसके लिए श्राप बन गया।

यह कहानी है भारतीय इतिहास की सबसे खूबसूरत महिला के नाम से विख्यातआम्रपालीकी। जिसे अपनी खूबसूरती की कीमत वेश्या बनकर चुकानी पड़ी। वह किसी की पत्नी तो नहीं बन सकी लेकिन संपूर्ण नगर की नगरवधू जरूर बन गई। आम्रपाली ने अपने लिए ये जीवन स्वयं नहीं चुना था, बल्कि वैशाली में शांति बनाए रखने, गणराज्य की अखंडता बरकरार रखने के लिए उसे किसी एक की पत्नी बनाकर नगर को सौंप दिया गया।

 

आम्रपाली के जैविक मातापिता का तो पता नहीं लेकिन जिन लोगों ने उसका पालन किया उन्हें वह एक आम के पेड़ के नीचे मिली थी, जिसकी वजह से उसका नामआम्रपालीरखा गया। वह बहुत खूबसूरत थी, जो भी उसे देखता था वह अपनी नजरें उस पर से हटा नहीं पाता था। लेकिन उसकी यही खूबसूरती, उसका यही आकर्षण उसके लिए श्राप बन गया।

 

आम्रपाली जैसेजैसे बड़ी होती गई वह और भी ज्यादा आकर्षक दिखने लगी, जिसकी वजह से वैशाली का हर पुरुष उसे अपनी दुल्हन बनाने के लिए बेताब रहने लगा। लोगों में आम्रपाली की दीवानगी इस हद तक थी कि वो उसको पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे।

यही सबसे बड़ी समस्या थी। आम्रपाली के मातापिता जानते थे कि आम्रपाली को जिसको भी सौपा गया तो बाकी के लोग उनके दुश्मन बन जाएंगे और वैशाली में खून की नदिया बह जाएंगी। इसीलिए वह किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे थे।

 

इसी समस्या का हल खोजने के लिए एक दिन वैशाली में सभा का आयोजन हुआ।

इस सभा में मौजूद सभी पुरुष आम्रपाली से विवाह करना चाहते थे जिसकी वजह से कोई निर्णय लिया जाना मुश्किल हो गया था। इस समस्या के समाधान के लिए अलगअलग विचार प्रस्तुत किए गए लेकिन कोई इस समस्या को सुलझा नहीं पाया।

लेकिन अंत में सर्वसम्मति के साथ आम्रपाली को नगरवधू यानि वेश्या घोषित कर दिया गया।

ऐसा इसीलिए किया गया क्योंकि सभी जन वैशाली के गणतंत्र को बचाकर रखना चाहते थे। लेकिन अगर आम्रपाली को किसी एक को सौंप दिया जाता तो इससे एकता खंडित हो सकती थी। नगर वधू बनने के बाद हर कोई उसे पाने के लिए स्वतंत्र था। इस तरह गणतंत्र के एक निर्णय ने उसे वेश्या बनाकर छोड़ दिया।

 

आम्रपाली को नगरवधु बनाने से वैशाली के लोग तो खुश हो गए लेकिन इस तरह से आम्रपाली अपनी ही खूबसूरती का शिकार बन गई।

आम्रपाली को जनपथ कल्याणी की उपाधि दी गई। यह खिताब 7 साल के लिए दिया जाता था और इसे साम्राज्य की सबसे खूबसूरत और प्रतिभाशाली महिला को दिया जाता था।आम्रपाली को अपना महल मिला। उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए अपना पार्टनर चुनने का अधिकार भी मिला। इसके साथ ही वह दरबार की नर्तकी भी बन गई।

 

मगध के राजा बिम्बिसार के वैशाली के साथ हमेशा ही शत्रुतापूर्ण रिश्ते रहे थे।ऐसे में आम्रपाली से मिलने जाने के लिए उन्हें दूसरा भेष धारण करना पड़ा ताकि कोई उन्हें पहचान नहीं सके। बिंबिसार खुद एक संगीतकार था। जब वह आम्रपाली से मिले तो दोनों एकदूसरे के साथ प्यार में पड़ गए।

आम्रपाली बिंबिसार के बच्चे की मां भी बनीं। उसका बेटा आगे चलकर एक बौद्ध भिक्षु बन गया।एक बार जब बिंबिसार ने वैशाली पर आक्रमण किया तो उसने आम्रपाली के महल में शरण ली। उसी दौरान आम्रपाली को बिंबिसार की असली पहचान पता चल गई

 

आम्रपाली ने बिंबिसार से युद्ध रोकने के लिए कहा और बिंबिसार ने आम्रपाली की बात मान ली। बिंबिसार ने आम्रपाली को मगध की महारानी बनने का प्रस्ताव भी दिया लेकिन आम्रपाली ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया क्योंकि वैशाली और मगध शत्रु थे

 

अगर
आम्रपाली ने बिंबिसार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया होता तो शायद भयंकर युद्ध छिड़ जाता और हजारों लोग मारे जाते।

 

आम्रपाली की कहानी यही समाप्त नहीं होती है।

आम्रपाली नगरवधू बनकर सालों तक वैशाली के लोगों का मनोरंजन करती है लेकिन जब एक दिन वो भगवान बुद्ध के संपर्क में आती है तो सबकुछ छोड़कर एक बौद्ध भिक्षुणी बन जाती है।

आम्रपाली और बुद्ध की कहानी

बुद्ध अपने एक प्रवास में वैशाली आये। कहते हैं कि उनके साथ सैकड़ों शिष्य भी हमेशा साथ रहते थे। सभी शिष्य प्रतिदिन वैशाली की गलियों में भिक्षा मांगने जाते थे। वैशाली में ही आम्रपाली का महल भी था। एक दिन उसके द्वार पर भी एक भिक्षुक भिक्षा मांगने के लिए आया। उस भिक्षुक को देखते ही वह उसके प्रेम में पड़ गई।

वह अपने परकोटे से भागी आई और भिक्षुक से बोली – “आइये, कृपया मेरा दान गृहण करें उस भिक्षुक के पीछे और भी कई भिक्षुक थे। उन सभी को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ।

 

जब युवक भिक्षु आम्रपाली की भवन में भिक्षा लेने के लिए गया तो वे ईर्ष्या और क्रोध से जल उठे। भिक्षा देने के बाद आम्रपाली ने युवक भिक्षु से कहा – “तीन दिनों के बाद वर्षाकाल प्रारंभ होनेवाला है, मैं चाहती हूं कि आप उस अवधि में मेरे महल में ही रहें।

 

युवक भिक्षु ने कहा – “मुझे इसके लिए अपने स्वामी तथागत बुद्ध से अनुमति लेनी होगी। यदि वे अनुमति देंगे तो मैं यहां रुक जाऊंगा।युवक भिक्षु के बुद्ध के पास पहुंचने से पहले ही कई भिक्षु वहां पहुंच गए और उन्होंने इस वृत्तांत को बढ़ाचढ़ाकर सुनाया – “वह स्त्री वैश्या है और एक भिक्षु वहां पूरे चार महीनों तक कैसे रह सकता है?”

बुद्ध ने कहा – “शांत रहो, उसे आने दो। अभी उसने रुकने का निश्चय नहीं किया है, वह वहां तभी रुकेगा जब मैं उसे अनुमति दूंगा।युवक भिक्षु आया और उसने बुद्ध को सारी बात बताई। बुद्ध ने उसकी आंखों में देखा और कहा – “तुम वहां रह सकते हो।तीन दिनों के बाद युवक भिक्षु आम्रपाली के महल में रहने के लिए चला गया।

 

अन्य भिक्षु नगर में चल रही बातें बुद्ध को सुनाने लगे – “सारे नगर में एक ही चर्चा हो रही है कि एक युवक भिक्षु आम्रपाली के महल में चार महीनों तक रहेगा!”

Buddha Stupa in Vaishali (Bihar)

बुद्ध ने कहा – “तुम सब अपनी दिनचर्या का पालन करो। मुझे अपने शिष्य पर विश्वास है। मैंने उसकी आंखों में देखा है कि उसके मन में अब कोई इच्छाएं नहीं हैं। मुझे उसके ध्यान और संयम पर विश्वास है। तुम सभी इतने व्यग्र और चिंतित क्यों हो रहे हो? यदि उसका धम्म अटल है तो आम्रपाली भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगी।

 

और यदि उसका धम्म निर्बल है तो वह आम्रपाली के सामने समर्पण कर देगा। यह तो भिक्षु के लिए परीक्षण का समय है। बस चार महीनों तक प्रतीक्षा कर लो, मुझे उसपर पूर्ण विश्वास है। वह मेरे विश्वास पर खरा उतरेगा।

 

उनमें से कई भिक्षुओं को बुद्ध की बात पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने सोचा – “वे उसपर नाहक ही इतना भरोसा करते हैं। भिक्षु अभी युवक है और आम्रपाली बहुत सुन्दर है। वे भिक्षु संघ की प्रतिष्ठा को खतरे में डाल रहे हैं।

 

चार
महीनों के बाद युवक भिक्षु विहार लौट आया और उसके पीछेपीछे आम्रपाली भी बुद्ध के पास आई। आम्रपाली ने बुद्ध से भिक्षुणी संघ में प्रवेश देने की आज्ञा मांगी। उसने कहा – “मैंने आपके भिक्षु को अपनी ओर खींचने के हर संभव प्रयास किए पर मैं हार गई। उसके आचरण ने मुझे यह मानने पर विवश कर दिया कि आपके चरणों में ही सत्य और मुक्ति का मार्ग है। मैं अपनी समस्त सम्पदा भिक्षु संघ के लिए दान में देती हूं।

 

आम्रपाली के महल और उपवनों को चातुर्मास में सभी भिक्षुओं के रहने के लिए उपयोग में लिया जाने लगा। आगे चलकर वह बुद्ध के संघ में सबसे प्रतिष्ठित भिक्षुणियों में से एक बनी, जबकी यशोधरा को भी बुद्ध ने भिक्षुणी बनाने से इन्कार कर दिया था, किंतु आम्रपाली की श्रद्धा, भक्ति और मन की विरक्ति से प्रभावित होकर नारियों को भी उन्होंने संघ में प्रवेश का अधिकार प्रदान किया।

 

वह बहुत खूबसूरत थी, जो भी उसे देखता था वह अपनी नजरें उस पर से हटा नहीं पाता था। लेकिन उसकी यही खूबसूरती, उसका यही आकर्षण उसके लिए श्राप बन गया।

 

The End

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