Thursday, 5 October 2023

देवदास:अन्तिम दृश्य-अपने कारुणिक अंत में पारो के द्वार पर जाता है, उसे उम्मीद है कि मृत्यु के बाद ही उसकी आत्मा पारो से एकाकार हो सकेगी।कौन कमबख्त बर्दाश्त करने को पीता है, मैं तो पीता हूं के बस सांस ले सकू”

कौन कमबख्त बर्दाश्त करने को पीता है?' मैं तो पीता हूं के बस सांस ले साकू

फ़िल्म: देवदास

रिलीज़ का वर्ष: 1955

वक्ता: देवदास (दिलीप कुमार)

बातचीत: चंद्रमुखी (वैजयंती माला)

संवाद लेखक: राजिंदर सिंह बेदी

 

बिमल रॉय द्वारा निर्देशित, देवदास में कुमार ने शराब के नशे में डूबे एक नामचीन प्रेमी नायक की भूमिका निभाई।

उनका उदास संवादकौन कमबख्त बर्दाश्त करने को पीता है?' मैं तो पीता हूं के बस सांस ले साकू”,का सेट उसकी पीड़ा को प्रदर्शित करने के लिए एक स्वर है और आने वालेकई अभिनेताओं के लिए एक टेम्पलेट है।

1955 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म ने कुमार को फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिलाया और इसे उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक माना जाता है।

होश से कहदो, कभी होश ना आने पाये...

देवदास के पिता मृत्यु शय्या पर हैं। वह चंद्रमुखी से मिलने जाता है जो एक वेश्या है। उसने शराब पीना भी शुरू कर दिया है. ऐसी ही एक रात, वह नशे में धुत था। चंद्रमुखी उसे रोकने की कोशिश करती है। वह कहती है

"और मत पियो देवदास"

"क्यो.एन?" देवदास पूछता है

"कुछ ही दिन हुए पीना शुरू किये। इतनी ज्यादा बर्दाश्त ना कर सकोगे"

कौन बर्बाद करता है जो बर्बाद करने के लिए पीता है। मैं तो पीता हूं। के...बस सात साल ले सकूं...और...ऐसी जगह से उठ कर जाने की ताकत नहीं।

एन है ना...तभी तो यहां. पड़ा रहता हूं....बस...देखता रहता हूं तुम्हारे मुंह की तरफ...तो भी मैं बिल्कुल बेहोश नहीं होता... कुछ होश रह ही जाता है...होश से कह दो...कभी होश आने पाए...

चंद्रमुखी कहती हैं, ''यहां, ऐसे लोग भी आते हैं। देवदास, जो शराब को छूटे भी नहीं।''

देवदास: छोटे भी नहीं? मेरे पास बंदूक हो तो मैं उन्हें गोली से उड़ा दूं। वो लोग मुझसे भी बड़ी पापी हैं। चंद्रमुखी। पहले तो मैं शराब पीना छोड़ दूंगा,नहीं और अगर छोड़ दिया तो फिर यहांकभी नहीं आऊंगा, कभी नहीं आऊंगा. मेरा तो इलाज है. लेकिन उन लोगो का क्या होगा...जो पीते भी नहीं और फिर भी यहांएन आते हैं।

 

यदि आप वीडियो देखते हैं, तो इन बेहतरीन पंक्तियों को भी देखें...

"मत छू...हाथ मत लगाओ मुझे चंद्रमुखी...अब भी कुछ होश बाकी है"

"पल भर में, सब कुछ ख़त्म हो गया। वो शादी के रास्ते पे चल दी और मैं, बर्बादी के रास्ते पर"

बाबूजी ने कहा गांव छोड़ दो... सबने कहा पारो को छोड़ दो... पारो ने कहा शराब छोड़ दो... आज तुमने कह दिया हवेली छोड़ दो... एक दिन आएगा जब वो कहेंगे, दुनिया ही छोड़ दो.”

होश से कहदो, कभी होश ना आने पाये...अगर मुझे मालूम होता कि मेरे यहां आने से मैं कुछ खो दूंगा, इस तरह लुट जाऊंगा तो मैं यहां कभी नहीं आता...

 

तुम मेरी कौन होती हो चंद्रमुखी जो मेरी इतनी सेवा कर रही हो..”

देखो ना मैं पार्वती को कितना चाहता हूं, और वो भी मुझे कितना चाहती थी, लेकिन समाज ने नहीं चाहा...”

 

तुम दोनों में कितना फर्क है, पर फिर भी कितनी एक सी हो, एक बड़ी खुद्दार और चंचल, दूसरी शांत और गंभीर, वो कुछ भी नहीं सह सकती, तुम सब कुछ सह गुजरती हो, उसकी कितनी इज्जत है, और तुम कितनी बदनाम हो, उससे सभी प्यार करते हैं, और तुमसे नफ़रत, लेकिन मैं तुमसे नफ़रत नहीं करता चंद्रमुखी, कर ही नहीं सकता...

 

चुन्नी बाबू: क्या खबर है?

देवदास: खबर बस यही है, कि जिंदा है..

 

मुझे रोको मत धर्मदास, मुझे चलने दो...

मेरा सबका है, मैं ही किसी का नहीं धर्मदास...

क्या कहूं चुन्नी बाबू, मुझे तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता, अब तो यही अच्छा लगता है कि कुछ भी अच्छा लगे...

 

The young generation would remember Devdas as a Shah Rukh Khan film. But, in 1955, Bimal Roy had directed Devdas and Dilip Kumar played the titular role in it. He was amazing in the movie and won the Filmfare Best Actor Award for his performance in it. Forbes included the veteran actor’s performance in Devdas on its list, ‘25 Greatest Acting Performances of Indian Cinema’.

 

फिल्म देवदास का अंतिम सीन

देवदास: अपने कारुणिक अंत में देवदास पारो के द्वार पर जाता है, उसे उम्मीद है कि मृत्यु के बाद ही उसकी आत्मा अपनी पारो से एकाकार हो सकेगी।

गाड़ी जब पंडुआ स्टेशन पर पहुँची, सवेरा हो रहा था। सारी रात बारिश होती रही। देवदास उठकर खड़ा हुआ। धर्मदास नीचे सो रहा था। देवदास ने हल्के हल्के उसके ललाट का स्पर्श किया, शर्म से उसे जगा सका। उसके बाद दरवाज़ा खोलकर धीरे-धीरे गाड़ी से उतर पड़ा।

गाड़ी सोए हुए धर्मदास को लेकर चली गई। थरथराते हुए वह स्टेशन से बाहर आया। वह पार्वती के गाँव हाथीपोता पहुँचाना चाहता था। उसने एक बग्घीवाले से पूछाभैया हाथीपोता ले चलोगे? बरसात में बग्घी उस रास्ते नहीं जा सकेगी कहकर बग्घी वाले उसे बैलगाड़ी से जाने की सलाह देते हैं।

 

एक बैलगाड़ी वाला उसे हाथीपोता ले जाने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन वह कहता है कि दो दिन लगेंगे। रास्ता बहुत दुर्गम और बीहड़ था। देवदास अपने मन में विचारने लगा कि क्या वह दो दिन तक जीवित रह सकेगा? लेकिन उसे किसी हाल पार्वती के पास जाना ही पड़ेगा।

उसे अंतिम दिन के लिए पार्वती को दिए वचन को निभाना ही था। चाहे जैसे हो उसे अंतिम दर्शन देना ही था। लेकिन उसे अपने जीवन की लौ बुझती हुई प्रतीत हुई, जिसका उसे डर था।

 

जीवन के शेष क्षणों में एक और स्नेह और आत्मीयता से भरा कोमल मुखड़ा अत्यंत पवित्र सा होकर उसे दिखाई पड़ा, यह मुखड़ा था चन्द्रमुखी का। जिसे पापिन कहकर वह सदा घृणा करता रहा, जो उसके लिए फूटफूटकर कर रोई थी, उसकी याद आते ही उसकी आँखों से आँसू झरने लगे।

 

शायद बहुत दिनों तक उसे इसकी ख़बर भी मिल सकेगी। रास्ता ठीक नहीं था। कहीं कहीं बरसात का पानी जम गया था, कहीं रास्ता टूट गया था, कीचड़ ही कीचड़ भरा पड़ा था। बैलगाड़ी चली तो कहीं-कहीं उतरकर गाड़ी के पहिये ठेलने की नौबत आई। जैसे भी हो सोलह कोस की दूरी तय करनी थी।

रास्ते में बारिश शुरू हो गई। बीच-बीच में बैलगाड़ी दलदल में फँस जाती तो गाड़ीवान के साथ देवदास भी उसी जर्जर अवस्था में उतरकर गाड़ी को दलदल से निकालने में मदद करता।

 

सारा दिन चलने के बाद अँधियारी रात में बारिश और तेज़ हवा के थपेड़ों से गाड़ी में कराहते, खाँसते ख़ून उगलते हुए देवदास की अंतिम आशा किसी भी हाल प्राण रहते पार्वती की शरण में पहुँच जाना चाहता था।

 

रात बढ़ती जाती है, थोड़ी-थोड़ी देर में देवदास क्षीण और करुण स्वर में गाड़ीवान से "और कितनी दूर है भैया" कहकर पूछता रहता। वह गाड़ीवान से मनुहार करता – "जल्दी पहुँचा दो भैया, तुझे काफ़ी रुपए दूँगा। उसके जेब में सौ रुपये का एक नोट था। उसको दिखाकर बोला, एक सौ रुपये दूँगा, पहुँचा दो।"

दिन भर गाड़ी चलती रही। बारिश होती रही। देवदास रह-रहकर गाड़ीवान से कराहते हुए डूबती आवाज़ में गाँव की दूरी पूछता जाता है। शाम होते-होते देवदास की नाक से लहू टपकने लगा। जी जान से उसने नाक को दबाया, फिर लगा कि दाँत के बगल से भी ज़हरीला लहू निकल रहा है, साँस लेनेछोड़ने में भी कष्ट महसूस हो रहा है। उसने हाँफते हुए पूछा- "और कितनी दूर है भैया?"

 

The entire sequence from the time he gets off the train and takes the cart to reach Manikpur, is breathlessly poignant. When he says, “Arre bhai Yeh raasta kyat kabhi khatam nahi hoga,” you pray the distance gets covered quickly so that the lover can reach his beloved’s doorstep only to die in front of her.

गाड़ीवान बोला, "बस दो कोस और। रात के दस बजे तक पहुँच जाऊँगा। देवदास ने बड़ी मुश्किल से रास्ते की तरफ़ देखते हुए कहा, "भगवान"! गाड़ीवान ने पूछा, "ऐसा क्यों कर रहे हैं बाबूजी?"

 

देवदास इसका जवाब दे सका। गाड़ी चलने लगी, और रात दस की बजाए बारह बजे हाथीपोता के ज़मींदार भुवन चौधरी की हवेली के सामने चौतरा वाली पीपल के नीचे गाड़ी जा लगी। गाड़ीवान ने आवाज़ दी "बाबूजी उतरो।" कोई आवाज़ नहीं।

 

फिर पुकारा, फिर कोई जवाब नहीं। उसे डर लगा। उसने मुँह के पास लालटेन ले जाकर पूछा, "सो गए, क्या बाबूजी?" देवदास देख रहा था। होंठ हिलाकर कुछ बोला। क्या बोला, समझ में नहीं आया। गाड़ीवान ने फिर पुकारा- "बाबूजी।" देवदास ने हाथ उठाने की कोशिश की, लेकिन उठा सका।

 

आँखों से सिर्फ आँसू की दो बूँदें ढुलक पड़ीं। गाड़ीवान ने अपनी अक़्ल लगाई। पीपल के चौंतरे उसने पुआल का बिछावन लगाया, और बड़ी मुश्किल से देवदास को गाड़ी पर से उतारकर उस पर सुला दिया। बाहर कोई था। ज़मींदार का सारी हवेली सोयी पड़ी थी।

देवदास ने किसी तरह से सौ रुपये वाला नोट निकालकर दिया। लालटेन की रोशनी में गाड़ीवान ने देखा कि बाबू ताक रहे हैं, पर बोल नहीं पाते। रात भर गाड़ीवान लालटेन की रोशनी में देवदास के पाँव के पास बैठा रहा।

 

सुबह होते ही उजाले में ज़मींदार के घर से लोग बाहर निकले और पीपल के चौतरे पर पहुँचे तो देखा कि एक भला आदमी जिसके बदन पर कीमती ऊनी चादर, पाँव में कीचड़ से सने महँगे जूते, उँगली में नीले नग की अंगूठी, धारण किए हुए दम तोड़ रहा था।

 

डॉक्टर, ज़मींदार, उनका बेटा महेंद्र और गाँव वाले सभी इकट्ठा हो कर उस बेबस, बेज़ुबान, मरणासन्न व्यक्ति को घेरे खड़े हो जाते हैं। सबके मुँह से आह निकलती है। भीड़ में से कोई दया करके मुँह में बूँद भर पानी डाल देता है।

 

देवदास ने एक बार उसकी ओर करुणा दृष्टि से देखा और आँखें मूँद लीं। कुछ देर और ज़िंदा था, फिर सब कुछ ख़त्म। इस तरह देवदास पार्वती के चौखट पर ही दम तोड़ देता है, वह पार्वती तक पहुँचकर भी उसे नहीं देख पाता। यह उसकी नियति थी।

 

लाश की शिनाख़्त की जाती है, पुलिस की जाँच-पड़ताल करके उसे ताल सोनापुर का देवदास घोषित कर देती है। महेंद्र और भुवन बाबू दोनों वहाँ मौजूद थे। महेंद्र कहता है कि यह छोटी माँ के मैके का है। वह अपनी माँ पार्वती को बुलाना चाहता है किन्तु भुवन बाबू उसे फटकार कर रोक देते हैं।

 

ब्राह्मण लाश थी, फिर भी गाँव के किसी ने छूना नहीं चाहा। देवदास की लावारिस लाश को गाँव के डोम उठाकर ले गए और किसी सूखे पोखर के किनारे अधजला डाल दिया। 

कौए, गिद्ध, सियार लाश को नोच-नोचकर छीना झपटी करने लगे। यही देवदास का करुण और दुर्भाग्यपूर्ण अंत था। एक हारे हुए प्रेमी का अंत। हवेली में पार्वती अपनी नौकरानी से, हवेली के द्वार पर ताल सोनापुर के देवदास नामक व्यक्ति की मृत्यु की ख़बर सुनती है तो वह बेतहाशा दौड़ती हुई हवेली के बाहर दौड़ती हुई मूर्छित होकर गिर पड़ती है।

 

मूर्छा टूटने पर वह उन्माद की अवस्था में सिर्फ़ इतना पूछती है कि "रात में वे आए थे ? सारी रात.... "

The End

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Monday, 2 October 2023

10 Saddest Nostalgia Hindi Movie Songs.That Will Heal Your Heart And Soothe Your Broken Soul:Close to My Heart

 Close to My Heart: Great Songs Are alway Sad.

In the past 100-something years of Indian cinema, plenty of tunes have been curated that take you on a roller-coaster ride of emotions, and today we’ll be compiling a list of 10 such heart-breaking saddest Hindi Movie Songs That Will Heal Your Heart And Soothe Your Broken Soul.

We listen to sad music when we want to reflect, belong, or experience beauty or nostalgia.Yet sad music pulls us in and lifts us up. So, why does hearing sad music feel so good?

 

Sad music is a powerful trigger for nostalgic memories of foregone times. Such reflective revisiting of nostalgic memories may enhance mood, especially if the memories are related to pivotal and meaningful moments in life (i.e., high school, college).

 

We enjoy the sweetness of these memories through vivid imaginations. There is some felt in recollecting the good times, as well as sadness from missing them.

 

I love sad music. “Why do you like sad nostalagia songs?” Answer is because sad music usually is the realist and purist in my opinion.

 

The best songs ever written in my opinion are those that make you feel sorrow, nostalgia, and grief. There is a beauty and necessity of pain and sadness…. For instance some love song can bring negative feelings because God, how do I still miss her?

 

What is she doing? Her laugh and smile… then in an instance you are able to almost relive some of y'alls happiest shared moments. You remember, it’s up to you to feel sour about reliving it… I say embrace it, it happened and will forever be apart of you.

 

Back when I was going through a tough time, I switched on the radio and listened to a program featuring sad old songs. Somehow listening to those songs gave me the power to cope with the situation. In fact, it was therapeutic.

 

It’s reassuring to know that sadness and pain don’t always have to be destructive or negative things – they can lead to something amazing as well.

 

In this way, sad songs can help a person feel as if their emotions are valid and worth sharing, as well as make them feel less alone in the world.

 

Listening to sad songs can be an expression of these negative emotions for people who are not comfortable talking about how they feel with others. There are others going through the same thing, and they created something beautiful over it.

Each one of us, at some time or another, gets sad. That's when song lyrics can feel special and give life a whole new meaning. We tend to listen to the lyrics more carefully when we're sad.

 

People like sad songs because it reminds them of the memories they cherish. Oftentimes, they’ll look for the saddest songs of all time, because it brings back memories of good times and of friends and family.

 

This is why listening to sad songs almost always comes hand-in-hand with nostalgia. While it may not seem that way at first glance, it’s incredibly beneficial.

Looking for the best emotional songs of Bollywood? I have listed 10 sad songs from Hindi cinema, which are close to my hear.

 

The songs on this list have powerful lyrics that can help you through your difficult times. While Hindi music has a long history of fantastic love songs as well, it's the sorrowful songs that have the greatest lyrical impact.

The list below is an epic collection of such songs which are close to my heart. If you are a fan of Hindi films, you will have something to say. Feel free to share your thoughts, views, and opinions in the comments section.

Songs that are lyrically depressing, if you may, or just triggering – due to some fading memory in your head.

 

1-Jaane WO kaise log the

Movie: Pyaasa (प्यासा), 1957

Jaane Woh Kaise Log the JinkePyarKO Pyar Mila

Humneto Jab Kaliyaan Maangi Kaaton KaHaar Mila

 

Khusyon ki manzil dhoondi to gham ki gard mili

Chahat ke naghme chahe to, aahen sard mili

 

Dil ke bojh KO doona kar Gaya, Jo gham Saar mila

Humne to Jab Kaliyaan Maangi Kaaton Ka Haar Mila

 

Bichhad Gayaa har santhi de kar pal do pal ka santh

Kisko Phursat Hai Jo Thaame Deewane Ka Haath

 

Humko Apna Saaya Tak Aqsar Bezaar Mila

Humne to Jab Kaliyaan Maangi Kaaton Ka Haar Mila

 

Isko hi Jeena Kehte Hain to Yunhi Ji Lenge

Isko hi Jeena Kehte Hain to Yunhi Ji Lenge

 

Uf na Karenge Lab See Lenge Aansoo Pee Lenge

Gham Se Ab Ghabraana Kaisa Gham Sau Baar Mila


2-Yeh Sham ki Tanhaiyan

Movie: Aah (1953)

ye sham kii tanhaiyan aise men tera Gham

patte kahin khadke hava aai to chaunke ham

ye shaam kii tanhaaiyaan ...

 

jis raah se tum ane ko the

us ke nishan bhii mitane lage

aye na tum sau sau dafa aye gaye mausam

ye sham kii tanhaiyan ...

 

sine se laga teri yad ko

roti rahi main raat ko

halat pe merii chad tare ro gaye shabanam

ye sham kii tanhaiyan ...

 

3-Tute Hue khawaabon ne, Hamako Ye Skhaayaa Hai

Movie: Madhumati (1985)

Tute hue khvaabo ne

hamako ye sikhaayaa hai

Dil ne, dil ne jise paayaa thaa

ankho ne ganvaya hai

 

Ham dhundhte hai unko

jo milke nahi milate

Ruthe hai na jane kyun

mehaman vo mere dil ke

 

Kya apani tamanna thi

kya samane aya hai

Laut aai sadaa meri

takara ke sitaaro se

 

Ujadi hui duniyaa ke

Sunsan kinaro se

Par ab ye tadapana bhi

kuchh kam na aya hai


4- Sab kuchh luta ke Hosh Men Aye To kya kiya

Movie-Ek Saal (1957

Karate rahe khiza se ham sauda bahaar ka

Badala diya to kya ye diya unake pyaar ka 

 

Sab kuchh luta ke hosh men aye to kya kiya

Din ne agar charaag jalaaye to kya kiya

 

Ham badanasib pyaar ki rusawaai ban gaye

Khud hi laga ke ag tamaashaai ban gaye

Daaman se apane shole bujhaaye to kya kiya

 

Le le ke haar fulon ke, ai to thi bahaar

Najre uthha ke ham ne hi, dekha na ek baar

Ankhon se ab ye parade hataaye to kya kiya

 

Lata mangeshakar

(na puchho pyaar ki hamane jo haqiqat dekhi

Wafa ke naam pe bikate hue ulfat dekhi

Kisine lut liya aur hamen khabar n hui

Khuli jo ankh to barbaad mohabbat dekhi

 

Sab kuchh luta ke hosh men ae to kya kiya

Din men agar charaag jalaae to kya kiya

 

Main wo kali hun jo n bahaaron men khil saki

Wo dil hun jisako pyaar ki mazil n mil saki

Patthar pe hamane ful chaaae to kya kiya

 

Jo mil na saka pyaar gam ki shaam to mile

Ek bewafa se pyaara ka anjaam to mile

Ai maut jald a zara araam to mile

Do din khushi ke dekh n paae to kya kiya ) 

5-Tum Itna jo Muskura Rahe Ho ,Keya Gham Hai

Movie-Arth (1983)

Tum itana jo muskura rahe ho

Kya gam hai jisako chhupa rahe ho

 

Ankhon men nami, hnsi labon par

Kya haal hai, kya dikha rahe ho

 

Ban jaayenge jahar pite pite

Ye ashk jo pite ja rahe ho

 

Jin jakhmon ko wakt bhar chala hai

Tum kyon unhen chhede ja rahe ho

 

Rekhaaon ka khel hai mukaddar

Rekhaaon se maat kha rahe ho

                               

                                                                                                                                                                   6-Jeevan Ke Safar Mein Rahi (Lata)

Movie: Munimji (1955)

Jiwan ke safr men raahi

Milate hain bichhad jaane ko

Aur de jaate hain yaaden

Tanahaai men tadpaane ko

 

Ro-ro ke inhin raahon men

Khona pada ik apane ko

Hns-hns ke inhin raahon men

Apanaaya tha begaane ko

 

Tum apani nayi duniya men

Kho jaao paraae banakar

Ji paae to ham ji lenge

Marane ki saza paane ko

7-Sau Bar janam lenge Sau Bar juda Honge

Movie-Ustadon Ke Ustad (1963)

Sau baar janam lenge, sau baar fanaa honge

ai jaan-e-vafaa phir bhii, ham tum na judaa honge

 

qismat hame milane se, rokegii bhalaa kab tak

in pyaar kii raahon men, bhatkegi vafa kab tak

qadmon ke nishan khud hi, manzil ka pata honge

 

ye kaisii udasii hai, jo husn pe chhai hai

ham dur nahin tum se, kahane ko judaai hai

araman bhare do dil, phir ek jagah honge 


8-lag Ja Gale Se

Movie-Woh Kaun Thi (1964)

lag ja gale ki phir ye hasin raat ho na ho

shayad phir is janam men mulaqat ho na ho

 

ham ko mili hain aaj ye, ghadiyan nasib se

ji bhar ke dekh lijiye, ham ko qarib se

phir aap ke nasib men, ye baat ho na ho

 

paas aiye ki ham nahin aenge baar-baar

baahen gale men daal ke ham ro le zar-zar

aankhon se phir ye pyar ki barsat ho na ho 


9-Din Dhal Jaye

Movie-Guide- (1965)

Din dhal jaae, haay raat na jaae

Tu to n ae, teri yaad sataae

 

Pyaar men jinake sab jag chhoda aur hue badanaam

Unake hi haatho haal hua ye, baithhe hain dil ko thaam

Apane kabhi the, ab hain paraae

 

Aisi hi rimajhim, aisi fuhaaren, aisi hi thi barasaat

Khud se juda aur jag se paraae, ham donon the saath

Fir se wo saawan ab kyon n ae?

 

Dil ke mere paas ho itani, fir bhi ho kitani dur

Tum mujhase, main dil se pareshaan, donon hain majabur

Aise men kis ko kaun manaae?


10-Ajeeb Dastan Hai Yeh

Movie-Dil Apna Aur Preet Parai (1960)

Ajeeb dastan hai yeh

Kahan shuru, kahan khatam

Yeh manjile hai kaun sii

Naa woh samajh sake, naa hum)

 

(Yeh roshni ke sath kyun

Dhuan utha chirag se)

Yeh khwab dekhti hu mein

Ke jag padi hun khwab se

 

(Mubarke tumhe, ke tum

Kisi ke noor ho gaye)

Kisi ke itne paas ho

Ke sab se dur ho gaye

 

(Kisi kaa pyar, leke tum

Naya jahaan basaoge)

Yeh sham jab bhi aayegi

Tum humko yaad aoge

The End

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