Colors of Rainbow: Blogs of Engr Maqbool Akram
Friday, 25 October 2024
अपरिचित (मोहन राकेश) सामने की सीट ख़ाली थी वह स्त्री किसी स्टेशन पर उतर गई थी इसी स्टेशन पर न उतरी हो यह सोचकर मैंने खिड़की का शीशा उठा दिया और बाहर देखा.
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कोहरे की वजह से खिड़कियों के शीशे धुंधले पड़ गए थे . गाड़ी चालीस की रफ़्तार से सुनसान अंधेरे को चीरती चली जा रही थी . ...
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