जब मिस्र पर हज़रत मूसा को गलबा हासिल हुआ और किब्ती हलाक हुए तो हजरत मूसा अक्सर मजलिसों में वाज व नसीहत फरमाते थे |
एक मर्तबा बनी इस्राइली को ख़ुत्बा देने के लिए हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम खड़े हुए । आप अलैहिस्सलाम से पुछा गया लोगों में ज़्यादा आलिम कौन है। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने फरमाया मै ज्यादा आलिम हु।
अल्लाह तआला को आप का ये अंदाज पसंद नहीं आया। अल्लाह ताला ने आप पर एताब फरमाया । क्योंकि आप अलैहिस्सलाम ने सवाल के जवाब को रब्ब ताला की तरफ मंसुब नहीं किया । हालांकि ये कहना चाहिये की अल्लाह तआला बेहतर हैं।
अल्लाह ताला ने आप पर वही की के मेरे बंदों में से एक बन्दा मजमा उल बहरीन (दरियाओ के मिलने की जगह) में रहता है वो तुम से ज्यादा इल्म रखता है, हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ की ऐ मेरे रब्ब मै उन्हें कैसे पाऊंगा तो आपको बताया गया कि तुम अपने थैले में एक मछली बंद करके अपने साथ ले लो जहां तुम्हारी मछली गुम हो जाए वही उनका मकाम होगा।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का सफ़र सुरु करना।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने जिस जवान को अपने साथ लिया उनका नाम 'युशा बिन नून' था। जो आप की खिदमत व सोहबत में रहते थें और आप से इल्म हासिल करते थे ।
और आप के वाली अहद वो, मजमा उल बहरीन से मुराद 2 दरियाओ की जगह यानी बहरे (दरिया) फारस और बहरे (दरिया) रम जहां मिलेंगे वहीं तुम्हें हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम मिल जाएंगे।
‘मजमउल बहरैन’ के बारे में हज़रत उस्ताद अल्लामा सैयद मु० अनवर शाह कद्द-स सिर्रहु फ़रमाते हैं ‘यह मकाम वह है जो आजकल अक़्बा के नाम से मशहूर है।’
उसकी निशानी ये बतायी गई है कि जहां तुम्हारी मछली गुम हो जाए उसी मकाम में उनको तलाश करना।
हज़रत मूसा ने वहा पहुंचने का पक्का इरादा कर लिया । और फ़रमाया कि मैं अपनी कोशिश जारी रखूंगा। यहां तक कि वहां पहुंच ना जाऊं, बेशक वो जगह कितनी ही दूर हो मेरा सफर वहा पहुंचने तक जारी रहेगा, फिर इन हजरात ने रोटी और भुनी हुई नमकीन मछली अपने साथ एक थैले में ले ली। ताकी रास्ते में काम आए।
Gulf of Aqba |
फिर ये अपनी मंजिल मकसूद की तरफ रवाना हो गए, जहां एक पत्थर की चट्टान थी वहा इन हजरात ने आराम किया और सो गए, जब चाँद कतरे उस पानी के उस भूनी हुयी मछली के ऊपर गिरे तो वह भुनी हुई मछली थैले में जिंदा हो गई।और तड़प कर दरिया में गिर गई।
उस पर से पानी का बहाव रुक गया और एक मेहराब सी बन गई, हजरत युशा बिन नून बेदार हो चुके थे मछली के जिंदा हो कर दरिया में गिरने को देख रहे थे। लेकिन ये वक़िया हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को बताना भूल गए थे।
दोनो हजरत वहा से चले दूसरे दिन खाने के वक्त तक अपना सफर जारी रखा।
जब दूसरे दिन खाने का वक्त हुआ तो हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा सफर की थकान भी है और भूख की शिद्दत भी, इस लिए थैले से रोटी और मछली निकालो ताकी खाना खा ले।
उस वक़्त "युशा बिन नून" को याद आया उन्होंने कहा मछली तो ज़िंदा हो कर दरया में चली गई थी। भुनी हुई मछली का ज़िंदा हो कर दरिया में जाना हैरन और ताजुबनाक मामला था, हज़रत युशा ने अपने भुलने को शैतान की तरफ मनसुब किया।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और हज़रत 'युशा वहा लौट कर आए जहाँ मछली ज़िंदा हो कर पानी में चली गई थी। पानी का बहाव रुकने की वजह से मुख्तलिफ निशानत मौजुद थे, हज़रत मुसा अलैहिस्सलाम ने कहा यही मक़ाम हमारा मक़्शाद है, दोनो ने तलाश करना शुरू किया।
यहां तक कि वो एक चट्टान के पास आए तो देखा की एक शख़्स चादर ओढ़े लेट रहा था, हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने उनको सलाम किया, उन्होंने कहा इस जमीन में सलाम कहा से आ गया ।
यह तो कोई सलाम करने वाला कभी नजर नहीं आया, आप अलैहिस्सलाम ने कहा मै मूसा हूं। हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम ने कहा बनी इस्राइल के मूसा, आप ने कहा जी हां।
हज़रत ख़िज़्र अलैहिस्सलाम ने कहा अल्लाह तआला ने जो इल्म तुम्हें अता फरमाया वो मुझे अता नहीं फरमाया और जो इल्म मुझे अता फरमाया तुम्हें नहीं अता फरमाया ।
उन्होंने फरमाया, ‘मेरे सफ़र का मकसद यह है की कुछ रोज आपके पास राहू , जो इल्म अल्लाह ने आपको बख्शा है, उसे सीखूं हजरत खिज्र ने फ़रमाया,
‘आपकी दरख्वास्त तो कुबूल है, लेकिन हमारे साथ रहना बहुत मुस्किल है इसलिए की मै बातिनी इल्म की वजह से एक काम करून लेकिन उसका जाहिर बुरा हो और अंजाम उसका बेहतर तो असल हकीकत को जाने बगैर तुम सब्र न कर सकोगे और हमारा साथ छूट जाएगा
|
हजरत खिज्र ने कहा अगर तुम मेरे साथ में रहना चाहते हो तो जब तक मई न कहूं सब्र करना |
Hazrat Khizr (AH) ka Kashti Todna । हज़रत खिजर अलैहिस्सलाम का किस्ती तोड़ना।
इसके बाद वे कश्ती में बैठे | ह्ज़रत खिज्र ने चुपके से नाव के डो-तीन तख्ते उखाड़ दिए और उन्हें दरिया में फेक दिया और कश्ती के मालिक से कहा, ‘जल्दी अपनी नाव का इंतजाम करो, नहीं तो डूब जायेगी लोग दौड़े और लकड़ियों के टूकडे ले आये फिर कश्ती की मरम्मत की गयी |लेकिन कश्ती के मालिक का दिल कश्ती के ऐब्दार होने की वजह से टूट गया |
हजरत मूसा ने कहा, ‘ऐसी मजबूत कश्ती में सुराख करना और इतने लोगों के डूबने का ख्याल न करना शरियत के खिलाफ है हजरत खिज्र ने फ़रमाया क्या मैंने तुमसे कहा न था तुम मेरे साथ सफ़र न कर सकोगे ?’
हजरत मूसा ने कहा मैंने भूले से बात कही थी अब मै न बोलूंगा |
Hazrat Khizr Alayhis
Salaam ka Ek Ladke ko Qatl karna । हज़रत खिजर अलैहिस्सलाम का एक लड़के को कत्ल करना।
इसके बाद कश्ती से उतरे और एक शहर के पास पहुंचे , देखा की वहां कई लड़के खेल रहे हैं | हजरत खिज्र ने एक खूबसूरत लड़के को पकड़ लिया और छुरी से उसका गला काट दिया | वह लड़का वहीं हालाक हो गया हजरत मूसा ने यह देख कर फरमाया आपने यह क्या गज़ब किया |किसी बेगुनाह का क़त्ल किसी तरह जायज नहीं |
हजरत खिज्र बोले, ‘मैंने तो पहले ही कह दिया था की तुमसे सब्र न हो सकेगा |
हजरत मूसा ने कहा , ‘अब अगर मै बोलूँ तो फिर मुझे अलग कर देना
Hazrat Khizr (AH) ka Diwaar ko Sidha karna । हज़रत खिजर अलैहिस्सलाम का दीवार को सीधा करना।
फिर ये लोग आगे चले | रात आ गयी | एक गाँव में पहुंचे | मौसम सर्दी का था गाँव वालों ने न उन्हें खाना दिया और न कोई खिदमत की | इन्हें भूखे-प्यासे रहना पड़ा | सुबह उठे तो देखा की बस्ती में एक दिवार झुकी हुयी गिरने के करीब है
हजरत खिज्र ने बगैर कोई मजदूरी लिए उस दिवार को सीधा कर दिया |हज़रत मूसा ने फरमाया, ‘गाँव वालों ने तो हमारी कोई खातिर नहीं की, बल्कि बड़ी बे-मुरव्वती से पेश आये मुनासिब था की उनसे खुछ मजदूरी लेते और इस तरह कुछ खाने-पीने का इंतजाम होता |
हज़रत खिजर अलैहिस्सलाम का अपने कामों की वजाहत करना।
हजरत खिज्र ने फरमाया, अब हमारे-तुम्हारे दरमियान जुदाई का वक़्त आ गया, लेकिन जाने से पहले उन बातों का भेद सुन लो जिन पर तुमसे सब्र न हो सका |
वह कश्ती जिसे मैंने तोड़ा था जालिम बादशाह के इलाके में से होकर गुजरने वाली थी वह जालिम बादशाह मजबूत कश्तियों को छीन लेता था | कश्ती को इसलिए तोड़ा की वह ऐब्दार हो जाए ताकि बादशाह उसे छोड़ दे और कश्ती के इन गरीब मालिकों की रोजी चलती रहे
लड़के को क़त्ल करने की वजह यह थी की उसके माँ-बाप नेक और शरीफ है | लेकिन वह लड़का अगर ज़िंदा रहता तो कुफ्र नाफरमानी और बिगाड़ के अलावा उससे कुछ वजूद में न आता | मै दारा की इसी के कुफ्र और फसाद का असर वालिदैन को न पहुंचे और वह इसकी बड़ी में न पकडे जायें | खुदा उसके बाप को दुसरी नेक औलाद अता फरमाएगा |
दीवार बनाने का भेद यह है की वह दीवार यतीमों की है जिनका बाप नेक और खुदा से डरने वाला था | दीवार के नीचे खजाना है अगर दिवार गिर जाती तो लोग उस खजाने पर कब्जा कर लेते और यह यतीम कुछ न पाते, इसलिए मैंने खुदा टाला के इशारे से इस दिवार को संभाल दिया | इनके बड़े होने के बाद अगर दिवार गिरेगी तो तो खजाना इन्हीं के हाँथ लगेगा , दूसरा इनसे छीन न सकेगा |
इसके बाद हजरत मूसा हजरत खिज्र से रुखसत हो गए |हजरत मुहम्मद सल्ल्लालाह ने फ़रमाया है की अगर हज़रत मूसा सब्र करते तो और बहुत से खुदाई भेद सामने आ सकते थे |
The End