Colors of Rainbow: Blogs of Engr Maqbool Akram
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Plash ke phool .hindi kahani .
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Saturday, 27 April 2024
पलाश के फूल: वह बड़ी भोली थी, कुछ न बोलती और मेरी ओर टुकुर-टुकुर देखती रहती (लेखक: अमरकांत)
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कई बार हम अपनी ग़लती को इतनी बार जस्टिफ़ाई करने की कोशिश करते हैं कि ख़ुद को सही समझने की ग़लतफ़हमी पाल लेते हैं . एक...
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