Colors of Rainbow: Blogs of Engr Maqbool Akram
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अपना ख़ून: Ismat Chughtai ki Ek Kahani.
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Tuesday, 23 August 2022
अपना ख़ून: Ismat Chughtai - मोहरियों ने पर्दे उठाए, ना बिजली तड़पी, ना शोला लपका।ढीली अँगूठीयों को उतरने से रोकने के लिए उसने कस के मुट्ठीयाँ भींच ली थीं
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समझ में नहीं आता , इस कहानी को कहाँ से शुरू करूँ ? वहां से जब छम्मी भूले से अपनी कुँवारी माँ के पेट में पली आई थी ...
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