Blogs of Engr. Maqbool Akram

368 वर्ष पहले की वो लड़ाई: औरंगजेब ने देहली के तख़्त के लिए भाइ दारा शिकोह, शाह शुजा और मुराद बख्श को मार डाला।सत्ता संघर्ष में अपने बेटे सुल्तान को भी नहीं छोड़ा।
पंच परमेश्वर: कन्हाई ने मन ही मन अनुभव किया, फूलो बहुत जवान थी और वह भाटे पर था (रांगेय राघव की कहानी)

पंच परमेश्वर: कन्हाई ने मन ही मन अनुभव किया, फूलो बहुत जवान थी और वह भाटे पर था (रांगेय राघव की कहानी)

चंदा ने दालान में खड़े होकर आवाज़ देने के लिए मुंह खोला, पर एकाएक साहस नहीं हुआ कोठे के भीतर ...

एक छोटा-सा मजाक: तुम से प्यार करता हूँ, नाद्या! मैं धीमे से कहता हूँ।  (रूसी कहानी : आंतोन चेखव )

एक छोटा-सा मजाक: तुम से प्यार करता हूँ, नाद्या! मैं धीमे से कहता हूँ।  (रूसी कहानी : आंतोन चेखव )

सरदियों की ख़ूबसूरत दोपहर... सरदी बहुत तेज़ है। नाद्या ने मेरी बाँह पकड़ रखी है। उसके घुंघराले बालों में बर्फ़ ...

साहब-ए-करामात- फाताँ ने वहीं चारपाई से कहा। “हाँ…….मौलवी साहब की दाढ़ी और पट्टे।” सआदत हसन मंटो

चौधरी मौजू बूढ़े बरगद की घनी छाओं के नीचे खड़ी चारपाई पर बड़े इत्मिनान से बैठा अपना चिमोड़ा पी रहा ...

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