नारी का विक्षोभ: सूरज ने जब सुना सविता कविता करती है तब दौड़ा-दौड़ा उस्ताद हाशिम के पास गया। (रांगेय राघव)
‘अभी चार-पांच साल की ही बात है’, कल्ला ने अपने चश्मे को उतार कर साफ करते हुए कहा, ‘मैं तब लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ता था। आप तो जानते ही हैं ...