Blogs of Engr. Maqbool Akram

Month: October 2023

तन्हा-तन्हा (कहानी) इस्मत चुग़ताई: और दिलशाद मिर्जा! उन्होंने उसे अलीगढ़ भेज दिया, वज़ीफ़े के सहारे उसने फ़स्ट डिवीज़न का रिकॉर्ड कायम कर लिया.

“अच्छा रशीद?" “उफ! तौबा करो!" "नईम?" “बालिश्तिया!"   "मगर बाप की ढेरों जायदाद..." “मगर डार्लिंग, मैं पाँच इंच की हील पहनती हूँ।" “अच्छा, अच्छा, मगर दिलशाद मिर्जा..."   “मम..." शहज़ाद ...

“अबाबील” कहानी: ख्वाजा अहमद अब्बास- दरवाजा खोला तो वह मर चुका था. उसकी पायंती चार अबाबीलें सर झुकाए खामोश बैठी थीं.

उसका नाम तो रहीम ख़ाँ था मगर उस जैसा जालिम भी शायद ही कोई हो. गांव भर उसके नाम से कांपता था. न आदमी पर तरस खाए न जानवर पर. ...

टूटे हुए तारे (कहानी)कृष्ण चन्दर: उसके बाल स्याह घने, मुलाइम,रात की भीगी ख़ामोशी, फिर उन बालों में सेब के चंद चटकते हुए ग़ुंचे

रात की थकन से उसके शाने अभी तक बोझल थे। आँखें ख़ुमार-आलूदा और लबों पर तरेट के डाक बंगले की बीयर का कसैला ज़ायक़ा। वो बार-बार अपनी ज़बान को होंटों ...

देवदास:अन्तिम दृश्य-अपने कारुणिक अंत में पारो के द्वार पर जाता है, उसे उम्मीद है कि मृत्यु के बाद ही उसकी आत्मा पारो से एकाकार हो सकेगी।कौन कमबख्त बर्दाश्त करने को पीता है, मैं तो पीता हूं के बस सांस ले सकू”

“कौन कमबख्त बर्दाश्त करने को पीता है?' मैं तो पीता हूं के बस सांस ले साकू” फ़िल्म: देवदास रिलीज़ का वर्ष: 1955 वक्ता: देवदास (दिलीप कुमार) बातचीत: चंद्रमुखी (वैजयंती माला) ...

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तुमने क्यों कहा था मैं सुंदर हूं: फ़ोटो में माया की तरह छरहरे शरीर, परंतु बहुत सुंदर अनुपात के अवयव की निरावरण युवती, दाईं बांह का सहारा लिये एक चट्टान पर बैठी, कहीं दूर देख रही थी (यशपाल की कहानी )
मेरा नाम राधा है (मंटो) नीलम जिसे स्टूडियो के तमाम लोग मामूली एक्ट्रेस समझते थे, विचित्र प्रकार के गुणों की खान थी। उसमें दूसरी एक्ट्रेसों का-सा ओछापन नहीं था।मैंने जब बहुत जोर से भयानक आवाज में नीलम कहा तो वह चौंकी जाते हुए उसने केवल यह कहा, सआदत, मेरा नाम राधा है।