आज हम आपके लिए लेकर आये हैं मुहम्मद कुली कुतुब शाह और भागमती की अमर प्रेम कहानी़ जब प्यार करनेवाले दो अलग-अलग वर्गों और धर्मों से आते हों तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आज से सवा चार सौ साल पहले के उस जमाने में उनका प्यार कितना मुश्किल रहा होगा.
लेकिन इनसे पार पाते हुए शहजादे कुली कुतुब ने न सिर्फ भागमती से शादी रचायी, बल्कि उनके नाम पर एक शहर भी बसाया, जिसे आज हैदराबाद के नाम से जाना जाता है.
Prince QULI Qutub Shah and Bhagmati |
दक्कन में बहमनी साम्राज्य के विघटन के बाद पांच राज्य अस्तित्व
में आये़ उनमें से कुतुब शाही वंश ने गोलकुंडा साम्राज्य स्थापित किया. 1508 से
1687 ईस्वी तक दक्कन में कुतुबशाही शासन का काल रहा. इस वंश के पांचवें शासक मुहम्मद
कुतुब कुली शाह ने 1591 में गोलकुंडा से पांच मील पूर्व में मुसी नदी के किनारे हैदराबाद
शहर की स्थापना की़
650 वर्ग किलोमीटर में फैले इस
शहर को देश का छठा बड़ा ऐतिहासिक शहर होने का गौरव हासिल है.
लेकिन इसकी पृष्ठभूमि
में एक प्रेम कहानी है, कुली कुतुब शाह और भागमती की एेतिहासिक प्रेम कहानी, दरअसल,
जब शहजादे मुहम्मद कुली कुतुब शाह नौजवान थे, तब उन्होंने एक गांव से गुजरते हुए नदी
के दूसरे किनारे पर एक बेहद रूपवान स्त्री को देखा.
Musi Nadi-Hyderabad |
उस नदी का नाम मुसी था और शहजादे को मोहित कर देनेवाली उस रूपवान स्त्री का
नाम भागमती था़ पहली नजर में दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हो गया और मुसी नदी के किनारे
उनके मिलने-जुलने का सिलसिला चल पड़ा.
शहजादे के ऊपर भागमती का ऐसा जादू चला कि वे हर परेशानी सह
कर बस उनसे विवाह को लेकर बेचैन हो गये. भागमती शहजादे मुहम्मद कुली कुतुब शाह की तरह
न तो किसी राजपरिवार से ताल्लुक रखती थी और न ही वह मुसलमान थी.
वह एक नाचने-गानेवाली बंजारन की बेटी थीं. शाह के परिवार
को बागमती स्वीकार नहीं थी, लेकिन शहजादे मुहम्मद कुली कुतुब शाह की जिद के आगे परिवारवालों
की एक न चली और उन्होंने अंतत: शहजादे को भागमती से शादी की इजाजत दे दी.
इस शादी के बाद युवराज
कुली कुतुब शाह ने मुसी नदी के पार छिछलम गांव की रहनेवाली भागमती के गांव और उसके
आसपास के क्षेत्र का नाम भाग्यनगर रख दिया़
Marriage Procession of Quli Qutub Shah and Rani Bhagmati |
उस वक्त के तत्कालीन चलन के अनुरूप इसलाम धर्म स्वीकार कर लेने के बाद भागमती का नाम हैदर महल रखा गया़ हैदर महल के नाम पर ही भाग्यनगर का नाम भी ‘हैदराबाद’ रखा गया़ हैदराबाद की शान और पर्याय क रूप में चारमीनार इस शहर का बड़ा आकर्षण है.
48.7 मीटर की चार मीनारों वाला यह तोरण, शहर के बीचोंबीच
स्थित है़ मुहम्मद कुली ने अपनी बेगम के गांव की जगह इसका निर्माण 1591 में शुरू किया
और इन चारों मीनारों को पूरा बनाने में लगभग 21 वर्ष लगे़ बताया जाता है कि चारमीनार
को इस क्षेत्र में प्लेग महामारी के अंत की यादगार के तौर पर बनवाया गया था़
गौरतलब है कि मोहम्मद कुली कुतुब शाह अपने समय के जाने-माने
शायर भी रहे़ उन्हें उर्दू और फारसी भाषाओं में नज्मों, गजलों और कव्वाली की बेहतरीन
रचना के लिए जाना जाता है़
उनकी बेगम हैदर महल, यानी भागमती उनकी रचनाओं
की प्रेरणा रहीं. बहरहाल, सम्राट अकबर के समकालीन मोहम्मद कुली कुतुब शाह (1565 से
1611 ई) दक्खिनी हिंदी पहले ऐसे कवि भी माने जाते हैं, जिन्होंने भारतीय जीवन में गहरे
पैठकर कविताएं रचीं.
Rani Bhagmati |
इनके काव्य में व्यापक जनजीवन का चित्रण है़ इनकी कविताओं
का लगभग 1800 पन्नों का एक वृहत संग्रह ‘कलियात कुली कुतुब शाह’
के नाम से प्रकाशित हुआ है. इसमें एक ओर सूफी संतों के रहस्यात्मक पारलौकिक प्रेम का
चित्रण है, तो दूसरी ओर इहलौकिक प्रेम का सतरंगी रंग इनकी भावभूमि में है.
Qutub Shahi Tombs-Hyderabad |
कुतुबशाही काल के महानतम कवि मुल्ला
वजही गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन थे़
इन्होंने अपनी कृति
कुतुबमुश्तरी (1600 ई) में कुतुब (बादशाह कुतुबशाह) और मुश्तरी (भागमती) की प्रेमगाथा
लिखी है, जिसमें जगह-जगह पर प्रेम, विरह और ज्ञान को परिभाषित किया गया है - ‘नको छांड़
साहब की खिदमत तू कर/ के खिदमत ते होत है प्यार नफर.
Char Minar-Hyderabad |
The End
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